अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति, एआईकेएससीसी
प्रेस बुलेटिन: 30 दिसम्बर 2020, नई दिल्ली
- एआईकेएससीसी ने कहा कि वार्ता विफल रहेगी; कृषि मंत्री का पूर्व संध्या पर दावा सरकार के इरादे को बताता है – “प्रधानमंत्री दबते नहीं हैं” दिखाता है वे कारपोरेट से लगाव रखते हैं, देश के किसान से नहीं।
- रक्षा मंत्री का फसल खरीद पर आश्वासन लिखित कानून के विरुद्ध है।
- तेलंगाना, बिहार, तमिलनाडु में दमन, राज्य सरकारों पर भाजपा के प्रभाव और देश भर में कृषि कानून के विरुद्ध बढ़ रहे समर्थन पर उसकी घबराहट को दिखाता है।
- एआईकेएससीसी ने मांग की है कि सरकार को सभी सवारी रेलगाड़ियों को चलाना चाहिए, ऐसा न करना जनता पर क्रूर हमला है, रेलवे पर कारपोरेट नियंत्रण की तैयारी।
एआईकेएससीसी के वर्किंग ग्रुप ने कहा है कि कृषि मंत्री जी.एस. तोमर का वार्ता की पूर्व संध्या पर यह बयान की प्रधानमंत्री दबाव में नहीं आते, वार्ता को विफल करने की दृष्टि से दिया गया है। देश भर के किसान दिल्ली आकर हाथ जोड़कर सरकार से निवेदन कर रहे थे कि केन्द्र ने जो कानून बनाकर दिक्कत पैदा की है उन कानूनों को वह वापस ले ले। ये कानून खेती में कारपोरेट को स्थापित करने और किसानों की बाजार में सुरक्षा तथा जमीन पर नियंत्रण समाप्त कर देंगे। दुखद बात है कि प्रधानमंत्री ने इसे एक रस्साकसी और राजनीतिक दबाव का मामला बना दिया है।
एआईकेएससीसी ने कहा है कि रक्षा मंत्री का आज यह पुनः बयान देना कि सरकारी खरीद पर किसानों को विश्वास करना चाहिए, लिखित कानून के विपरीत है। कानून में साफ लिखा है कि सरकार एग्री बिजनेस को बढ़ावा देगी और रेट आनलाइन व्यापार से तय होंगे। इसका अर्थ है कि एग्री बिजनेस को अच्छा रेट मिलेगा, किसानों को नहीं। एआईकेएससीसी ने निजी व्यापारियों द्वारा किसानों की आमदनी दोगुना करने के विभिन्न दावों की निन्दा की है और कहा है कि धान के 1868 रु. प्रति कुन्तल एमएसपी की जगह आज 900 रुपए कुन्तल पर धान बिक रहा है।
आज हैदराबाद में दिल्ली के संघर्ष के समर्थन में आयोजित किसानों की रैली में सरकार द्वारा अनुमति न देने और बाधाएं डालने के बावजूद करीब 6000 से ज्यादा लोगों की प्रभावशाली भागीदारी रही। कई राज्य सरकारों ने, गैर भाजपा राज्य सरकारों समेत किसानों की गोलबंदी में बाधाएं डाली हैं। बिहार, तमिलनाडु अब तेलंगाना में किया गया दमन साबित करता है कि केन्द्र सरकार राज्य सरकारों पर दबाव बना रही है और 3 कृषि कानून व बिजली बिल 2020 के विरुद्ध बढ़ रहे समर्थन के कारण घबरा रही है।
इस बीच आने जाने की कीमतों के बढ़ने और आम लोगों व किसानों के सामने आ रही कठिनाईयों को देखते हुए एआईकेएससीसी ने मांग की है कि सभी यात्री सवारी रेलगाड़ियां तुरंत शुरु की जाएं। अगर मेले व चुनाव हो सकते हैं तो निश्चित तौर पर ट्रेनें भी चल सकती हैं। एआईकेएससीसी ने ट्रेन सेवाएं कारपोरेट के हवाले करने की सरकार की योजना की निन्दा की है।
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आशुतोष
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