केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा गिरफ्तार किए गए सभी कामगारों को तुरंत रिहा किया जाए और उन पर लगाए गये सभी आरोप हटाये जाएं!
बेघर और फंसे हुए कामगारों को तुरंत पर्याप्त भोजन, राशन, आश्रय और मजदूरी सुनिश्चित की जाए!
संगठनों ने मिलकर केंद्रीय गृहमंत्री, गुजरात और दिल्ली के मुख्यमंत्रियों को ज्ञापन लिखा!
मजदूर-युवा-महिला संगठनों और ट्रेड यूनियनों ने लॉकडाउन लागू होने के बाद से फंसे हुए और बेघर कामगारों पर हो रहे बर्बर-हिंसा की कड़ी निंदा की। संगठनों ने केंद्रीय गृह मंत्री तथा गुजरात और दिल्ली के मुख्यमंत्रियों को इस विषय में ज्ञापन भेजा। ज्ञात हो कि पिछले 2 दिनों में सूरत और दिल्ली में दो बड़ी घटनाएं हुई हैं, जिसमें लॉकडाउन के कारण फंसे हुए और बेघर कामगारों को पुलिस द्वारा बेरहमी से पीटा गया। यह घटना तब घटी, जब वितरित किए जा रहे अपर्याप्त भोजन के खिलाफ कामगारों ने विरोध करने की कोशिश की। लॉकडाउन के बाद से आई कई रिपोर्टें यह बताती हैं कि देश भर में लाखों मजदूर भूखे रहने को मजबूर हैं, क्योंकि उन्हें पर्याप्त मात्रा में भोजन उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। यह विशेष रूप से निंदनीय है क्योंकि कामगरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ही कथित रूप से लॉकडाउन को लागू किया गया था। कई रिपोर्टों से पता चलता है कि न केवल कामगार, बल्कि गरीब किसानों, दलितों, आदिवासियों, खानाबदोश लोगों और सामान्य कामकाजी जनता को भी लॉकडाउन के दौरान भोजन की कमी के कारण भुखमरी जैसी परिस्थिति का सामना करना पड़ रहा है।
साथ ही यह निंदनीय है कि भूख से परेशान लोगों से निपटने के लिए राज्य और जिला प्रशासन पुलिस बल और लाठीचार्ज का उपयोग कर रहे हैं। रिपोर्टों के अनुसार, कई राज्यों में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों की अंधाधुंध गिरफ्तारी की है, जो आजीविका और मजदूरी से संबंधित कामगारों के वास्तविक मुद्दे को दूर करने में संबंधित सरकारों की अक्षमता को उजागर करते हैं। यह शर्मनाक है कि कामगारों के प्रति ऐसे क्रूर रवैया अपनाया जा रहा है, जो देश के उद्योगों के लिए जी-तोड़ मेहनत करते हैं, और उद्योगपतियों के मुनाफे को बढ़ाने के साथ, राज्य के कोश को भी भरते हैं।
लॉकडाउन के चलते पहले से ही मुश्किलों में जी रहे कामगार-गरीबों की हालत और भी ज्यादा खराब हो गयी है। यह हमारे लिए चिंता की बात है क्योंकि देश के लोगों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए लॉकडाउन को लागू किया गया था। केंद्र और राज्य सरकारों के विभिन्न वादों के बावजूद, अब तक कामगार और गरीबों को बिना पर्याप्त भोजन और मजदूरी के छोड़ दिया गया है। इसके अलावा, लोगों के लिए राशन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं है, जिसके चलते परिवारों को पर्याप्त मात्रा में भोजन प्राप्त करने के लिए घंटों लाइन में खड़ा होना पड़ता है। राशन की दुकानों और वितरण केंद्रों में भोजन की कमी से यह स्थिति विकट हो रही है। प्रशासनों की तैयारी की कमी और गैरजिम्मेदारी के कारण ऐसी खराब स्थिति उत्पन्न हुई है। यह घटनाएँ खुले तौर पर सरकारों के भेदभावपूर्ण रवैये को उजागर करती हैं, जहाँ एक ओर विदेशों में फंसे भारतीय नागरिकों को वापस लाने में सरकारें तत्पर दिखती है, लेकिन दूसरी ओर भोजन, मजदूरी और घर लौटने की मांग करते सामान्य कामकाजी जनता पर वो हिंसात्मक रूख अपना रही है।
संगठनों ने मांग की कि देश भर में गिरफ्तार किए गए सभी कामगारों को तुरंत रिहा किया जाए और उन पर लगाए गये सभी आरोप हटाये जाएं। इसके अलावा, सरकारों को तुरंत यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कामगारों को पर्याप्त मात्रा में भोजन, राशन, आश्रय और न्यूनतम मजदूरी मुहैया हो| साथ ही कामगारों को जल्द-से-जल्द सुरक्षित गांवों पहुंचाने के लिए सरकार की ओर से व्यवस्था की जानी चाहिए।
- भीम
क्रांतिकारी युवा संगठन (केवाईएस)
- दिनेश कुमार
मजदूर एकता केंद्र (डबल्यू.यू.सी.आई.)
- हरीश गौतम
सफाई कामगार यूनियन (एस.के.यू.)
- आरती कुशवाहा
संघर्षशील महिला केंद्र (सी.एस.डबल्यू.)
- रामनाथ सिंह
ब्लाइंड वर्कर्स यूनियन (बी.डबल्यूयू.)
- माया जॉन
घरेलू कामगार यूनियन (जी.के.यू.)
- चिंगलेन खुमुकचम
नॉर्थ-ईस्ट फोरम फॉर इंटरनेशनल सोलीडेरिटी (नेफिस)
- ललित
आनंद पर्वत डेली हॉकर्स एसोसिएशन (ए.पी.डी.एच.ए.)
- सचिन सिंह भंडारी
दिल्ली मेट्रो कमिशनर्स एसोसिएशन (डी.एम.सी.ए.)
- रोहित सिंह
घर बचाओ मोर्चा
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