मुम्बई में आज AIKSCC का बांद्रा कुर्ला काम्प्लेक्स में अंबानी व अडानी के मुख्यालय पर भारी विरोध आयोजित हुआ जिसमें 15,000 से ज्यादा किसानों ने भाग लिया। सभा को महाराष्ट्र व पंजाब के नेताओं ने संबोधित किया।
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (AIKSCC) ने कहा है कि सरकार ने कानून की धारावार आलोचना प्रस्तुत करने के लिए मजबूर किया, फिर खुद इनमें से 8 सवाल चुन लिए और कह रही है कि इन्हें हल करने को तैयार है। AIKSCC ने कहा कि कृषि मंत्री लोगों की आंख में धूल झोंंक रहे हैं। समिति ने भाजपा शासित हरियाणा, यूपी में गिरफ्तारी व दमन की निन्दा की है।
आंदोलन लगातार मजबूती पकड़ रहा है; कल पूरे देश में दोपहर के भोजन का उपवास रहेगा।
AIKSCC
- किसान संगठनों ने एकताबद्ध रूप से धाराओं की आलोचना करते हुए कहा कि कानून रद्द किये जाने चाहिए।
- सरकार किसानों को ठंड में पीड़ित होने देने के उद्देश्य से उनकी मांग नही मान रही है – जानबूझकर रद्द करने की मांग टाल रही है; राज्यों में दमन किसानों को पीटकर कारपोरेट व विदेशी कम्पनियों की हित सेवा के लिए है।
- सरकार कानून वापसी की किसानों की मांग को बंद कान व बंद दिमाग से सुन रही है।
AIKSCC के वर्किंग ग्रुप ने कहा है कि कृषि मंत्री का पत्र दिखाता है कि सरकार किसानों की 3 नये खेती के कानून रद्द करने की मांग को हल नहीं करना चाहती। इनमें समस्या कानून के उद्देश्य में ही लिखी है, जो कहते हैं कि कारपोरेट को अब कृषि उत्पाद में व्यापार करने का, किसानों को ठेकों में बांधने का और आवश्यक वस्तु के आवरण से मुक्त खाने के सामग्री को स्टाॅक कर कालाबाजारी करने की छूट होगी, का कानूनी अधिकार देते हैं। यह भी लिखा है कि इन सभी कारपोरेट पक्षधर व किसान विरोधी पहलुओं को सरकार बढ़ावा देगी।
माननीय मंत्री जी ने जानबूझकर वार्ता के दौरान के तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर दावा किया है कि वे विनम्रता और खुले मन से चर्चा चाहते हैं। सच यह है कि AIKSCC ने तथा अन्य संगठनों ने सरकार को इन कानूनों को रद्द करने के लाखों पत्र भेजे हैं, जिसे सरकार ने अनसुना कर दिया है। जब आन्दोलन दिल्ली पहुँचा तो सरकार ने नेताओं को मजबूर किया कि वे धारावार आलोचना पेश करें और नेताओं ने सर्वसम्मति से इस आलोचना के साथ 3 दिसम्बर को सरकार को यह समझा दिया कि अगर किसानों की जमीन व जीविका बचनी है तो ये तीनो कानून वापस होने होंगे। पर सरकार ने खुद-ब-खुद 8 मुद्दे छांट लिये और अब वह यह दावा कर रही है कि यही 8 मुद्दे मुख्य हैं।
AIKSCC ने कहा है कि विश्व भर में कारपोरेट छोटे मालिक किसानों की खेती की जमीनें छीन रहे हैं और जल स्रातों पर कब्जा कर रहे हैं ताकि वे इससे ऊर्जा क्षेत्र, रीयल स्टेट और व्यवसायों को बढ़ावा दे सकें। इसकी वजह से किसान विदेशी कम्पनियों और उनकी सेवा करने वाली सरकारों के खिलाफ खड़े हो रहे हैं। भारत में चल रहे वर्तमान आन्दोलन को इसी वजह से दुनिया भर में समर्थन मिला है और 82 देशों में लोगों ने किसानों के समर्थन में प्रदर्शन किये हैं।
AIKSCC ने किसानों की मांग के खिलाफ प्रधानमंत्री के तानाशाहपूर्ण भाषा की आलोचना की है, जिसमें उन्होंने कहा था कि सुधारों के अमल से उन्हें कोई नहीं रोक सकता। देश के लोगों को ये बात साफ होनी चाहिए कि ये सुधार वे हैं जो कारपोरेट व विदेशी कम्पनियों का मुनाफा बढ़ाएंगे और किसानों को बरबाद कर देंगे।
AIKSCC ने हरियाणा व उप्र की भाजपा सरकारों द्वारा किए जा रहे दमन की निन्दा की है। हरियाणा में मुख्यमंत्री को काला झंडा दिखाने वाले कई किसानों को उठाकर हिरासत में लिया गया है। उप्र में फर्जी केस व कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी चल रही है और मुख्यमंत्री एक तरफ खुद धमकी दे रहे हैं और दूसरी ओर किसानों की मदद करने के फर्जी दावे ठोक रहे हैं। धान आज भी 1000 रुपये कुन्तल बिक रहा है, जबकि एमएसपी 1868 रुपये कुन्तल है।
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