उत्तर प्रदेश की सरकार ने हाथरस कांड में पीड़ित परिवार का नार्को टेस्ट करवाने का फैसला लिया है। इस फैसले को इलाहाबाद हाइकोर्ट में अधिवक्ता साकेत गोखले ने एक याचिका दाखिल कर के चुनौती दी है। योगी सरकार के इस फैसले की चौतरफा निंदा हुई है और बदले में हाथरस के अधिकारियों व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नार्को टेस्ट की मांग जोर पकड़ने लगी है।
गुरुवार को राहुल गांधी और प्रियंका गांधी सहित कांग्रेसियों को हाथरस जाने से रोके जाने और शुक्रवार को दिन भर पत्रकारों के साथ बूलागढ़ी में हुई बदसलूकी के बाद घटनाक्रम बहुत तेजी से बदला है। एक ओर योगी सरकार ने कुछ अधिकारियों को सस्पेंड किया है तो दूसरी ओर शनिवार को मीडिया को परिवार से मिलने की इजाज़त दी गयी।
न्यूज़ 18 के मुताबिक परिवार ने उसके पत्रकारों से बातचीत करते हुए इस बात पर संदेह जताया है कि जिसकी लाश को आनन फानन में आधी रात जलाया गया, वह उनकी बेटी थी।
मृतक लड़की की भाभी का बयान है कि प्रशासन को पहले यह साफ़ करना चाहिए कि उसने किसका दाह संस्कार किया है। उन्होंने कहा कि परिवार सच बोल रहा है, इसलिए नार्को टेस्ट की ज़रूरत उन्हें नहीं बल्कि डीएम और एसपी को है।
बिलकुल ऐसी ही बात कांग्रेस के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम और साकेत गोखले ने भी कही है। एक बयान जारी करते हुए आलम ने कहा कि अगर योगी जी में साहस है तो वो सबसे पहले गोरखपुर और मऊ दंगे में अपनी भूमिका पर ही नार्को टेस्ट करा दें। उन्हें विकास दुबे की कथित कार पलटने के मामले में भी अपना नार्को टेस्ट करा लेना चाहिए ताकि इस हत्या में उनकी भूमिका साफ हो सके। आलम ने हाथरस की पीड़िता के परिजनों की नार्को टेस्ट कराने के योगी सरकार के आदेश की कड़ी निंदा करते हुए इसे जले पर नमक छिड़कना बताया है।
दूसरी ओर, परिवार के नार्को टेस्ट को अदालत में चुनौती देने वाले गोखले का कहना है कि योगी आदित्यनाथ और गृह सचिव का भी नार्को टेस्ट होना चाहिए।
गोखले के मुताबिक परिवार का नार्को टेस्ट कराने का योगी सरकार का फैसला न केवल गैरकानूनी है बल्कि इलाहाबाद हाइकोर्ट के सामने आगामी 12 अक्टूबर को परिवार की पेशी के सम्बंध में उसे डराये धमकाये जाने का बहाना भी है।
गौरतलब है कि गुरुवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने स्वत: संज्ञान लेते हुए हाथरस गैंगरेप के केस में 12 अक्टूबर को सभी सम्बंधित अधिकारियों सहित परिवार को भी तलब किया है और इसे अत्यन्त संवेदनशील मामला करार दिया है।