सरकार द्वारा लड़कियों की शादी की उम्र 18 से 21 साल किए जाने की योजना पर देश भर के युवाओं की ओर से तीखी प्रतिक्रियाएं आयी हैं और यह मसला अब बहस में है। युवाओं का कहना है कि सरकार का काम उम्र तय करना नहीं है। इसे उसको लड़कियों के ऊपर छोड़ देना चाहिए। बजाय इसके, सरकार ने इस योजना के लिए प्रतिक्रिया जुटाने वाली टास्क फोर्स से युवाओं की राय लेना भी ज़रूरी नहीं समझा, जो अफसोसनाक है।
बीते 23 जून को महिला और बाल विकास मंत्रालय ने मातृत्व की उम्र और इससे जुड़े मसलों की पड़ताल करने के लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया था। इस टास्क फोर्स का एक और एजेंडा लड़कियों के विवाह की उम्र को 18 से बढ़ाकर 21 साल करना था। टास्क फोर्स को अपनी सिफारिशें 31 जुलाई को मंत्रालय को सौंपनी थीं। यह अवधि पूरी हो जाने के बाद इस एजेंडे पर देश भर से युवाओं की जो प्रतिक्रियाएं आयी हैं वे दिलचस्प हैं और नागरिक समाज में इस मसले पर एक बहस खड़ी हो गयी है। युवाओं ने कहा है कि कोविड के चलते आर्थिक समस्याएं बढ़ गई है, काम के मौके कम होते जा रहे हैं, ऐसी परिस्थिति में उम्र को नहीं छेड़ा जाना चाहिए. बल्कि शिक्षा काम व उचित काम के अवसर पर फोकस करना चाहिए
टास्क फोर्स ने इस एजेंडे पर प्रतिक्रिया देने के लिए अग्रणी अकादमिकों, कानूनी जानकारों, नागरिक समाज के लोगों और संगठनों को आमंत्रित किया था। इस प्रक्रिया में अगर किसी समूह को छोड़ दिया गया तो वह था इस देश के युवाओं का समूह, जिसकी इस मसले से सीधे नातेदारी बनती है।
इस ज़रूरत को समझते हुए देश के 15 राज्यों से नागरिक समाज के 96 संगठनों ने युवाओं को जो़ने की कोशिश की। इस प्रक्रिया में 17 जुलाई को ‘’यंग वॉयसेज़’’ के प्रतिनिधियों को टास्क फोर्स ने एक वेबिनार के लिए आमंत्रित किया। आखिरकार 24 जुलाई को 2480 युवाओं के साथ हुए इस परामर्श की रिपोर्ट टास्क फोर्स को सौंपी गयी।
देश के युवाओं से निकल कर आयी प्रतिक्रियाओं में औसत राय यह है कि यदि शादी की उम्र बढ़ा दी गयी तो बाल विवाह की दर बढ़ जाएगी क्योंकि जमीन पर हकीकत में कोई बदलाव नहीं आ पाएगा। हकीकत यह है कि आज भी माता पिता लंबे समय तक लड़कियों को घर में रखना बोझ मानते हैं। युवाओं का कहना था कि कानून संशोधित करने का असर यह होगा कि लोग गोपनीय तरीके से या फर्जी काग़ज़ात के आधार पर लड़कियों की शादी करेंगे।
वैसे मोटे तौर पर युवाओं की राय चुनाव की स्वतंत्रता को लेकर थी। उन्हें इस बात की चिंता थी कि विवाह पूर्व सेक्स को लेकर डर बढ़ जाएगा और लड़कियों को सुरक्षित गर्भपात कराने में समस्या आएगी। चूंकि इसी उम्र में प्रेम प्रसंग भी होते हैं, तो कानून बदले जाने के बाद 18 साल की उम्र की लड़कियों का प्रेम प्रसंग या उसके चलते घर से भागना सब कुछ कानून के दायरे में दंडनीय हो जाएगा और माता पिता पार्टनर के चुनाव की स्वतंत्रता को कानून की आड़ लेकर रोकेंगे।
इस बात को लेकर युवाओं में नाराज़गी दिखी कि सरकार लड़कियों से पूछे बगैर अपने मन से कानून बदलने जा रही है जबकि यह फैसला उसे खुद लड़कियों के ऊपर छोड़ देना चाहिए। सरकार का काम केवल अच्छे अवसर मुहैया कराना है और सेवाओं में सहयोग करना है।
युवाओं से परामर्श के बाद टास्क फोर्स को सौंपी गयी पूरी रिपोर्ट नीचे देखी जा सकती है।
Final-National-Report-for-submission-to-TF-1-1