कर्मचारियों, शिक्षकों एवं पेंशनरों के महंगाई भत्ते व महंगाई राहत को रोकने के योगी सरकार के शासनादेश का बुधवार को पूरे उत्तर प्रदेश में विरोध हुआ। लोकमोर्चा की अपील पर दर्जनों जिलों में सैकड़ों शिक्षकों, कर्मचारियों, पेंशनरों और आम नागरिकों ने योगी सरकार के विरोध में आवाज उठायी। मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को ईमेल के जरिये ज्ञापन भेजकर कर्मचारी विरोधी शासनादेश को वापस लेने की मांग की गयी।
उक्त जानकारी लोकमोर्चा संयोजक अजीत सिंह यादव ने दी। उन्होंने कहा कि योगी सरकार का 24 अप्रैल का शासनादेश असंवैधानिक है जिसके जरिये सरकार ने शिक्षकों, कर्मचारियों और पेंशनर्स के महंगाई भत्ते और महंगाई राहत पर 1 जनवरी 2020 से 30 जून 2021 तक रोक लगा दी थी। उन्होंने कहा कि कोरोना संकट से उत्पन्न आर्थिक हालात का मुकाबला करने को कर्मचारियों के महंगाई भत्ता को रोक कर नहीं बल्कि पूँजी घरानों पर टैक्स लगाकर संसाधन जुटाए जाएं।
उन्होंने बताया कि लोक मोर्चा के प्रवक्ता व शिक्षक कर्मचारी नेता अनिल कुमार ने महंगाई भत्ता व राहत को फ्रीज करने के योगी सरकार के शासनादेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इसको लेकर केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है,अगली सुनवाई 16 जुलाई को है।
महंगाई भत्ता फ्रीज करने से प्रत्येक कर्मचारी व शिक्षक का अनुमानित ₹72000 (बहत्तर हजार रुपया) का आर्थिक नुकसान है। सोलह लाख कर्मचारियों शिक्षकों का ₹12000 करोड़ (बारह हजार करोड़ रुपया) अनुमानित आर्थिक नुकसान होगा, इसकी भरपाई असंभव है। इसी तरह प्रति पेंशनर 36000 रुपया (छत्तीस हजार रुपया) और कुल 11 लाख से अधिक पेंशन भोगियों का अनुमानित 4000 (चार हजार) करोड़ का नुकसान होगा। इन पेंशनभोगियों की आय का कोई और जरिया नहीं है। कोरोना संकट काल में इन्हे और इनके परिवार को ज्यादा आर्थिक मदद की जरूरत है।
विरोध कार्यक्रम विभिन्न जनपदों में हुआ। रामपुर जनपद में बेसिक शिक्षक जगदीश पटेल, शाहजहांपुर में राजीव कुमार, कासगंज में संतोष कुमार, पीलीभीत में दर्शन देव, बरेली में श्रवण कुमार, माध्यमिक शिक्षक भारत भूषण यादव, ललित कुमार, अमरोहा में डॉ. संत राम सिंह यादव, बिजनौर में गुड्डू सिंह, संभल में प्रधानाचार्य राजेश कुमार, मऊ जनपद में रामबली यादव, अलीगढ़ में दुर्वेश कुमार, बदायूँ जनपद में बेसिक शिक्षक रूपेंद्र कुमार, देवेश सिंह, माध्यमिक शिक्षक जितेंद्र कुमार, विकास विभाग से सेवानिवृत्त महेंद्र सिंह, न्याय विभाग के विनोद कुमार बिन्नी, पंचायत राज विभाग के लल्लू सिंह, प्रदीप कुमार, नितेश कुमार, राजस्व विभाग के थान सिंह आदि ने कार्यक्रम का नेतृत्व किया। क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन के सतीश कुमार समेत बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं ने कार्यक्रम को समर्थन दिया। इसके साथ ही सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्मों के माध्यम से कर्मचारियों, शिक्षकों व पेंशनरों ने शासनादेश को वापस लेने की अपील करती पट्टिकाओं के साथ अपना फोटो अपलोड किये।