एक विचार की तरह याद किए जाएंगे सम्यक प्रकाशन के संस्थापक शांति स्वरूप बौद्ध


दिनांक 6 जून 2020 को सम्यक प्रकाशन के संस्थापक शांति स्वरूप बौद्ध का परिनिर्वाण हो गया। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1949 को दिल्ली में हुआ था।

उन्होंने हिंदी में दलित प्रिंट के लिए के लिए एक मुकम्मल जगह बनायी थी। शांति स्वरूप बौद्ध डॉ. अंबेडकर के बाद की पीढ़ी के उन दलित बुद्धिजीवियों में हैं जो आरक्षण के माध्यम से सरकारी नौकरियों में आगे आए और फिर ‘पे बैक टू सोसाइटी’ की भावना के तहत उस समाज को बेहतर और न्यायपूर्ण करने की मुहिम में जुट गए जो अपनी बाहरी और अंदरूनी संरचना में बहिष्करण और हिंसा, भेदभाव और हिंसा, गरीबी और उत्पीड़न को बढ़ावा देता है। किताबों के माध्यम से उन्होंने इसे बदल देना चाहा।

केंद्र सरकार के राजपत्रित अधिकारी से इस्तीफा देकर सांस्कृतिक क्रांति के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर देने वाले शांति स्वरूप बौद्ध ने अंबेडकर साहित्य और बौद्ध धर्म के प्रसिद्ध ग्रंथों का प्रकाशन करने के उद्देश्य से सम्यक प्रकाशन की स्थापना की और दलित समाज को चेतनाशील और जागरूक करने के लिए जुट गए। उनका यह काम पारंपरिक नेताओं वाला या किसी सामाजिक संगठन की तरह का काम करने जैसा नहीं था बल्कि उन्होंने वह काम किया जिसके माध्यम से समाज में विचारों से लैस नेताओं, कार्यकर्ताओं की एक फौज खड़ी की जा सके। इस काम को करने के लिए उन्होंने साहित्य और उसके प्रचार-प्रसार को अपना कार्यभार बनाया। इस संदर्भ में शांति स्वरूप बौद्ध के कहे वे शब्द याद आते हैं :

हम अंबेडकरवादी हैं, संघर्षों के आदी हैं

हम अंबेडकरवादी हैं, ये सीने फौलादी हैं

अब तक जो हुआ, उसका गम नहीं

अब दिखना है, किसी से कम नहीं

विचारों के युद्ध में किताबों से बड़ा हथियार कोई नहीं

वास्तव में जो काम कभी उत्तर भारत के मूक समुदायों को जागरूक करने के लिए स्वामी अछूतानन्द ‘हरिहर’ और फिर उनके बाद उनके शिष्य चन्द्रिका प्रसाद ‘जिज्ञासु’ किया करते थे, उस काम को आजादी के बाद बड़े पैमाने पर बढ़ाने का काम शांति स्वरूप बौद्ध ने किया। चन्द्रिका प्रसाद ‘जिज्ञासु’ ने लखनऊ में बहुजन कल्याण प्रकाशन के नाम से एक प्रिंटिंग प्रेस लगाया था जिसके माध्यम से वह यह काम किया करते थे। लेकिन उनके परिनिर्वाण के बाद यह काम बीच में ही रुक गया। इस रुके हुए काम को दिल्ली के शांति स्वरूप बौद्ध ने समझा और फिर उन्होंने 1990 के दशक में इसकी शुरुआत की।

शांति स्वरूप बौद्ध द्वारा स्थापित सम्यक प्रकाशन आज हिंदी में 35 पृष्ठों के हिंदी कैटलाग और अंग्रेजी में 6 पृष्ठों के कैटलाग के साथ प्रकाशन के क्षेत्र में दमदार दस्तक दे रहा है, उसने दलित प्रिंट की दुनिया को एक नया चेहरा दे दिया है। सम्यक प्रकाशन में लोकप्रिय दलित-बहुजन साहित्य से लेकर गंभीर शोधपूर्ण एवं अकादमिक लेखन और बौद्ध साहित्य की किताबें उचित और सस्ती दामों में मिल जाएंगी। स्वयं शांति स्वरूप स्वयं देश के बड़े बुद्धिस्ट विद्वान थे और भारत के समाज परिवर्तन में उन्होंने बौद्ध साहित्य की भूमिका को महसूस किया था। सम्यक प्रकाशन का एक बड़ा हिस्सा बुद्ध, बौद्ध धर्म की पुस्तकों से मिलकर बनता है।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर विवेक कुमार ने ‘दलित दस्तक’ को दिए गए साक्षात्कार में शांति स्वरूप बौद्ध को याद करते हुए उन्हें ‘अंबेडकराइट, बुद्धिस्ट, दलित-बहुजन आंदोलन का पुरोधा’ कहा है। उन्होंने नए और युवा लेखक तैयार किए जिन्हें मुख्यधारा के प्रकाशनों में जगह नहीं मिलती थी। सम्यक प्रकाशन ने एक नए दलित बौद्धिक वर्ग का निर्माण किया।

इस प्रकाशन ने पुस्तक प्रकाशन, वितरण के क्षेत्र में चली आ रही मोनोपोली को भी चुनौती दी है। सम्यक प्रकाशन के स्टाल आज देश के हर क्षेत्रीय, राष्ट्रीय पुस्तक मेलों में मौजूद रहते हैं। सम्यक प्रकाशन के स्टाल हिन्दी पट्टी के प्रमुख प्रकाशकों के बराबर की जगह की बुकिंग कराते हैं। कभी-कभी तुलनात्मक रूप से यह अधिक ही रहती है। दिल्ली में हर वर्ष लगने वाले विश्व पुस्तक मेले में ऐसे कम ही पाठक और साहित्यप्रेमी होंगे जो सम्यक के स्टाल पर न जाते हो नहीं तो वहाँ साहित्यप्रेमियों और पाठकों की भीड़ जमा रहती है। कहते हैं कि आज डिजिटल समय में प्रकाशन उद्योग में मायूसी सी है लेकिन यदि आप सम्यक के स्टाल पर जाएँ तो वहाँ आपको कभी मायूसी हाथ नहीं लगेगी बल्कि वहाँ आपको एक नई ऊर्जा से भरपूर लोग मिलेंगे, कोई किताबें पैक करता हुआ, कोई बिल बनाता हुआ तो कोई किताबों को पाठकों से परिचय करता हुआ।

सम्यक प्रकाशन में साहित्य के साथ ही अंबेडकरवादी आंदोलन से जुड़ी हुई प्रतीकात्मक वस्तुएँ भी मिल जाएंगी जैसे अंबेडकर की तश्वीर के साथ प्रिंटेड टी-शर्ट, टोपी, अशोक चक्र, पेन डायरी, भीम कलेंडर, लकड़ी की बनी हुई बुद्ध और अंबेडकर की मूर्तियाँ, शादी कार्ड, सभी महापुरुषों के आकर्षक पोस्टर साइज, जय भीम कैलेंडर, जय भीम डायरी, जय भीम पाकेट कैलेंडर, आकर्षक नोट बुक कई प्रकार के, चाबी के छल्ले, कई प्रकार के, पंचशील झंडी के पैकेट, पंचशील झण्डे अलग अलग साइज, पंचशील पटके, शगुन के लिफाफे कई प्रकार के, कार शेड, मूर्तियां छोटी बड़ी (बुद्ध और आंबेडकर), थ्री डी पिक्चर आदि।

यह प्रकाशन वास्तव में दलित सांस्कृतिक आंदोलन का विस्तार है। सम्यक प्रकाशन के पास लेखकों की एक बड़ी पूंजी है जो भारत के महानगरों से लेकर नगरों, कस्बों, अंचलों तक जाती है। यह सब हिंदी दलित प्रिंट के लिए, इक्कीसवीं शताब्दी में एक बड़ी उपलब्धि है। यह सब प्रयास ही दलित आंदोलन की निर्मिति करते हैं, उसे बनाते है। शांति स्वरूप बौद्ध इन उपलब्धियों को संभव बनाने वाले महापुरुष थे।


डॉ.अजय कुमार, शिमला स्थित भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान में 2017 से 2019 के दौरान फेलो रहे हैं। वह ‘समाज विज्ञानों में दलित अध्ययनों की निर्मिति’ पर काम कर रहे थे


About डॉ. अजय कुमार

View all posts by डॉ. अजय कुमार →

One Comment on “एक विचार की तरह याद किए जाएंगे सम्यक प्रकाशन के संस्थापक शांति स्वरूप बौद्ध”

  1. I love looking through a post that can make people think. Also, many thanks for permitting me to comment!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *