राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने जनपथ पर प्रकाशित एक स्तम्भ के आधार पर दायर की गयी याचिका का संज्ञान लेते हुए भारत सरकार के स्वास्थ्य सचिव को एक नोटिस भेजा है और चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है। मामला पैकेज्ड खाद्य पदार्थों के कारण होने वाले असंचारी रोगों से जुड़ा है जो देश में हो रही असमय मौतों का एक बड़ा कारण है।
जनपथ पर डॉ. लेनिन ने अपने नियमित कॉलम छान घोंट के के 4 सितंबर के अंक में देश में होने वाली 60 प्रतिशत मौतों के पीछे असंचारी रोगों का हाथ बताते हुए कुपोषण और मोटापे की समस्या पर चिंता जाहिर की थी। इस लेख के आधार पर वाराणसी स्थित संस्था पीवीसीएचआर की श्रुति नागवंशी और शिरीन शबाना खान ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में एक विस्तृत अर्जी लगायी जिसमें युवाओं, महिलाओं और बच्चों को इस समस्या का शिकार बताते हुए संज्ञान लेने की अपील की।
FOPLआयोग ने 14 सितम्बर को भेजे एक पत्र में सूचना दी कि शिकायत का संज्ञान लेते हुए उसे डायरी संख्या 15413/IN/2021 के तहत दर्ज कर लिया गया है। इस सम्बंध में 22 सितम्बर को केस (संख्या 4227/90/0/2021) दर्ज करते हुए आयोग ने बीते 11 अक्टूबर को भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सचिव को नोटिस भेजा है।
नोटिस में कहा गया है:
FOPL-NHRCआयोग को 14.09.2021 को वाराणसी निवासी श्रुति नागवंशी और शिरीन शबाना खान की ओर से शिकायत प्राप्त हुई जिसमें आरोप लगाया गया है कि असंचारी रोग भारत में मौत और रुग्णता के बड़े कारण हैं। पैकेज्ड खाद्य पदार्थ में नमक, चीनी और वसा की मात्रा काफी ज्यादा होती है जो मोटापे और असंचारी रोग का खतरा पैदा करता है। याचिकाकर्ता ने आयोग से प्रार्थना की है कि वह भारत में न्यूट्रिएंट प्रोफाइल मॉडल और फ्रंट ऑफ पैकेट लेबलिंग (एफओपीएल) विनियमन की व्यवस्था लागू करने में हस्तक्षेप करे जिससे खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को स्वस्थ भोजन निर्माण में मदद मिलेगी। आयोग ने इस मामले का संज्ञान लिया है। याचिकाकर्ता द्वारा उठाया गया मुद्दा सीधे जीवन के अधिकार और विशिष्ट रूप से स्वास्थ्य के अधिकार से ताल्लुक रखता है। मानवाधिकार से जुड़े ऐसे मुद्दों को आयोग गम्भीरता से लेता है। इसलिए भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव को एक नोटिस भेजा जाय और चार सप्ताह के भीतर इस पर रिपोर्ट मंगवायी जाय। इसके बाद यह मामला पूरे आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया जाय।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग
आदेश में अगली कार्रवाई की तारीख 18 नवम्बर, 2021 दर्ज है। आयोग ने इस मामले में संपूर्ण भारत में महिलाओं, युवाओं और बच्चों को ‘विक्टिम’ माना है।
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