दुनिया को खत्‍म करने वालों के खिलाफ़ बारूदी सुरंग है कविता

पलाश विश्‍वास सवा बजे रात को आज मेरी नींद खुल गयी है। गोलू की भी नींद खुली देख, उसकी पीसी आन करवा ली और फिर अपनी रामकहानी चालू। जो मित्र …

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फॉरवर्ड प्रेस प्रकरण: सैद्धांतिक समर्थन के साथ कुछ ज़रूरी सवाल

अभिषेक श्रीवास्‍तव  आज से कोई साढ़े आठ साल पहले यानी 2006 के फरवरी में ”सीनियर इंडिया” नाम की एक व्‍यावसायिक पाक्षिक पत्रिका के दफ्तर पर छापा पड़ा था। उसका विवादास्‍पद …

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कविता का एजेंडा या एजेंडे पर कविता: एक अपील

बहसें पुरानी पड़ सकती हैं, लेकिन नए संदर्भ नित नए सिरे से बहस किए जाने की ज़रूरत को अवश्‍य पैदा कर सकते हैं। मसलन, कुछ लोगों की इधर बीच की …

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हैदर: हसीन वादियों में खूंरेज़ी की दास्‍तान

व्‍यालोक  हैदर नाम की इस फिल्म को अगर आप कश्मीर-समस्या के बरक्स देखेंगे, तो कई तरह की गलतफहमी पैदा होने के अंदेशे हैं। यह मुख्यतः और मूलतः एक व्यक्तिगत बदले …

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