असहमति पर पांच विचार

अभिषेक श्रीवास्‍तव  1 असहमति- एक ख़तरनाक बात थी पिछले दौर में। उन्‍होंने   असहमति के पक्ष में और इसके दमन के विरुद्ध ही अब तक की है राजनीति। वे असहमत …

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शोला बनती है न बुझ के धुआं होती है!

प्रेम भारद्वाज  हमारे समय के तमाम लिक्‍खाड़ों के बीच प्रेम भारद्वाज चुपके से अपना काम कर रहे हैं। एक अदद साहित्‍य पत्रिका ‘पाखी’ का संपादन करते हुए यूं तो उन्‍होंने …

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