मोदी सरकार के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ भारत के लाखों किसानों के आंदोलन को न सिर्फ देश में बल्कि विदेशों से विशेषकर सिख बाहुल्य कनाडा के अलावा अमेरिका और ब्रिटेन से भी समर्थन मिल रहा है. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने तो भारत सरकार के तमाम आपत्तियों के बाद भी किसानों के इस ऐतिहासिक आंदोलन को खुला समर्थन दिया है। वहीं ऑस्ट्रेलिया में भी इस किसान आंदोलन को भारी समर्थन मिल रहा है. ऑस्ट्रेलिया में अडानी के खिलाफ गठित ‘स्टॉप अडानी आंदोलन’ ने भारतीय किसान आंदोलन के प्रति एकजुटता जाहिर करते हुए इस आंदोलन को समर्थन दिया है.
‘स्टॉप अडानी आंदोलन’ ने बीते 10 दिसंबर को एक वक्तव्य जारी कर भारत के किसान आंदोलन को समर्थन दिया है.
‘स्टॉप अडानी आंदोलन’ और ‘ऑस्ट्रेलियाई भारतीय’ के प्रवक्ता मनजोत कौर ने कहा- “पंजाब में मेरा परिवार किसानों की पीढ़ियों से आता है, वही किसान जो वर्तमान में मोदी और अडानी के कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं.“ उन्होंने कहा कि, मुझसे पहले कई पीढ़ियों से मेरे दादा, पिता उसी जमीन पर गेहूं की खेती करते आ रहे हैं और मेरा परिवार चाहता है कि आने वाली पीढ़ी भी किसानी जारी रखें, किन्तु इन नये कानूनों और जलवायु परिवर्तन हमारे जीवन के लिए खतरा बन चुका है.
मनजोत कौर ने कहा कि मेरे दादा ने जलवायु परिवर्तन देखा है, उन्होंने देखा है जिस नदी में वे खेला करते थे वह किस कदर प्रदूषित हो चुकी है.
उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार नवपूंजीवाद को बढ़ावा देते हुए अडानी जैसे पूंजीपतियों के हित में कृषि कानूनों में बदलाव कर उन्हें बर्बादी के मुहाने पर लाना चाहती हैं, वहीं, किसानों के हित को दरकिनार कर अडानी जैसे उद्योगपति के खतरनाक कोयला खदान के लिए स्टेट बैंक से पांच हजार करोड़ रुपए (एक बिलियन ऑस्ट्रेलियन डॉलर) दिया गया जो जलाने के लिए कोयला निकलेगा और भारतीय किसानों के लिए पर्यावरण का नाश करेगा.
वहीं सेंट्रल क्वीन्सलैंड के किसान साइमन गेड्डा ने कहा कि एक किसान होने के नाते वह उन भारतीय किसानों के साथ खड़े हैं जो अडानी और भारत सरकार के नये कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं.
बता दें कि ‘स्टॉप अडानी’ ऑस्ट्रेलिया का कृषि और पर्यावरण आंदोलन है जिसने ऑस्ट्रेलिया में अडानी के खनन परियोजना को दस साल से काम शुरू करने नहीं दिया है.
भारत में किसानों ने 8 दिसंबर को ‘भारत बंद’ किया था और अंबानी और अडानी उत्पादों के बहिष्कार का भी एलान किया था. किसानों ने कहा था कि वे अंबानी-अडानी के किसी भी उत्पाद का उपयोग नहीं करेंगे और देश के लोगों से भी इनके उत्पादों के बहिष्कार करने का आग्रह किया था.