उत्तर बंगाल: श्रमजीवी अधिकार यात्रा में नये श्रम और कृषि कानूनों के खिलाफ सरकार को चेतावनी


उत्तर बंगाल। केन्द्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार द्वारा मजदूर-किसानों के खिलाफ फासीवादी नीतियों के प्रतिवाद में उत्तरी बंगाल में शुरू हुआ ‘श्रमजीवी अधिकार अभियान’ ने आज पांचवां दिन पूरा किया। यह अभियान बीते 6 फरवरी को शुरू हुआ था और मंगलवार 9 फरवरी की रात को खयरबारी पहुंचा था।

बुधवार,10 फरवरी की सुबह डुवर्स के मादरीहाट खण्ड के शिशुबारीहाट से पांचवी दिन का अभियान शुरू हुआ। डुवर्स के विभिन्न चाय बगान, वनबस्ती और नगरों के बीच से यात्रा करते श्रमजीवी अधिकार अभियान ने आज मुजुनाइ, हंटपाड़ा, दुम्सीपाड़ा, रामझोड़ा आदि क्षेत्र के चाय बगानों के बीच गुजरा। बगानों में पदसभा के साथ-साथ चाय बागान श्रमिकों को भाजपा सरकार द्वारा पारित किये गये  विभिन्न मजदूर और किसान विरोधी कानूनों के बारे में भी सचेत किया गया। 

इस अभियान के संयोजक अभिजीत राय ने केंद्र की मोदी सरकार की मजदूर-किसान विरोधी नीतियों के बारे में बताया कि-

सरकार ने 44 श्रम कानूनों को उद्योगपति और पूंजीपतियों को फायदा पहुँचाने के लिए ख़त्म कर दिया। जिससे कि मजदूरों का भरपूर शोषण होगा और वे मौत के मुहाने पर पहुंच जायेंगे। उनके सभी अधिकारों को इस सरकार ने निर्ममता से कुचलने का काम किया है। अब किसान विरोधी कृषि कानून लाकर उन्हें भी सड़क पर ला दिया है।

अभियान के दौरान सांस्कृतिक कर्मियों ने नुक्कड़ नाटक और गाने भी प्रस्तुत किये। पहाड़ तराई डुवर्स के चाय बगान सिन्कोना बगान और बनबस्ती के वासियों को जमीन का पट्टा, चाय बागान मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी और मजदूर और किसान विरोधी सभी कानूनों को रद्द करने की मांगों को लेकर शुरू हुआ यह अभियान आज रात वीरपाड़ा पहुंचा।
महिना भर चलने वाले यह अभियान तराई क्षेत्र में सम्पन्न होगा।

अन्तिम एवं तीसरे चरण पर यह अभियान दार्जिलिंग पहाड़ के विभिन्न चाय बगानों, सिन्कोना बगानों और बन बस्तियों से गुजरने के बाद सम्पन्न होगा।


(छेवांग इस अभियान में शामिल हैं, वहीं से उन्होंने यह ग्राउंड रिपोर्ट भेजी है)


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