लड़ाई जीत ली गयी है, आंदोलन फिलहाल स्थगित कर दिया गया है: संयुक्त किसान मोर्चा


संयुक्त किसान मोर्चा प्रेस बुलेटिन
378वां दिन, 9 दिसंबर 2021

भारत सरकार ने कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव के माध्यम से संयुक्त किसान मोर्चा को एक औपचारिक पत्र भेजा जिसमें विरोध कर रहे किसानों की कई लंबित मांगों पर सहमति व्यक्त की गयी। इसके जवाब में संयुक्त किसान मोर्चा दिल्ली सीमाओं पर राष्ट्रीय राजमार्गों और अन्य स्थानों पर चल रहे विभिन्न मोर्चों को हटाने की औपचारिक घोषणा करता है। वर्तमान आंदोलन को फिलहाल स्थगित कर दिया गया है, लड़ाई जीत ली गयी है और किसानों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए, विशेष रूप से सभी किसानों के लिए एमएसपी के कानूनी अधिकार को सुरक्षित करने के लिए सँघर्ष जारी रहेगा।

एसकेएम लखीमपुर खीरी सहित आंदोलन के लगभग 715 शहीदों को संघर्ष की शानदार और ऐतिहासिक जीत समर्पित करता है – एसकेएम सभी विरोध कर रहे किसानों और नागरिकों और अपने समर्थकों को अभूतपूर्व संघर्ष और आंदोलन के शानदार जीत के लिए तहे दिल से बधाई देता है।

किसानों की एकता, शांति और धैर्य जीत की कुंजी रही है और इसे किसी भी परिस्थिति में खत्म नहीं होने दिया जाएगा,यह किसानों ने शपथ ली है – एसकेएम ने सतर्क रहने और वादा सुनिश्चित कराने का सामूहिक निर्णय लिया है।

यह देखते हुए कि देश सीडीएस बिपिन रावत और उनके सहकर्मियों के निधन पर शोक मना रहा है, एसकेएम ने किसानों की जीत के संबंध में आज सभी समारोहों को स्थगित करने का फैसला किया है – जश्न की रैलियां अब 11 दिसंबर को निकाली जाएंगी, उस दिन किसान विजय रैलियां निकाल कर मोर्चा स्थलों को एक साथ छोड़ देंगे।

यह सुनिश्चित करने के लिए कि भारत सरकार विरोध कर रहे किसानों से की गयी अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा कर रही है और भविष्य की कार्रवाई का खाका तैयार करने के लिए एसकेएम की अगली बैठक 15 जनवरी को दिल्ली में आयोजित की जाएगी।

एसकेएम लंबे आंदोलन के दौरान धैर्य और समर्थन के लिए मोर्चा स्थलों के स्थानीय निवासियों को धन्यवाद देता है और उन्हें हुई असुविधाओं के लिए माफी चाहता है – एसकेएम इस आंदोलन में किसानों के साथ संघर्ष करने वाले श्रम संगठनों, महिला संगठनों और युवा/छात्र संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं ,वकीलों जिन्होंने कानूनी सहायता और एकजुटता बढ़ाई, डॉक्टरों जिन्होंने चिकित्सा शिविर स्थापित किए और अपनी अथक सेवाएं दीं, विभिन्न धार्मिक निकायों जिन्होंने लंगर स्थापित किया और प्रदर्शनकारियों को बिना शर्त और निर्बाध रूप से खिलाया, मानवाधिकार संगठनों सहित विभिन्न प्रगतिशील संगठनों जो समर्थन में खड़े थे, कई कलाकार जो लगातार आंदोलन के साथ थे, कई संगठन जिन्होंने एसकेएम के आह्वान का लगातार और निरन्तर जवाब दिया, राजमार्ग ढाबा मालिकों और किसान आंदोलन को अपनी संगठनात्मक बैठकें चलाने के लिए जगह देने वाले लोगों, एनआरआई और अंतर्राष्ट्रीय किसान संगठनों और अन्य लोगों जिन्होंने अपने अपने स्थानों पर एकजुटता की कार्रवाई की, सैकड़ों स्वयंसेवकों जिन्होंने अपनी सेवा देकर भाग लिया, और अन्य शुभचिंतकों को भी धन्यवाद देता है।

जारीकर्ता –
बलबीर सिंह राजेवाल, डॉ दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढूनी, हन्नान मोल्ला, जगजीत सिंह डल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहां, शिवकुमार शर्मा (कक्का जी), युद्धवीर सिंह, योगेंद्र यादव

संयुक्त किसान मोर्चा
ईमेल: samyuktkisanmorcha@gmail.com


About जनपथ

जनपथ हिंदी जगत के शुरुआती ब्लॉगों में है जिसे 2006 में शुरू किया गया था। शुरुआत में निजी ब्लॉग के रूप में इसकी शक्ल थी, जिसे बाद में चुनिंदा लेखों, ख़बरों, संस्मरणों और साक्षात्कारों तक विस्तृत किया गया। अपने दस साल इस ब्लॉग ने 2016 में पूरे किए, लेकिन संयोग से कुछ तकनीकी दिक्कत के चलते इसके डोमेन का नवीनीकरण नहीं हो सका। जनपथ को मौजूदा पता दोबारा 2019 में मिला, जिसके बाद कुछ समानधर्मा लेखकों और पत्रकारों के सुझाव से इसे एक वेबसाइट में तब्दील करने की दिशा में प्रयास किया गया। इसके पीछे सोच वही रही जो बरसों पहले ब्लॉग शुरू करते वक्त थी, कि स्वतंत्र रूप से लिखने वालों के लिए अखबारों में स्पेस कम हो रही है। ऐसी सूरत में जनपथ की कोशिश है कि वैचारिक टिप्पणियों, संस्मरणों, विश्लेषणों, अनूदित लेखों और साक्षात्कारों के माध्यम से एक दबावमुक्त सामुदायिक मंच का निर्माण किया जाए जहां किसी के छपने पर, कुछ भी छपने पर, पाबंदी न हो। शर्त बस एक हैः जो भी छपे, वह जन-हित में हो। व्यापक जन-सरोकारों से प्रेरित हो। व्यावसायिक लालसा से मुक्त हो क्योंकि जनपथ विशुद्ध अव्यावसायिक मंच है और कहीं किसी भी रूप में किसी संस्थान के तौर पर पंजीकृत नहीं है।

View all posts by जनपथ →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *