सामाजिक न्याय आंदोलन(बिहार) और रिहाई मंच के बैनर तले बहुजन नायकों की विरासत और बहुजनों की सामाजिक-राजनीतिक दावेदारी को बुलंद करने के आह्वान के साथ ‘हमारे नायक-हमारी विरासत, हमारा एजेंडा-हमारी दावेदारी’ अभियान जारी है.
रिहाई मंच के महासचिव राजीव यादव और सामाजिक न्याय आंदोलन (बिहार) के गौतम कुमार प्रीतम ने कहा है कि 17 सितंबर को बहुजन नायक ई.वी.रामासामी पेरियार का जन्मदिन है. वे वर्चस्व, अन्याय व शोषण के तमाम रूपों के खिलाफ थे. ब्राह्मणवादी वर्ण-जाति व्यवस्था, पितृसत्ता और पूंजी के शोषण से आजाद आधुनिक समाज व राष्ट्र के निर्माण के उनके क्रांतिकारी विचार और जुझारू संघर्ष की उनकी विरासत आज ब्राह्मणवाद व पूंजीवाद के गठजोड़ के तीखे हमले के दौर में बेहद जरूरी हो गये हैं.
दोनों नेताओं ने बताया है कि पेरियार के संघर्ष के कारण ही 1951 में संविधान में पहले संशोधन के जरिए अनुच्छेद 15 में उपखंड (4) जोड़ा गया और देश के अन्य पिछड़े वर्ग के लिए सामाजिक न्याय का रास्ता खुला.
जारी बयान में कहा गया है कि सवर्णों के शासन-सत्ता व अन्य क्षेत्रों में वर्चस्व की गारंटी के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण दिया जा चुका है और एससी, एसटी व ओबीसी के आरक्षण को अंतिम तौर पर ठिकाने लगाने की साजिश की जा रही है. सुप्रीम कोर्ट ने भी केन्द्र सरकार के साथ मोर्चा संभाल रखा है तो दूसरी तरफ निजीकरण की भी आंधी चल रही है. राष्ट्रीय संपत्ति-संसाधनों को देशी-विदेशी पूंजीपतियों के हवाले किया जा रहा है. रेलवे के साथ-साथ कोल इंडिया, बीपीसीएल, एलआईसी, बीएसएनएल, एयर इंडिया आदि को बेचने का अभियान जारी है. निजीकरण बेरोजगारी-गैरबराबरी बढ़ाता है तो आरक्षण को प्रभावहीन बनाता है. आर्थिक संकट और पूंजीपति पक्षधर नीतियों की मार भी ब्राह्मणवादी वर्ण-जाति व्यवस्था की संगति में ही पड़ती है. कोरोना महामारी के दौर में लॉकडाउन ने भी एससी, एसटी व ओबीसी पर ज्यादा मार किया है. अप्रैल के महीने में सवर्णों के तीन गुना दलितों ने रोजगार खोया है.
सामाजिक न्याय आंदोलन (बिहार) के रिंकु यादव और रामानंद पासवान ने कहा है कि निजीकरण, बेरोजगारी और आरक्षण पर हमले के खिलाफ आवाज बुलंद करते हुए पेरियार की जयन्ती मनाई जाएगी. दोनों नेताओं ने बहुजन संगठनों और सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं व बुद्धिजीवियों से अपील की है कि ई.वी.रामासामी पेरियार के जन्मदिन को ब्राह्मणवाद व पूंजीवाद के गठजोड़ के जारी हमले के प्रतिरोध का दिन बना दें और उनकी जुझारू विरासत को बुलंद करते हुए उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दें.
*रोजगार दो नहीं तो बेरोजगारी भत्ता दो! रोजगार को मौलिक अधिकार बनाओ!
*निजीकरण पर रोक लगाओ!
*निजी क्षेत्र में भी आरक्षण दो!
*क्रीमी लेयर को पुनर्परिभाषित करने के जरिए ओबीसी आरक्षण पर हमला बंद करो!
एससी-एसटी आरक्षण में भी क्रीमी लेयर लागू करने की साजिश बंद करो!
क्रीमी लेयर का असंवैधानिक प्रावधान खत्म करो.
*2021 में जनगणना के साथ जाति जनगणना की गारंटी करो!