विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ बीते 55 दिनों से राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन पर बैठे हुए किसानों के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण के नेतृत्व में गठित दर्जन भर चर्चित लोगों की एक कमिटी ने आगामी 23-24 जनवरी को दो दिवसीय ‘किसान जन संसद’ बुलाया है. इस किसान संसद में तीनों कृषि कानून, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP), किसानों पर सत्ता का दमन के साथ किसानों की अन्य समस्याओं पर चर्चा की जाएगी. इस किसान संसद में सभी दलों के सीटिंग व पूर्व सांसदों, कृषि विशेषज्ञों और किसान नेताओं को शामिल होने के लिए आमंत्रण भेजा जाएगा.
नेशन फॉर फार्मर्स, पीपल फर्स्ट और जनसरोकार जैसे संगठनों ने इस इस ‘किसान संसद’ का समर्थन किया है. इस किसान संसद का आयोजन सिंघु बॉर्डर के पास गुरु तेगबहादुर मैमोरियल में किया जायेगा.
इस कमिटी में जस्टिस गोपाल गौड़ा, जस्टिस कोलसे पाटिल, एडमिरल रामदास, आरटीआइ कार्यकर्ता अरुणा राय, वरिष्ठ पत्रकार पी साईनाथ, पूर्व वित्त मंत्री और बीजेपी सांसद यशवंत सिन्हा, नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर, संत गोपालदास, मोहम्मद अदीब, प्रोफेसर जगमोहन सिंह, पूर्व कृषि मंत्री सोमपाल शास्त्री और प्रशांत भूषण शामिल हैं.
इस बारे में आज प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रशांत भूषण ने कहा :
किसानों का यह ऐतिहासिक आंदोलन तीनों नये कृषि कानूनों को वापस लिए जाने और किसानों को कम से कम एमएसपी मिल सके उसके लिए यह आंदोलन चल रहा है. जिस तरह से इन नये कानूनों को संसद में तमाम नियमों को ताक में रखकर बिना किसी बहस के और संसदीय समिति के पास चर्चा के लिए भेजे पास कराए गये, संसद में जहां सरकार को बहुमत नहीं है वहां बिना चर्चा और वोटिंग के राज्य सभा के कई सदस्यों की आपत्तियों के बाद भी शोरगुल के बीच इन्हें पास घोषित कर दिया गया.
प्रशांत भूषण ने आगे कहा-
वहीं पूर्व कृषि मंत्री सोमपाल शास्त्री ने मोदी सरकार द्वारा स्वामीनाथन कमीशन और कृषि कानूनों के बारे में फैलाये गये भ्रम और झूठ का खुलासा करते हुए विस्तार से अपनी बात रखी.
उन्होंने कहा कि
सरकार ने हर कदम पर झूठ बोला और खुद सरकार ने सुप्रीमकोर्ट में हलफनामा देकर कहा था कि स्वामीनाथन आयोग द्वारा प्रस्तावित दर किसानों को देने में सरकार सक्षम नहीं है. फिर हर जगह झूठ बोल रही कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू कर दी.
उन्होंने बताया कि अमेरिका, ब्रिटेन और जापान में भी सरकारें किसानों को मदद देती हैं.
उन्होंने किसानों के लिए सरकार के सामने चार मांगे रखीं.
मोहम्मद अदीब ने कहा:
इस सरकार ने उस संसद में किसानों का मजाक उड़ाया है जिसे लोकतंत्र का मंदिर कहा जाता है, अब उसके स्थान पर नया संसद बनाया जा रहा है.
एक सवाल के जवाब में प्रशांत भूषण ने कहा कि दो दिन के किसान संसद में सभी दलों के नेताओं को आने के आमंत्रण भेजा जाएगा. इसी प्रश्न के जवाब को आगे बढ़ाते हुए कहा कि, सभी एमपी और पूर्व सांसदों को भी आमंत्रित किया जाएगा. एक दूसरे सदस्य ने कहा कि हम प्रधानमंत्री भी आना चाहें तो आये, किंतु वे किसानों के पक्ष में वहां अपनी बात रखें. एक दूसरे सदस्य ने कहा कि हम प्रधानमंत्री भी आना चाहें तो आये, किंतु वे किसानों के पक्ष में वहां अपनी बात रखें.
किसानों के गणतंत्र दिवस पर किसी भी हिंसा की आशंकाओं को ख़ारिज करते हुए कहा गया कि, किसानों की ओर से पहले ही कहा जा चुका है कि वे आउटर रिंग रोड पर परेड करेंगे राष्ट्रीय ध्वज लगाकर उसके बावजूद पुलिस उन्हें दिल्ली में घुसने से रोकने के लिए अदालत जाती है! ऐसा शायद पहली बार हो रहा है इस देश के इतिहास में.