देश को अडानी-अम्बानी के हाथों फिर से गुलाम नहीं होने देंगे: किसान संघर्ष समिति


छिन्दवाड़ा में किसान संघर्ष समिति के 23वें स्थापना दिवस के अवसर पर समिति के सचिव चेतराम ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि सरकार लगातार किसानों को गुमराह कर रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कह रहे हैं कि मण्डी व्यवस्था तथा समर्थन मूल्य सरकार जारी रहेगी, किन्तु सरकार समर्थन मूल्य पर खरीदी की बात नहीं कह रही है।

चेतराम ने कहा-

मक्के के समर्थन मूल्य सरकार ने 1850 रूपये तय किया है किन्तु मक्का कृषि उपजमण्डी के अन्दर भी किसान 1100 से 1200 रूपये प्रति क्विंटल बेचने पर मजबूर है। एक क्विंटल मक्का पैदा करने पर पर किसान को 1200 रूपये का खर्च आता है।

उन्होंने कहा कि सरकार की गलत नीतियों के कारण आज किसान कर्जे में है।

जगन्नाथ चौरिया ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश के किसान दिल्ली की सीमा पर ठिठुरती ठण्ड में बैठे हैं, आज उनके आन्दोलन का 30वाँ दिन है, किन्तु सरकार किसानों की बात नहीं सुन रही है, किसानों का आन्दोलन पूरे देश में फैल चुका है और वह अब राष्ट्रीय आन्दोलन बन चुका है।

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बैरिस्टर गुलाबचन्द चौधरी के नाती गगन चौधरी ने सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा-

मेरे दादाजी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे, नेहरूजी के साथ पढ़े थे, नेहरू जी के दोस्त थे। गांधीजी के असहयोग आन्दोलन के दौरान 1 साल 10 माह नागपुर सेन्ट्रल जेल में रहे। कांग्रेस की गलत नीतियों के कारण उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। मेरे शरीर में बैरिस्टर गुलाबचन्द चौधरी का खून है लाखों कुर्बानियाँ देने के बाद यह देश आजाद हुआ है, अब हम अडानी और अम्बानी के हाथों में देश को सौंप कर पुनः गुलाम नहीं होने देंगे।

उन्होंने जिले के युवाओं से निवेदन किया कि यह देश जितना मेरा है उतना आप का भी है, हम सब मिलकर तीन किसान विरोधी कानृन का तब तक विरोध करेंगे जब तक सरकार उन्हें रद्द नहीं कर देती।

सभा को सम्बोधित करते हुए दिनेश कुड़ापे कहा कि छिन्दवाड़ा जिला गोंड़ राज्य रहा है, देवगढ़ किला इस बात का घोतक है। तीन किसान विरोधी कानून आदिवासियों की जमीन आदिवासियों से छीनने के लिए बनाये हैं, हम सब मिलकर किसान विरोधी कानून का विरोध करते हैं।

कामरेड सतीश जैन ने कहा कि मैं रेमंड फैक्ट्ररी में काम करता था। पूँजीपति किस तरीके से मजदूरों का शोषण करते हैं, यह मैंने अच्छे तरीके से देखा है। पूरा देश अडानी और अम्बानी के हाथों में सौंपने के लिए प्रधानमंत्री ने श्रम कानून में 44 संशोधन करके श्रमिकों को अडानी और अम्बानी का गुलाम बना दिया है।

सभा के अन्त में किसान संघर्ष समिति की प्रदेश उपाध्यक्ष एडवोकेट आराधना भार्गव ने कहा-

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आन्दोलन कर रहे किसानों की बात न सुनकर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी का अपमान किया है।

भार्गव ने अटल बिहारी बाजपेयी के किसान आन्दोलन के अंश मोबाईल के माध्यम से किसानों को सुनवाये। उन्होंने कहा कि माॅचागोरा बाँध का पानी पूरे जिले के किसानों को तो नहीं मिला लेकिन अडानी को बेच दिया। केन्द्र सरकार ने कोरोना महामारी के दौरान जो तीन कानून लाये हैं वे किसान विरोधी ही नही देश विरोधी भी है। उन्होंने कहा कि देश की सम्पदा अडानी और अम्बानी को सौंपने के बाद यह देश पुनः ईस्ट इंडिया कम्पनी के समान गुलाम हो जाएगा, फिर देश भारत के संविधान से नहीं बल्कि अडानी और अम्बानी के कानून से चलेगा।

उन्होंने कहा कि देश का किसान इस देश को अडानी और अम्बानी की गुलामी से बचाने के लिए दिल्ली को कड़कड़ाती ठण्ड में खुले असमान के नीचे घेरा डालकर बैठे हैं। उन्होंने कहा कि इस बार देश के अन्नदाता ने ठान लिया है कि वह जब तक तीन देश विरोधी कानून सरकार द्वारा निरस्त नहीं करवा लेगा, वापस अपने घरों में नहीं लौटेगा। उन्होंने कहा कि किसान संघर्ष समिति किसानों की कर्जा मुक्ति तथा किसानों द्वारा उत्पादित सभी उत्पाद की समर्थन मूल्य पर खरीदी का कानून बनाने की मांग करती है।

सभा को साउलाल किरार, कुंआरलाल किरार, जोगीलाल किरार, ईश्वर कुमरे, राजकुमार कहार बाबुलाल घोर, पूनाराम किरार, चैतराम पटेल, शेख हफीज मंसूरी, जगन्ननाथ चौरिया, राजाराम वर्मा, नन्दकिशोर भावंरगर, चंचलेश बजौलिया, श्रीपाल चैरिया, झलकसिंह चैरिया, चैतराम वर्मा, रामप्रसाद चैरिया, बुधुलाल चैरिया आदि किसानों ने सम्बोधित किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता पूनाराम नरवरेजी ने की।


किसान संघर्ष समिति, छिन्दवाड़ा द्वारा जारी


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