कुरुक्षेत्र : प्रथम शिक्षिका के जन्मदिवस पर सभा, प्रदर्शन और शिक्षा के निजीकरण पर चर्चा


जन संघर्ष मंच हरियाणा की ओर से देश की प्रथम शिक्षिका सावित्रीबाई फुले के 194वें जन्मदिवस पर उनकी याद में 3 जनवरी 2025 को शहर थानेसर कुरूक्षेत्र के वार्ड 23 में गोबिन्दगढ की धर्मशाला में स्मृति सभा व प्रदर्शन का आयोजन किया गया जिसमें मंच की वरिष्ठ नेता चन्द्र रेखा, उषा कुमारी व पूजा ने सावित्रीबाई फुले द्वारा शोषित पीड़ित वंचित वर्ग यानि महिलाओं, कन्या शिशुओं, बच्चों की भलाई के लिए दिए गए उनके अमूल्य योगदान पर विस्तार से प्रकाश डाला व उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

मंच की नेता चन्द्र रेखा व ऊषा कुमारी ने बताया कि 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र के सतारा जिले के नाए गांव में जन्मी सावित्रीबाई फुले ने अपने पति ज्योतिबा फुले व अपनी सहयोगी फातिमा शेख के साथ मिलकर देश में 1848 में प्रथम बालिका स्कूल पुणे में खोला था जिसमें हर जाति व धर्म की बालिकाएं पढ़ती थीं। उन्होंने कहा कि उस जमाने में हमारे देश में हिंदू धर्म में यह स्थापित मान्यताएं थीं कि स्त्री व शूद्र अध्ययन नहीं कर सकते और इस बुरी मान्यता कुरीति का सभी वर्गों के लोग पालन करते थे लेकिन सावित्रीबाई फुले व उनके पति ज्योतिबा फुले ने हिंदू धर्म की जाति वर्ण व्यवस्था व महिलाओं पर पुरुषों के वर्चस्व के खिलाफ नारी शिक्षा के लिए संघर्ष किया। उन्होंने कहा कि समाज सुधारक सावित्रीबाई फुले ने लड़कियों की शिक्षा के लिए जो संघर्ष किया वह फातिमा शेख व उनके भाई उस्मान शेख के सहयोग के बिना सम्भव न होता। जब सावित्रीबाई फुले व ज्योतिबा फुले महिला शिक्षा, विधवा विवाह, कन्या हत्या, सती प्रथा, छुआछूत के विरोध में महिलाओं के स्कूल आदि खोल रहे थे तो उन्हें कट्टरपंथी साम्प्रदायिक ताकतों का कोपभाजन बनना पड़ा। उस समय बीबी फातिमा शेख व उनके भाई उस्मान शेख ने फुले दंपत्ति को अपने घर में शरण दी व अपने परिसर में स्कूल खुलवाया महिलाओं और दलित जातियों को शिक्षित करने के लिए सावित्रीबाई फुले ने कठिन प्रयास किए।



छुआछूत मिटाने, महिलाओं की मुक्ति एवं शिक्षित करना ही उनके जीवन का उद्देश्य बन गया था। इसके लिए उन्हें धार्मिक कट्टर रूढ़िवादी ताकतों के विरोध का भारी सामना करना पड़ा। जब वे बालिका स्कूल में पढ़ाने जाती थीं तो उन पर गोबर, कीचड, पत्थर फेंके जाते थे क्योंकि उस समय बालिकाओं के लिए स्कूल खोलना पाप माना जाता था। इन तमाम तरह की बुराइयों के खिलाफ भारत में सावित्रीबाई फुले, उनके पति ज्योतिबाफुले व फातिमा शेख ने संगठित रूप से चुनौती दी और आजीवन महिलाओं की मुक्ति व शिक्षा के लिए संघर्ष करती रहीं।

उन्होंने कहा कि आज देश में भाजपा की केंद्रीय व राज्य सरकारें देश में हजारों कन्या स्कूलों को बंद कर चुकी है। सावित्रीबाई ज्योतिबा फुले ने जिन मनुवादी, रुढ़िवादी ताकतों के खिलाफ आजीवन संघर्ष किया आज वही ताकतें सत्ता में मौजूद हैं। आज देश में भाजपा की केंद्रीय व राज्य सरकारें शिक्षा का व्यापरीकरण, निजीकरण साम्प्रदायीकरण कर रही हैं। वैज्ञानिक शिक्षा की जगह पर रूढ़िवादी विषयों को पाठ्यक्रम में शामिल किया जा रहा है। निजीकरण, साम्प्रदायिक हिंदुत्ववादी फासीवादी एजेंडे को आगे बढ़ाने वाली कारपोरेटपरस्त राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 कोरोना काल में मोदी सरकार पास कर चुकी है। इसे देश में तेजी से लागू किया जा रहा है। नयी शिक्षा नीति 2020 में पाठ्यक्रम से प्रियोडिक टेबल क्लासिफिकेशन ऑफ़ एलिमेंट्स ( मेंडलीफ आवर्त सारणी ), डार्विन की खोज पर आधारित मानव के क्रमिक विकास की कहानी, लोकतंत्र एवं विविधता, लोकतंत्र की चुनौतियां, जन संघर्ष और आंदोलन, औद्योगिक क्रांति, जन आंदोलन का उदय, रिप्रोडक्शन इन आर्गनिज्म, केमिस्ट्री एवरीडे लाइफ, समानता के लिए संघर्ष, शीत युद्ध का दौर आदि महत्वपूर्ण अध्यायों को हटा दिया गया है। बुनियादी शिक्षा को आंगनबाड़ी के हवाले करके बच्चों की नींव को ही कमजोर किया जाएगा। शिक्षा को महंगे से महंगा किया जा रहा है।

अकेले हरियाणा में करीब पांच हजार सरकारी स्कूलों को मर्जर के नाम भाजपा सरकार बंद कर चुकी है। शिक्षा संस्थानों को सैल्फ फाईनैंस व अपना सिलेबस बनाकर अपनी डिग्री देने की स्वायत्तता देकर शिक्षा की गुणवत्ता को ही खराब करना है और इस तरह देश के संविधान के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप को खत्म कर हिंदू राष्ट्र की ओर देश को ले जाने का कार्यक्रम बनाया गया है। धर्म व जाति के आधार पर मेहनतकश वर्ग की एकता को टुकड़े टुकडे करने की साजिशें भाजपा के नेता, सांसद, मन्त्री लगातार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश में आज बलात्कारी कातिलों के हौसले बुलंद हैं। उन्हें कानून, सरकार का कोई डर नहीं है इसलिए स्कूल कालेजों में कहीं भी कोई महिला बच्ची सुरक्षित नहीं है। हरियाणा के जींद, कैथल व अन्य जिला के स्कूलों में अध्यापकों यहां तक की प्रिंसिपल ने अनेक छात्राओं के साथ यौन हिंसा की है जिससे बच्चियां अपने आप को बुरी तरह से असुरक्षित महसूस कर रही हैं। बच्चियों के लिए स्कूलों में पढ़ने का माहौल खराब हो चुका है ऐसा यह इसलिए हो रहा है क्योंकि यौन अपराधी मंत्री, सांसद, आईटी सेल अपराधी, बीजेपी लोगों के संरक्षण में सरकार पूरी तरह से खड़ी हो जाती है और पीड़ितों का साथ नहीं देती। उन्हें धरने प्रदर्शन करने पड़ते हैं और सरकार पीड़ितों का दमन करती है।

उन्होंने कहा कि हमें सावित्रीबाई फुले, फातिमा शेख जैसी समाज सुधारक महिलाओं से शिक्षा लेते हुए हर तरह के अत्याचार, जुल्म, गैरबराबरी के खिलाफ संगठित होकर विरोध करने के लिए पहलकदमी करनी होगी। इस प्रोग्राम में पूजा, प्रतिमा, प्रीति,रूबी, सीता, कमला, ममता, पुष्पा व अन्य महिलाओं ने भाग लिया।

जारीकर्ता
सुदेश कुमारी
प्रान्तीय महासचिव
जन संघर्ष मंच हरियाणा


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