मजदूर अधिकार संगठन (मास) के अध्यक्ष शिवकुमार और कार्यकर्ता नवदीप कौर को हरियाणा पुलिस को पिछले महीने गिरफ्तार कर लिया था. नवदीप के साथ हिरासत में पुलिस द्वारा बर्बरता और यौन हिंसा की खबरें आईं थी. वहीं शिवकुमार के परिवार और मास का कहना है कि उन्हें शिवकुमार से मिलने नहीं दिया पुलिस ने. इतना ही नहीं शिवकुमार के वकील तक को पुलिस ने उनसे मुलाकात करने नहीं दिया. शिवकुमार फ़िलहाल सोनीपत जेल में बंद है.
गौरतलब है कि देश की राजधानी दिल्ली से सटे हुए कुंडली औद्योगिक क्षेत्र में मजदूरों के अधिकारों के लिए काम करने वाले मजदूर अधिकार संगठन के कार्यकर्ता नवदीप कौर को हरियाणा पुलिस ने बीते 12 जनवरी को गिरफ्तार किया था, वहीं संगठन के अध्यक्ष शिवकुमार को पुलिस ने 16 जनवरी को उठा लिया था.
जनपथ के लिए मनदीप पुनिया ने इस मामले पर जब शिवकुमार के पिता राजबीर जी से बात की तो उन्होंने बताया कि शिवकुमार को बीते 16 जनवरी को पुलिस ने गिरफ्तार किया था, किंतु 30 जनवरी तक उन्हें इसकी सूचना नहीं दी पुलिस ने. उन्होंने बताया कि शिव की गिरफ्तारी की जानकारी उन्हें 30 जनवरी को दोपहर 12 बजे के बाद मिली थी किन्तु इसके बाद भी पुलिस ने उन्हें और यहां तक कि वकील को भी शिवकुमार से मिलने नहीं दिया. यह तक नहीं बताया गया था कि शिवकुमार को कहां कैद करके रखा गया है.
शिवकुमार के पिता ने आरोप लगाया है कि पुलिस वालों ने ना तो किसी को उनसे मिलने दिया, ना ही गिरफ्तारी का कोई कारण उन्हें बताया. वहीं शिवकुमार के दोस्त अंकित ने शिवकुमार के बारे में जनपथ को विस्तार से बताया है.
इस बीच मजदूर अधिकार संगठन द्वारा एक प्रेस रिलीज जारी कर कार्यकर्ताओं पर पुलिसिया दमन की निंदा करते हुए शिवकुमार और नवदीप कर की रिहाई की मांग की गयी है. संगठन ने अपने वक्तव्य में कहा है-
देश की राजधानी दिल्ली की नाक नीचे बसे कुंडली औद्योगिक क्षेत्र में मजदूरों का जीवन एक बदतर हालातों से गुजर रहा है. ऐसे में मजदूर अधिकारों के लिए जब मजदूर- किसान एकजुट होकर अपने अधिकारों की मांग करते हैं तो इस मजदूर-किसान एकता को तोड़ने के लिए सरकार व प्रशासन दमनकारी शक्तियों का प्रयोग करती है. नेतृत्वकारी मजदूर युवा-युवती को प्रताड़ित करके जेल में ठूंस देती है. उन्हें उद्योगपतियों द्वारा पाले गए बाउंसर और पुलिस के गठजोड़ से दबाया जाता है. उन पर खौफ़नाक हिंसा की जाती है. अधिकार संगठन के अध्यक्ष शिवकुमार व नेता नवदीप कौर की गिरफ्तारी से पुलिसिया दमन का पर्दाफाश होता है. नवदीप कौर व शिव कुमार को पुलिस कस्टडी में दर्दनाक, खौफ़नाक तरीके से पीटा जाता है.
गौरतलब है कि बीते दिनों शिवकुमार और नवदीप किसान आंदोलन में शामिल होकर मजदूर-किसान को एकजुट होने की बात कह रहे थे जहां से पुलिस ने उनको उठा लिया था.
शिवकुमार के पिता एक दिहाड़ी मजदूर हैं और वे कहते हैं कि घर की हालात की वजह से शिव को भी काम करना पड़ा. उन्होंने कहा कि शिव न सिर्फ मजदूर बनकर कर काम कर रहा था, बल्कि वह मजदूरों के अधिकार के लिए संघर्ष भी कर रहा था. शिव के पिता एक मार्मिक और मासूम किन्तु बहुत महत्वपूर्ण सवाल करते हैं – क्या किसी के हक़ के लिए लड़ना गुनाह है?