माइनोरिटी कोआर्डिनेशन कमिटी, गुजरात ने नंदासन, मेहसाना के 2002 दंगा विस्थापित कालोनी में धर्म, अन्य विश्वासों के आधार पर हिंसा के पीड़ितों की याद के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर एक बैठक का आयोजन किया|
बैठक को संबोधित करते हुए वहाब अंसारी ने इस खास दिन के महत्व को समझाते हुए बताया कि दुनिया भर में धर्म और अन्य विश्वास रखने वाले लोगों पर हो रहे हमलों, घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी के चलते संयुक्त राष्ट्र संघ ने अपने 73 वे सत्र में दुनिया भर में हो रही घटनाओं पर गंभीर चर्चा की थी और एक प्रस्ताव लिया था कि 22 अगस्त, 2019 को पूरी दुनिया में पहली बार धर्म, अन्य विश्वासों के आधार पर हिंसा के पीड़ितों की याद के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जाये|
“अंतर्राष्ट्रीय दिवस धर्म या विश्वास के आधार पर हिंसा के अधिनियमों के पीड़ितों का वर्णन करते हुए” (दस्तावेज़ A / 73 / L.85) के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सभी सदस्य राज्यों, संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय, क्षेत्रीय संगठनों, नागरिक समाज और निजी क्षेत्र को आमंत्रित किया कि वे इस अंतर्राष्ट्रीय दिवस को मनाएँ।
धर्म के आधार पर दंगे और उनके पुनर्वास मे लापरवाही, धर्म पर आधारित यातना और पिटाई या पुलिस द्वारा विश्वास धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रति उत्पीड़न और भेदभावपूर्ण व्यवहार के महज कुछ उदाहरण हैं। ये संकल्प किसी विशिष्ट धर्म या विश्वास से संबंधित नहीं है, लेकिन हिंसा के सभी पीड़ितों के लिए और धार्मिक विविधता के लिए सम्मान के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए है|
गुजरात में 2002 के दंगे यहाँ पर धर्म के आधार पर उत्पीड़न का बड़ा उदाहरण हैं| इन दंगों के पीड़ितों को उचित मुआवज़ा, पुनर्वास सरकार के द्वारा नहीं किया गया| ये कालोनी भी एक ट्रस्ट ने बनाई है, पीड़ितों को सरकार ने घर भी नहीं दिये, ये पीड़ितों के प्रति धर्म के आधार पर भेदभाव का स्पष्ट उदाहरण है|
मीटिंग मे फ़ीरोज भाई, सहराबेन कुरेशी, भिखाभाई परमार, आसिफ़ कुरेशी, महजबीन घांची व कालोनी के तमाम लोग उपस्थित रहे|
इस मीटिंग में सांप्रदायिक दंगों के शिकार बने लोगों के मूलभूत अधिकारों के लिए और मज़बूती से लड़ने का संकल्प लिया गया और मांग की गयी कि सरकार सांप्रदायिक हिंसा के पीड़ितों के पुनर्वास के लिए पुनर्वास नीति बनाए जिससे पीड़ितों का पुनर्वास सही ढंग से हो सके|
मुजाहिद नफ़ीस
संयोजक
माइनॉरिटी कोऑर्डिनेशन कमेटी