इंदौर। मध्य प्रदेश के श्रमिकों के लिए सतत संघर्षशीलता का प्रतीक सेंचुरी यार्न/डेनिम मिल्स के सत्याग्रह स्थल पर आज एक अनोखा कार्यक्रम हुआ। ‘श्रमिक जनता संघ’ जो आजादी के आंदोलन से निकला श्रमिक संगठन है, श्रमिकों के अधिकार के प्रति जागृति फैलाते हुए मध्य प्रदेश के सेंचुरी के साथ-साथ, जहां-जहां अन्याय, अत्याचार है, वहां के श्रमिकों को संबल देते हुए आगे बढ़ेगा।
पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र (जिला धार) के प्रतिभा अवटेक और अन्य कंपनियों के श्रमिक, मराल इंडस्ट्री के श्रमिक भी इस सभा में शामिल हुए। सभा में किसानों के तथा श्रमिकों के राष्ट्रीय आंदोलन, जो कि संविधान विरोधी कानून थोपने और निरस्त करने के खिलाफ हैं, कॉर्पोरेटीकरण को चुनौती दे रहे हैं, उनका समर्थन की घोषणा की।
सर्वसाधारण सभा के बाद आयोजित आम सभा में श्रमिक संसद प्रस्तुत हुई। इसमें ग्वालियर से आये सुनील गोपाल ने 2014 में मात्र 31% वोट पाकर सत्ता में आये मोदी जी और उनकी सरकार को प्रखर चुनौती देतू हुए कहा कि- एक सांड को मानो घेर के बैठे हैं किसान। कोरोना के नाम पर खत्म किये जा रहे जनतंत्र ही नहीं, श्रम कानूनों की बात भी उन्होने उठायी। कई यूनियनों की, जे.सी. मिल्स को लेकर अनुभव में आयी, मालिक-नेताओं के बीच समझौते की हकीकत बतायी। उन्होंने सेंचुरी मिल्स के ऐतिहासिक आंदोलन को ‘एक मिसाल’ बताकर सलाम किया।
आज की साधारण सभा में श्रमिक जनता संघ की पुन: अध्यक्ष चुनी गई मेधा पाटकर ने बिरला परिवार को याद दिलायी कि-
कभी वे भी थे आजादी आंदोलन के साथ! आज बिरला समूह बिलियन्स ऑफ डॉलर्स के धनी होते हुए, मुनाफाखोरी बढ़ाने के लिए कपड़ा मिलों का, रोजगार की बलि देकर सीमेंट और कैपिटल की ओर बढ़ रहे हैं। आज भी अगर वे जान ले कि श्रमिकों को उनसे अपेक्षा है तो शायद संवेदना से संवाद को आगे बढायेंगे। अगर नहीं तो हम श्रमिकों की आज की बदतर हालात के पीछे छुपी कॉर्पोरेट मनमानी को वैसे ही चुनौती देंगे, जैसे किसानों ने दी है।
समाजवादी समागम के वरिष्ठ साथी रामस्वरूप मंत्री ने कहा कि-
सेंचुरी आंदोलन ने 1208 दिनों के सत्याग्रह से इतिहास रचा है और यूनियंस का तथा समाज का भी प्रबोधन किया है। पिछले 3 साल से ज्यादा समय से चल रहा यह आंदोलन देश के श्रमिक आंदोलन को निश्चित ही एक दिशा देगा। यहां से उठी आवाज किसानों मजदूरों की लड़ाई को मंजिल तक पहुंचाएगा। देश और प्रदेश की सरकार भले ही पूंजीपति की चाकरी में जुटी रहे लेकिन अंततः जीत मजदूरों की ही होगी।
पीथमपुर के जुझारू श्रमिक नेता धर्मपाल अधिकारी ने कहा कि एक समय था कि-
कंपनियां स्थायी रोजगार देती थी, लेकिन आज यह परंपरा खत्म हुई। बेरोजगारी, छटनी की बात धतकियों से शुरू होती है। कंपनियों की ऐसी मनमानी के खिलाफ, अवटेक कंपनी के 217 श्रमिकों की छटनी के खिलाफ शुरू हुई लड़त! कानूनी त्रुटियां निकालकर संघर्ष से कुछ सफलता मिली फिर भी हमारी मांग पूरी नहीं हुई तो हमें पता चला कि शासन-कंपनी का गठबंधन ही इसके पीछे है।
श्रमिक जनता संघ के जगदीश खैरलिया ने म.प्र. के श्रमिक एकता को बल-संबल देने का वायदा किया और कहा कि आज नहीं, तो कभी नहीं! उन्होंने मुम्बई के महानगरपालिका के मजदूरों ने संघर्ष से हासिल किये लाभों की जानकारी देकर विश्वास व्यक्त किया कि मध्य प्रदेश में भी चार संहिता नही, 44 श्रमिक पक्षी कानूनों के बारे में चल रहा संघर्ष जीतेगा।
युवा कार्यकर्ता, खुदाई खिदमतगार के कृपाल ने पुलिस प्रशासन की मनमानी, सर्वोच्च अदालत की सिफारिशों के उल्लंघन की बात रखते हुए उज्जैन, मंदसौर में घटी साम्प्रदायिक दंगो की घटना में पुलिस की चुप्पी का धिक्कार करते हुए सेंचुरी और अन्य श्रमिकों को चेताया कि वे अहिंसक रहकर पुलिस की हो या साम्प्रदायिक गुंडो की हिंसा का खत्म करने की शपथ ले।
अधिवक्ता विजय शर्मा ने म. प्र. शासन को चेतावनी दी कि आपके श्रमायुक्त और श्रम मंत्रालय से सही हस्तक्षेप नहीं हुआ तो हमारे श्रमिक एक जुटता से देशभर के समर्थकों को साथ लेकर अहिंसक सत्याग्रह और तेज करेंगे। प्रदीप , गुना और दिनेश कुशवाह, किसान संघर्ष समिति, ज्योति भदाने ने भी संबोधित किया।
मशाल जुलूस निकालकर शहीदों को दी श्रद्धांजलि
जनसभा के बाद श्रमिकों ने प्रमोद नामदेव, कृपाल भाई, रवि अन्जाने, सविता पटेल और सभी युवाओं के नेतृत्व में विशाल जुलूस निकालकर किसान आंदोलन के और भारत की सीमा पर शहीद हुए किसानों-जवानों को श्रध्दांजलि दी! बच्चों – महिलाओं ने भी जोरशोर से सहभाग लिया। पूरे कार्यक्रम में नवीन मिश्रा और सेंचुरी के बच्चों के गीतों ने प्रेरणा भी दी तथा आंदोलन में शामिल श्रमिकों को उत्साह और संकल्प भी दिलाया।
किसान संघर्ष समिति मालवा निमाड़
9425902303, 9179623769