UP: मानवाधिकार हनन के केस में मुख्य सचिव को NHRC का नोटिस, 25000 के मुआवजे की सिफारिश


उत्‍तर प्रदेश के एटा जिले के सरकारी अस्‍पताल में जंजीरों से बंधी 92 वर्ष के एक बुजुर्ग कैदी की पिछले साल सोशल मीडिया पर वायरल हुई तस्‍वीर से सम्‍बंधित एक शिकायत पर राष्‍ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने 14 नवंबर को उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍य सचिव को भेजे पत्र में कठोर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए नोटिस भेज कर पूछने का निर्देश दिया है कि पीडि़त कैदी (बाद में न्‍यायिक हिरासत में मृत) को क्‍यों न 25 हजार रुपये का मुआवजा दिया जाना चाहिए।

हत्‍या के जुर्म में एटा की जिला जेल में कैद बुजुर्ग बाबूराम बलवान सिंह को अस्‍पताल के बिस्‍तर से जंजीरों से बांधा गया था जिससे जुड़ी एक खबर का संज्ञान लेते हुए बनारस स्थित मानवाधिकार संस्‍था पीपुल्‍स विजिलेंस कमेटी ऑन ह्यूमन राइट्स (पीवीसीएचआर) के प्रमुख डॉ. लेनिन रघुवंशी ने 14 मई 2021 को मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज करवायी थी। 19 मई, 2021 को संज्ञान लेते हुए आयोग ने उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍य सचिव को कड़े निर्देश जारी किए थे और आयोग ने इस घटना के मद्देनज़र राज्‍य के सेन्‍टेन्‍स रिव्‍यू बोर्ड की निष्क्रियता पर सवाल उठाते हुए मुख्‍य सचिव से चार सवालों के जवाब मांगे थे:

  • सेन्‍टेन्‍स रिव्‍यू बोर्ड की आखिरी बैठक कब हुई थी?
  • बोर्ड के समक्ष कितने मामले लंबित हैं?
  • वर्ष 2019 और 2020 में बोर्ड ने कितने मामलों में सज़ा को माफ किया है?
  • जेलों में कैदियों से जुड़े मामलों को बोर्ड को रेफर करने के सम्‍बंध में क्‍या व्‍यवस्‍था अपनायी जा रही है?

आयोग ने निर्देश की प्राप्ति की तारीख से छह सप्‍ताह के भीतर मुख्‍य सचिव से इस प्रकरण में एक्‍शन टेकेन रिपोर्ट तलब की थी।

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इस मसले पर 6 सितम्‍बर, 2022 को शासन की तरफ से आयोग को एक रिपोर्ट भेजी गयी। इसके बाद 7 सितम्‍बर, 2022 को भी आयोग को उत्‍तर प्रदेश के शासन से एक रिपोर्ट प्राप्‍त हुई। आयांग ने इन सभी रिपोर्टों का संज्ञान लेते हुए कैदी की हिरासत में हुई मौत पर कोई टिप्‍पणी करने से इनकार किया है क्‍योंकि उसका कहना है कि वह मामला अलग से केस संख्‍या 33428/24/22/2021-JCD के तहत दर्ज है।

कैदी को अस्‍पताल में हथकड़ी और पैरों में जंजीर बांध कर रखने के मामले में आयोग ने मुख्‍य सचिव को लिखा है कि यह ‘अमानवीय’ है और अंतरराष्‍ट्रीय कानूनों व देश के कानून में वर्णित एक व्‍यक्ति के मानव अधिकारों का ‘घोर उल्‍लंघन’ करता है। इस मामले में आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया है।

आयोग ने 1995 के सिटिजंस फॉर डेमोक्रेसी बनाम असम सरकार के मुकदमे में सुप्रीम कोर्ट का आया निर्देश उद्धृत किया है और माना है कि इस केस में उस निर्देश का उल्‍लंघन हुआ है। इसके लिए आयोग ने मुख्‍य सचिव को पीएचआर कानून, 1993 की धारा 18 के तहत मुख्‍य सचिव को नोटिस जारी कर के यह पूछने का निर्देश दिया है कि मृत कैदी बाबूराम प्रधान के परिजनों को आयोग क्‍यों न 25000 रुपये का मुआवजा जारी करे।

आयोग ने जवाब के लिए मुख्‍य सचिव को छह सप्‍ताह का वक्‍त दिया है।


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