अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने 3 फरवरी को बिजली कर्मियों और इंजीनियरों द्वारा बिजली क्षेत्र के निजीकरण, लेबर कोड लागू किये जाने, उपभोक्ताओं की लूट और किसानों की सब्सिडी खत्म किए जाने के खिलाफ की जा रही एक दिवसीय हड़ताल का समर्थन करते हुए सरकार से बिजली संशोधन बिल वापस लेने की मांग की है।
समन्वय समिति ने कहा है कि समय आ गया है जब श्रमिक और किसान मिलकर केंद्र सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ निर्णायक संघर्ष को तेज करें।
समन्वय समिति ने कहा है कि एक तरफ सरकार बातचीत करने की बात कह रही है दूसरी ओर किसान नेताओं पर फर्जी मुकदमे लगा रही है। समन्वय समिति ने सरकार से किसान नेताओं पर लादे गए सभी फर्जी मुकदमे वापस लेने की मांग की है।
समन्वय समिति ने केंद्र के किसान विरोधी कारपोरेटमुखी बजट का विरोध करते हुए कहा है कि सरकार ने बजट में न तो सभी कृषि उत्पादों की सी 2 +50% की एमएसपी पर खरीद सुनिश्चित करने के लिए बजट आबंटित किया है न ही कर्ज़ा मुक्ति हेतु बजट में आवंटन किया गया है। कृषि क्षेत्र का आबंटन 5.6 % से हटाकर 4.3 प्रतिशत कर दिया है। पी एम किसान योजना को 14.37 करोड़ परिवारों की जगह 6.12 करोड़ किसानों तक सीमित कर दिया गया है।
समन्वय समिति ने सरकार द्वारा एल आई सी सहित सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों का विनिवेश किये जाने को देश की आत्मनिर्भरता पर चोट बताते हुए देश की जनता से जन विरोधी बजट के खिलाफ संघर्ष की अपील की है। अखिल भारतीय किसान सँघर्ष समन्वय समिति ने 3 फरवरी से 10 फरवरी के बीच देशभर में किसानों के खिलाफ हो रहे पुलिस दमन तथा आर.एस.एस-भाजपा के हमलों के खिलाफ जन जागृति अभियान चलाने की घोषणा की है।
मीडिया सेल AIKSCC