मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में चलाये जा रहे क्वारंटीन सेंटर्स को ‘यातना गृह’ करार देते हुए आरोप लगाया है कि बुनियादी मानवीय सुविधाओं से रहित इन केंद्रों में प्रवासी मजदूरों को कैदियों की तरह रखा जा रहा है, जहां उन्हें पोषक आहार तो दूर, भरपेट भोजन तक उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। नतीजन, क्वारंटीन अवधि खत्म होने के बाद फिर से उनके संक्रमित होने के प्रकरण सामने आ रहे हैं।
अपने आरोप की पुष्टि में माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने बलौदाबाजार जिले के कसडोल ब्लॉक के एक क्वारंटीन सेंटर का वीडियो जारी किया है, जिसमें प्रवासी मजदूर स्पष्ट रूप से बता रहे हैं कि उन्हें घर से खाना मंगवाने के लिए बाध्य किया जा रहा है क्योंकि पंचायत के पास खाद्यान्न नहीं है। वीडियो में वे प्रवासी मजदूर घर का लाया कच्चा राशन खुद पकाते हुए भी दिख रहे हैं। इससे क्वारंटीन सेंटर्स में सभी मानवीय सुविधाएं उपलब्ध करवाने के सरकारी दावे की भी पोल खुल जाती है।
माकपा नेता ने महासमुंद जिले के पिथौरा जनपद पंचायत के कार्यपालन अधिकारी के एक आदेश की प्रति भी मीडिया के लिए जारी की है, जिसकी कंडिका-4 में ऐसे ही निर्देश दिए गए हैं कि इन केंद्रों में रखे गए मजदूरों के भोजन की व्यवस्था पंचायत करें और जिन मजदूरों के नाम राशन कार्डों पर चढ़े हैं, उन्हें भोजन न दिया जाए। चूंकि प्रवासी मजदूरों की देखभाल के लिए इन पंचायतों को प्रशासन कोई सहायता नही दे रही है, ये केंद्र बदहाली और बदइंतजामी के शिकार होकर रह गए हैं और मजदूरों को घर से खाना मंगवाना पड़ रहा है।
पराते ने कहा कि कवर्धा जिले के सहसपुर लोहारा, मुंगेली जिले की लोरमी, बालोद जिले के टेटेंगा भरदा गांव तथा गरियाबंद जिले के मैनपुर ब्लॉक के धरनीधोड़ा केंद्रों की जो दर्दनाक खबरें तस्वीरों सहित मीडिया में आई है, वह किसी भी संवेदनशील व्यक्ति को हिला देने के लिए काफी है। इन केंद्रों में इन प्रवासी मजदूरों को अखबारों में दाल परोसने और सड़ा बदबूदार खाना खिलाने के पुष्ट प्रमाण सामने आए हैं और बीमारों को समय पर चिकित्सा सुविधा न मिलने से मौतें भी हुई हैं। माकपा ने कहा है कि इसी कुव्यवस्था के कारण प्रवासी मजदूरों के इन क्वारंटीन केंद्रों से भागने के भी प्रकरण सामने आ रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश के क्वारंटीन सेंटर्स में अभी तक तीन गर्भवती माताओं और चार बच्चों तथा दो आत्महत्याओं सहित एक दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है लेकिन सरकार और प्रशासन इतना संवेदनहीन है कि आज तक किसी भी जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई है।
माकपा नेता ने कहा कि प्रदेश में कोरोना के बेशुमार बढ़ते प्रकरणों से स्पष्ट है कि अब छत्तीसगढ़ सामुदायिक संक्रमण के चरण में प्रवेश कर चुका है। केंद्र सरकार के साथ ही राज्य सरकार भी इस स्थिति के लिए अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकती। प्रदेश में कोरोना के फैलाव को तभी रोका जा सकता है, जब इन सभी प्रवासी मजदूरों की टेस्टिंग की जाएं तथा उन्हें पर्याप्त पोषण आहार और स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाए। इसके लिए मुख्यमंत्री राहत कोष का भी उपयोग करना चाहिए। प्रदेश के दानदाताओं ने राहत कोष में दान इन्हीं गरीबों की सेवा के लिए सरकार को दिया है और सेवा कार्य की आड़ में हो रहे भ्रष्टाचार पर रोक लगाई जानी चाहिए।
उन्होंने बताया कि प्रवासी मजदूरों को सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा देने की मांग पर और प्रदेश के क्वारंटीन सेंटर्स की बदहाली के खिलाफ 16 जून को माकपा पूरे प्रदेश में आंदोलन करेगी।
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