सिविल सोसाइटी (नागरिक समाज) ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के शहीदी दिवस, 30 जनवरी को किसान आंदोलन के समर्थन के लिए राष्ट्रव्यापी आह्वान किया है. इस संदर्भ में आज दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में एक प्रेस वार्ता का आयोजन हुआ. इस प्रेस वार्ता को सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण, गांधी शांति प्रतिष्ठान के सचिव कुमार प्रशांत, सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी, अर्थशास्त्री अतुल सूद, वैज्ञानिक और नेशन फॉर फार्मर्स के सह-संयोजक दिनेश अबरोल ने संबोधित किया.
किसान आंदोलन पर इन वक्ताओं ने कहा कि 26 जनवरी की हिंसा के बारे में किसान नेताओं द्वारा कड़े शब्दों में निंदा और उस घटना पर सफाई देने के बाद भी उन्हीं किसान नेताओं को टारगेट कर देशद्रोह और अन्य अपराधिक मामले दर्ज किये गये.
वक्ताओं ने आगे कहा कि अब यह एक सरकारी पॉलिसी बन चुकी है. सरकार की यह पालिसी अब एक खुली किताब है जिसे पिछली बार 2019 की सर्दियों में देखा गया था, जब सीएए-एनआरसी के खिलाफ उतरे आंदोलनकारियों पर इस तरह के मामले दर्ज किये गये थे. उसी तरह से अब किसान आंदोलन को कुचलने के लिए वही नीति अपनाई जा रही है. हिंसक भीड़ को उकसाया जा रहा है और किसानों पर हमले किये जा रहे हैं.
इससे पहले आज दिन में आरटीआइ एक्टिविस्ट अरुणा राय, पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा, पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल, जस्टिस गोपाल गौड़ा, हर्ष मंदर, कविता कृष्णन, प्रोफेसर अपूर्वानंद सहित कई चर्चित लोगों ने देशवासियों के नाम एक अपील जारी की.
इस अपील में कहा गया कि, 30 जनवरी को महात्मा गांधी के शहीदी दिवस के अवसर पर किसानों के आंदोलन के साथ एकजुटता में शामिल हों:
- एक दिन का उपवास रखें;
- अपने संबंधित कस्बों और शहरों में, शाम 5.17 बजे सर्व धर्म प्रार्थना सभाओं का आयोजन करें.
- किसानों के संघर्ष के प्रति अपना समर्थन दर्ज करें.
साथ ही सरकार से पांच मांगें रखी गईं:
- तीन खेत कानूनों को निरस्त करें
- किसानों को उनकी उपज के लिए एमएसपी की गारंटी के लिए एक कानून बनाएं
- किसान नेताओं के खिलाफ यूएपीए के तहत दर्ज सभी मामलों को वापस लेना
- पत्रकारों के खिलाफ कल यूपी में दर्ज एफआईआर को वापस लेना
- 26 जनवरी की घटनाओं की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच