Attack of Mara, 10th century, Dunhuang

धम्म-बुद्ध और धर्म-युद्ध : अहिंसा की पीठ पर लदी हिंसा की चेष्टाएं

यह कहना कि भारत ने हमेशा बुद्ध के अहिंसक रूप से अपने समाज और जीवन को नियंत्रित किया है, यह तो सरासर गलत होगा।  एक ऐसा समाज जो वर्गीकरण, जाति-प्रथा और शोषण से ग्रस्त हो, जिसमें उसके संत-कवि एक बिना-ग़म  के “बेगमपुरा” की कल्पना करें, वह समाज और सभ्यता कभी भी संपूर्ण रूप से अहिंसक नहीं कहलायी जा सकती। 

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युद्ध और आतंकवाद : हथियारों के कारोबार के दो पहलू

इस दुनिया में ऐसा नहीं है कि आतंकवादियों के लिए हथियार कोई और बनाता है और युद्ध के हथियार कोई और बनाता है। हथियार का कारोबार चलता रहे इसके लिए जरूरी है कि युद्ध होते रहें और युद्ध होने के लिए जरूरी है एक वजह का होना जिसकी बिना के ऊपर युद्ध हों, और युद्ध के लिए आतंकवाद से बड़ी वजह और क्या हो सकती है?

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युद्ध छेड़ने की हद तक भले न जाए चीन, लेकिन उससे खतरा पाकिस्तान के मुकाबले ज्यादा है

यह सच है कि भारत अब 1962 वाला भारत नहीं है लेकिन इसमें भी कोई दो राय नहीं है कि चीन की सैनिक ताकत हमसे कहीं ज्यादा है

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