तन मन जन: कोरोना की तीसरी लहर के लिए कितना तैयार हैं हम?

सवाल है कि इस महामारी से जूझते हुए लगभग डेढ़ वर्ष के तजुर्बे के बाद भी क्या हम देश की जनता को यह आश्वासन दे सकते हैं कि हमारी सरकार एवं यहां की चिकित्सा व्यवस्था महामारी से जनता को बचाने एवं निबटने में सक्षम है?

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एक बीमार स्वास्थ्य तंत्र में मुनाफाखोरी का ज़हर और कोरोना काल का कहर

कोरोना एक त्रासदी के साथ-साथ सबक भी है कि हम अपनी स्वास्थ्य सेवाओं को बाजार में मुनाफा कमाने वाला एक उद्योग न बनायें, बल्कि राष्ट्र को स्वस्थ और मजबूत नागरिक प्रदान करने वाली एक इकाई के रूप में विकसित करें. निजी चिकित्सा संस्थानों पर सरकारी नियंत्रण किये जाने की सख्त जरूरत है और इलाज के खर्चे का भी एक मानक बनाया जाना चाहिए.

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भारत की कोविड-19 इमरजेंसी: The Lancet का ताज़ा संपादकीय

स्‍थानीय सरकारों ने बीमारी की रोकथाम के उपाय शुरू कर दिए हैं, लेकिन जनता को मास्‍क लगाने, शारीरिक दूरी बरतने, बड़ी संख्‍या में एकत्रित होने, स्‍वैच्छिक क्‍वारंटीन होने और परीक्षण करवाने की ज़रूरत समझाने के लिहाज से केंद्रीय सरकार की भूमिका अनिवार्य है। इस संकट के दौरान मोदी ने जिस तरीके से आलोचनाओं और खुली बहसों का मुंह बंद करवाने की कार्रवाई और कोशिश की है, वह माफ़ किए जाने योग्‍य नहीं है।

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तन मन जन: लोगों को दुनिया भर में अंधा बना रही है गरीबी

यूनाइटेड नेशन्स यूनिवर्सिटी वर्ल्‍ड इन्स्टीच्यूट की रिपोर्ट बताती है कि कोविड-19 महामारी की वजह से वैश्विक स्तर पर रोजाना गरीबों की कमाई में 50 करोड़ डॉलर से ज्यादा का नुकसान हुआ। यदि दैनिक न्यूनतम आय को 1.90 डॉलर का आधार मानें और उसमें 20 फीसद की भी गिरावट आए तो दुनिया में 39.5 करोड़ गरीब और बढ़ जाएंगे।

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पंचतत्व: UP और बिहार की हवा में जरूरत से ज्यादा घुल गया है ज़हर, अपने बच्चों को बचाइए!

वायु प्रदूषण का सबसे बुरा असर उत्तर प्रदेश और बिहार पर दिखा है। उत्तर प्रदेश को राज्य के जीडीपी का 2.2 फीसद और बिहार को अपने जीडीपी का 2 फीसद हिस्सा वायु प्रदूषण के कारण गंवाना पड़ा है, लेकिन यह हैरत की बात है क्योंकि दोनों की राज्यों में उद्योगों की स्थिति के लिहाज से प्रदूषण का स्तर इतना ऊंचा हो सकता है, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल ही है।

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