बंगाल का अकाल और ख़्वाजा अहमद अब्बास की फिल्म ‘धरती के लाल’: IPTA की शृंखला

बिजन भट्टाचार्य का नाटक ‘नबान्न’ देखने के लिए जब अब्बास साहब 1943 गए तो वहां उन्होंने अकाल की वजह से पलायन करके कलकत्ता आए भीख माँगते किसानों और भूख की वजह से कचरे के ढेर से खाना तलाशते बच्चों, सड़कों पर गरीबों की लाशों तथा उसके बरक्स शानदार होटलों में चलते अमीरों के उत्सवों और जश्नों को देखा जिससे विचलित होकर और इसी विषय पर बने नाटक ‘नबान्न’, ‘अंतिम अभिलाषा’ और कृष्ण चन्दर की कहानी ‘अन्नदाता’ से प्रेरित होकर ‘धरती के लाल’ फिल्म बनाने की योजना बनायी।

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सरहद, मिट्टी और ख्वाब: ख्वाजा अहमद अब्बास पर IPTA की शृंखला में ‘हिना’ पर चर्चा

भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) द्वारा ख्वाज़ा अहमद अब्बास के बहुआयामी व्यक्तित्व और कृतित्व पर केंद्रित ऑनलाइन कार्यक्रम की तीसरी कड़ी में अब्बास साहब द्वारा लिखी फिल्म “हिना” पर विस्तार से बात हुई जिसका प्रीमियर फेसबुक और यूट्यूब पर 27 जुलाई 2021 को किया गया।

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ख्वाजा अहमद अब्बास की रचनात्मक दृष्टि और फिल्मों पर चर्चा: IPTA की शृंखला

भारतीय जननाट्य संघ (इप्टा) द्वारा महान लेखक, पत्रकार, फिल्मकार ख़्वाजा अहमद अब्बास की रचनात्मकता पर केंद्रित एक कार्यक्रम श्रृंखला 15 जुलाई 2021 को यूट्यूब और फेसबुक पर शुरू की थी। यह दूसरे कार्यक्रम का प्रीमियर था जिसमें फिल्‍म ‘’दो बूंद पानी’’ पर चर्चा करते हुए सूफ़ीवाद की विद्वान, योजना आयोग की पूर्व सदस्य और ख्वाजा अहमद अब्बास की भतीजी डॉ. सईदा हमीद ने अपने अब्बास चाचा के बारे में कई बातें बतायीं।

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