भारत की कोविड-19 इमरजेंसी: The Lancet का ताज़ा संपादकीय

स्‍थानीय सरकारों ने बीमारी की रोकथाम के उपाय शुरू कर दिए हैं, लेकिन जनता को मास्‍क लगाने, शारीरिक दूरी बरतने, बड़ी संख्‍या में एकत्रित होने, स्‍वैच्छिक क्‍वारंटीन होने और परीक्षण करवाने की ज़रूरत समझाने के लिहाज से केंद्रीय सरकार की भूमिका अनिवार्य है। इस संकट के दौरान मोदी ने जिस तरीके से आलोचनाओं और खुली बहसों का मुंह बंद करवाने की कार्रवाई और कोशिश की है, वह माफ़ किए जाने योग्‍य नहीं है।

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बेकाबू हो चुकी महामारी और मिस्टर मोदी: भारत पर The Guardian का संपादकीय

भारत एक ऐसा विशाल, जटिल और विविध देश है जिसे सबसे शांत दौर में भी चला पाना मुश्किल होता है, फिर राष्‍ट्रीय आपदा की तो क्‍या ही बात हो। आज यह देश कोरोना वायरस और भय की दोहरी महामारी से जूझ रहा है।

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हिन्दुत्व की परिभाषा: ‘दिनमान’ में 8 दिसम्बर, 1968 को छपा कवि-संपादक अज्ञेय का संपादकीय

संघ का ऐब यह नहीं है कि वह ‘हिंदू’ है; ऐब यह है कि वह हिंदुत्व को संकीर्ण और द्वेषमूलक रूप देकर उसका अहित करता है, उसके हज़ारों वर्ष के अर्जन को स्खलित करता है, सार्वभौम सत्यों को तोड़-मरोड़ कर देशज या प्रदेशज रूप देना चाहता है यानी झूठा कर देना चाहता है.

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