जितने में नयी संसद बना रहे हैं, उतने में तो पूरे देश के गन्ना किसानों का बकाया चुक जाता: प्रियंका


सहारनपुर के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा आज बिजनौर के चांदपुर में आयोजित दूसरी किसान पंचायत में पहुंचीं, गन्ना किसानों के बकाये पर उन्होंने सरकार को खरी-खोटी सुनायी और कहा, “मेरे भाई राहुल गांधी आपके साथ हैं।”

प्रियंका ने कहा, “मेरे भाई ने संसद में कहा कि 2 मिनट मौन आप किसान के लिए रखिए जो शहीद हुआ है। और जितने भी सरकारी नेता थे, जो सरकार के नेता थे सब अपनी जगह बैठे रहे। मजाक उड़ाते रहे, लेकिन विपक्ष का एक-एक सांसद खड़ा हुआ और 2 मिनट का मौन रखा। राहुल गांधी आपके साथ हैं।”

हरियाणा के मंत्री जे पी दलाल के बयान पर प्रियंका ने कहा, “कल-परसों हरियाणा में किसी मंत्री का एक वीडियो निकला। हंस-हंस के बोल रहे हैं- तो क्या हुआ 215 लोग मर गए, तो क्या हुआ घर में बैठे-बैठे भी मर जाते, और हंस रहे हैं। देखिए, मैं शहीद के परिवार की बेटी हूं। शहादत बहुत बड़ी चीज होती है। शहादत को झेलने वाला जो शहीद ही नहीं होता उसका परिवार होता है। उस दुख को दिल में रखता है जीवन भर। उसका मजाक उड़ाने का किसी का अधिकार नहीं है, चाहे वह मंत्री हो चाहे वह देश का प्रधानमंत्री हो चाहे कोई भी हो, जो अपने अधिकार के लिए शहीद होता है उंगलियां उठाने का किसी को अधिकार नहीं है।”

उन्होंने भरी सभा से पूछा, “आप बताइए, क्या आपकी कमाई दुगुनी हुई है? क्या गन्ने का दाम 2017 से बढ़ा है? आपका बकाया कितना है? आपको मालूम होगा कि यूपी किसानों पर गन्ना किसानों का 10 हजार करोड़ बकाया है और पूरे देश भर के गन्ने का बकाया देखा जाए तो 15 हजार करोड़ बकाया है। आपका बकाया अब तक पूरा नहीं किया लेकिन अपने लिए दुनिया में भ्रमण करने के लिए इन्होंने दो हवाई जहाज खरीदे हैं। दो हवाई जहाजों की कीमत आप जानते हैं क्या है? कितनी है कीमत? इन दो हवाई जहाजों की कीमत 16 हजार करोड़ रूपये है। 16 हजार करोड़ रूपये के इन्होंने दो हवाई जहाज खरीदे हैं जबकि 15 हजार करोड़ रूपये में इस देश के एक-एक गन्ना किसान का बकाया वह वापस कर सकते थे।”

प्रियंका ने गन्ना बकाया के संदर्भ में सेंट्रल विस्टा परियोजना पर भी निशाना साधा, “आपने पढ़ा होगा कि दिल्ली में संसद भवन के सुंदरीकरण के लिए बहुत बड़ी योजना बनी है। 20 हजार करोड़ की योजना के तहत नये संसद का सुन्दरीकरण हो रहा है जबकि वह संसद भवन दुनिया में मशहूर है। इंडिया गेट को देखने के लिए दुनिया भर से लोग आते हैं उसके सुंदरीकरण के लिए 20 हजार करोड़ रूपये उपलब्ध हैं लेकिन इस देश के किसान के बकाये के लिए 15 हजार करोड़ उपलब्ध नहीं हैं। यही इस सरकार की नीयत है। जो भरोसा आपने किया था वह भरोसा टूट चुका है। एक शायर ने कहा था – जो भगवान का सौदा करता है इंसान की कीमत क्या जाने, जो गन्ने की कीमत दे न सका वह जान की कीमत क्या जाने।”



About जनपथ

जनपथ हिंदी जगत के शुरुआती ब्लॉगों में है जिसे 2006 में शुरू किया गया था। शुरुआत में निजी ब्लॉग के रूप में इसकी शक्ल थी, जिसे बाद में चुनिंदा लेखों, ख़बरों, संस्मरणों और साक्षात्कारों तक विस्तृत किया गया। अपने दस साल इस ब्लॉग ने 2016 में पूरे किए, लेकिन संयोग से कुछ तकनीकी दिक्कत के चलते इसके डोमेन का नवीनीकरण नहीं हो सका। जनपथ को मौजूदा पता दोबारा 2019 में मिला, जिसके बाद कुछ समानधर्मा लेखकों और पत्रकारों के सुझाव से इसे एक वेबसाइट में तब्दील करने की दिशा में प्रयास किया गया। इसके पीछे सोच वही रही जो बरसों पहले ब्लॉग शुरू करते वक्त थी, कि स्वतंत्र रूप से लिखने वालों के लिए अखबारों में स्पेस कम हो रही है। ऐसी सूरत में जनपथ की कोशिश है कि वैचारिक टिप्पणियों, संस्मरणों, विश्लेषणों, अनूदित लेखों और साक्षात्कारों के माध्यम से एक दबावमुक्त सामुदायिक मंच का निर्माण किया जाए जहां किसी के छपने पर, कुछ भी छपने पर, पाबंदी न हो। शर्त बस एक हैः जो भी छपे, वह जन-हित में हो। व्यापक जन-सरोकारों से प्रेरित हो। व्यावसायिक लालसा से मुक्त हो क्योंकि जनपथ विशुद्ध अव्यावसायिक मंच है और कहीं किसी भी रूप में किसी संस्थान के तौर पर पंजीकृत नहीं है।

View all posts by जनपथ →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *