प्रसार भारती और प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया के बीच विवाद की खबर अभी गरम ही थी कि सरकारी प्रसारक में बुधवार को घोषित एक महत्वपूर्ण नियुक्ति ने अफवाहों का बाज़ार फिर से गरम कर दिया है. ताज़ा चर्चा इस बात की है कि प्रसार भारती के नये चेयरमैन के लिए उमेश उपाध्याय का नाम सबसे आगे चल रहा है. वही उमेश उपाध्याय, जो आजकल मुकेश अम्बानी के रिलायंस इंडस्ट्रीज के मीडिया और संचार निदेशक हैं.
दरअसल, प्रसार भारती के चेयरमैन का पद लम्बे समय से खाली चल रहा है और इस पद की दौड़ में वरिष्ठ पत्रकार जगदीश उपासने का नाम चल रहा था. इस पद पर नियुक्ति सीधे उपराष्ट्रपति के हाथों होती है. एक दिन पहले प्रसार भारती सचिवालय से एक आदेश जारी हुआ है जिसमें जगदीश उपासने को प्रसार भारती भर्ती बोर्ड का चेयरमैन नियुक्त कर दिया गया है.
इस नियुक्ति के चलते प्रसार भारती का चेयरमैन बनने की उपासने की उम्मीदवारी अपने आप ख़तम हो गयी है. वैसे, उपासने के साथ ही दो और वरिष्ठ पत्रकारों का नाम चेयरमैन के लिए चल रहा था लेकिन सूत्र बताते हैं कि उन दोंनों की संभावना कम है क्योंकि उमेश उपाध्याय की नियुक्ति के पीछे सीधे मुकेश अम्बानी ने अपना वज़न लगा दिया है.
उमेश उपाध्याय दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष रह चुके सतीश उपाध्याय के भाई हैं और कई टीवी चैनलों में अहम् पदों पर रह चुके हैं. जब मुकेश अम्बानी ने नेटवर्क 18 के अंतर्गत अंग्रेजी और हिंदी के दो चैनलों को खरीदा और उसके बाद बड़े पैमाने पर छंटनी हुई, तब उमेश उपाध्याय ही चैनल के प्रमुख हुआ करते थे. बाद में उन्हें अम्बानी ने अपने पेरोल पर ले लिया. वे अब रिलायंस में नौकरी करते हैं.
जानकारों का मानना है कि यदि उमेश उपाध्याय के हाथ में प्रसार भारती की कमान आ गयी तो सरकारी प्रसारक के ऊपर भी देस के सबसे बड़े औद्योगिक घराने का कब्ज़ा हो जायेगा और यह सीधे सीधे हितों के टकराव का मामला बनता है.
आशंकाओं से इसलिए भी इनकार नहीं किया जा सकता क्योंकि जिस तरीके से इधर बीच पीटीआई और प्रसार भारती के बीच विवाद की खबरें आयी हैं और सरकार सबसे बड़ी न्यूज़ एजेंसी से नाराज़ चल रही है, बहुत संभव है कि प्रसार भारती के चरित्र में आमूलचूल बदलाव की कमान किसी ऐसे व्यक्ति को दे दी जाए जो केंद्र सरकार और उसके संरक्षक उद्योगपतियों का ख़ास हो.
बीती फरवरी में ए. सूर्यप्रकाश प्रसार भारती के चेयरमैन पद से सेवामुक्त हुए थे, तब से यह पद खाली है. सूर्यप्रकाश लगातार दो कार्यकाल तक चेयरमैन रहे. उनके जाने के बाद से प्रसार भारती के बोर्ड में 13 पद खाली पड़े हुए हैं.