बुधवार को इरफ़ान खान गये, गुरुवार की सुबह ऋषि कपूर की मौत की ख़बर आयी। ऋषि कपूर को बुधवार रात अस्पताल लाया गया था। वे भी कैंसर से जंग लड़ चुके थे। उम्र भी ज्यादा नहीं थी, महज 67 साल, और अब तक वे फिल्मों में नज़र आते थे।
गुरुवार सुबह अमिताभ बच्चन के एक ट्वीट से दुनिया को पता चला कि ऋषि कपूर नहीं रहे। उन्होंने एक ट्वीट किया था यह सूचना देते हुए, जिसे बाद में उन्होंने डिलीट कर दिया।
ऋषि कपूर महीने भर से कोरोना को लेकर सशंकित थे, डरे हुए थे, इसका पता उनके एक ट्वीट से लगता है जिसमें वे यस बैंक वाले राणा कपूर और गायिका कनिका कपूर की फोटो लगाकर लिखते हैं कि “कपूर” लोगों पर टाइम भारी है।
यही डर था कि 20 मार्च को किए इस ट्वीट के बाद लगाये गये जनता कर्फ्यू और उसके बाद लगाये गये लॉकडाउन को लेकर वे काफी संवेदनशील हो गये और लगातार इसके समर्थन में ट्वीट करने लगे। बाद में उन्होंने कनिका कपूर को क्लीन चिट भी दे डाली।
इस ट्वीट के एक दिन बाद उन्होंने जनता कर्फ्यू का पालन करने का संकल्प लिया।
लॉकडाउन की घाेषणा होते ही ऋषि कपूर एक ट्वीट कर के दिलासा देते हैंः साला, इसको भी देख लेंगे। पीएमजी, चिंता न कीजिये, हम आपके साथ हैं, जय हिंद।
लॉकडाउन शुरू होने के बाद हालांकि हम पाते हैं कि ऋषि कपूर धीरे धीरे चिड़चिड़े होते जा रहे थे। उन्हें चुटकुले, हंसी मज़ाक और लतीफ़ों से दिक्कत हो रही थी। बारहा उन्होंने लतीफ़ करने वालों को हड़काया और ब्लॉक किया। उन्होंने लिखा कि अपने देश और निजी जीवनशैली पर टिप्पणी उन्हें पसंद नहीं है।
लॉकडाउन के दूसरे ही दिन गुज़रे ज़माने की अभिनेत्री निम्मी की मौत हो गयी। निम्मी राज कपूर के साथ काम कर चुकी थीं। कपूर खानदान की बहुत करीबी रही थीं। ऋषि कपूर को इस मौत का बहुत दुख हुआ। उन्होंने लिखाः
यह वह मौत थी जिसने वास्तव में ऋषि कपूर को भीीतर से दहला दिया था।
उनकी ट्विटर टाइमलाइन देखें तो पता चलता हैे कि दो दिन पहले तक वे जो लोगों को गुड़ी पड़वा और नवरात्रि की शुभकामनाएं दे रहे थे तथा लॉकडाउन खुलने के बाद दुनिया के दोबारा खुशगवार होने की उम्मीद जता रहे थे, अचानक उनके भीतर एक डर बैठ गया। इस डर और खीझ में वे इमरजेंसी लगाने की वकालत करने तक पहुंच गये।
ऋषि कपूर अब पैनिक में आ चुके थे। लग रहा था कि वे ज़रूरत से ज्यादा टीवी देख रहे हैं और पुलिसवालों और मेडिकल स्टाफ पर हुए कुछ हमलों से द्रवित हैं। अगले चार दिनों के दौरान उनके ट्वीट देखें तो लगता है कि पैनिक से निपटने के मनोवैज्ञानिक तरीकों पर सोच रहे थे। इसी बीच उन्होंने एक सुझाव यह भी दिया कि सरकार को शराब के ठेके खाेल देने चाहिए ताकि अवसादग्रस्त लोगों को राहत रहे।
1 अप्रैल को वे एक बार फिर इमरजेंसी लगाने और सड़क पर सेना को उतारने की अपनी सिफारिश को दुहराते नज़र आते हैं।
इसके बाद 2 अप्रैल को उनका आखिरी ट्वीट आता है। एक में वे रामनवमी की शुभकामनाएं दे रहे हैं, अपनी एक पुरानी फिल्म को याद कर रहे हैं और अंत में बेहद मानवीय ट्वीट कर के सभी पंथाें और समुदायों के लोगों से हिंसा न करने की अपील कर रहे हैं।
यह उनका आखिरी ट्वीट था।
जनता कर्फ्यू से लेकर रामनवमी के बीच गुजरे 10 दिन के लॉकडाउन में हम देखते हैं कि काफी तेज़ी से ऋषि कपूर की मानसिक स्थिति बदल रही है। एक जद्दोजेहद दिखलायी देती है, विचार प्रक्रिया अस्पष्ट है और सबके कल्याण के लिए वे बंदिशाें को और मज़बूत करने के हक में भी हैें।
उनकी ट्विटर टाइमलाइन का यह दस दिन का खाका उनकी मौत के बारे में बहुत कुछ कहता है। वे भले दो साल से कैंसर से लड़ रहे थे लेकिन लॉकडाउन के दस दिनों ने उनके मानस पर जो असर डाला,वह शायद कैंसर से भी ज्यादा ख़तरनाक साबित हुआ और उन्हें ले बीता।
इस हरदिल अजीज़ अभिनेता को जनपथ का आखिरी सलाम!