पंचतत्व: जलवायु में बदलाव का सबसे बुरा असर हाशिये के तबकों पर हो रहा है

मैदानी इलाकों में भी जहां खेती का नियंत्रण भले ही मर्दों के हाथ में हो लेकिन खेती के अधिकतर काम, बुआई, कटाई और दोनाई में महिलाओं की हिस्सेदारी अधिक होती है, जलवायु परिवर्तन का असर साफ दिख रहा है.

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तिर्यक आसन: अहम ब्रह्मास्मि उर्फ नित्य दुखवादियों के लिए एक अदद सुख

सत्ता शिकायत का ही सुख ‘भोगती’ है। सत्ता चाहे तो एक दिन में ही सभी शिकायतों का अंत कर दे, पर ऐसा कर देने से उस पर नागरिकों की निर्भरता नाममात्र की हो जाएगी। या सत्ता की आवश्यकता ही खत्म हो जाए। सत्ता के लिए शिकायत का सुख छोड़ना उसके अंत की घोषणा है। दोबारा मनुष्य की स्वतंत्रता की शुरूआत है।

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राग दरबारी: चुनी हुई कोई भी सरकार कानून वापस नहीं लेती, इसीलिए सरकारों को हटाना पड़ता है!

यह पहली बार नहीं है कि सरकार आंदोलनकारियों की बातों के प्रति इतनी बेरूखी से पेश आ रही है। पिछले तीस वर्षों के भारतीय राजनीतिक इतिहास पर गौर करें, तो हम पाते हैं कि सरकार चाहे जो भी हो एक बार जब कोई बिल पास करवा लेती है या फिर वैसा कोई निर्णय ले लेती है तो उससे पीछे नहीं हटती है, भले ही जनता जो भी मांग करती हो या फिर विपक्षी दल उसका जिस रूप में भी विरोध कर रहे हों।

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तन मन जन: लोगों को दुनिया भर में अंधा बना रही है गरीबी

यूनाइटेड नेशन्स यूनिवर्सिटी वर्ल्‍ड इन्स्टीच्यूट की रिपोर्ट बताती है कि कोविड-19 महामारी की वजह से वैश्विक स्तर पर रोजाना गरीबों की कमाई में 50 करोड़ डॉलर से ज्यादा का नुकसान हुआ। यदि दैनिक न्यूनतम आय को 1.90 डॉलर का आधार मानें और उसमें 20 फीसद की भी गिरावट आए तो दुनिया में 39.5 करोड़ गरीब और बढ़ जाएंगे।

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दक्षिणावर्त: आत्मा का सौदा भी काम न आया गोया सारे पाप चेहरे पर नुमायां हो गए…

भाजपा और संघ का चरित्र भी बदल गया है और चाल भी। संघ का अपने आनुषंगिक संगठनों पर जो नैतिक प्रभाव या दबदबा था, वह अब पूरी तरह न्यून या शून्य तक पहुंच गया है। भाजपा में तो संगठन और सत्ता एकमेक हो गए हैं। आप याद करें तो पाएंगे कि अटलजी के समय भी भाजपा अध्यक्ष का एक अलग व्यक्तित्व होता था, लेकिन आज जेपी नड्डा जब अमित शाह या नरेंद्र मोदी से मिलते हैं, तो उनकी देहभाषा देखिए। साफ प्रतीत होता है कि कोई सेल्स एक्जक्यूटिव अपने कंट्री हेड के सामने खड़ा है।

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पंचतत्व: UP और बिहार की हवा में जरूरत से ज्यादा घुल गया है ज़हर, अपने बच्चों को बचाइए!

वायु प्रदूषण का सबसे बुरा असर उत्तर प्रदेश और बिहार पर दिखा है। उत्तर प्रदेश को राज्य के जीडीपी का 2.2 फीसद और बिहार को अपने जीडीपी का 2 फीसद हिस्सा वायु प्रदूषण के कारण गंवाना पड़ा है, लेकिन यह हैरत की बात है क्योंकि दोनों की राज्यों में उद्योगों की स्थिति के लिहाज से प्रदूषण का स्तर इतना ऊंचा हो सकता है, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल ही है।

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तिर्यक आसन: पूंजीवाद का भूत, ब्राह्मणवाद का मैनेजर और जजमान क्रांतिकारी का लोटा

पूँजीवाद और भूत के बीच बाप-बेटे का रिश्ता है। भूत के खून में पूँजीवाद है। पूँजीवाद ने अपने ‘मैनेजर’ ब्राह्मणवाद की आर्थिक तरक्की के लिए कई उत्पादों की रचना की है। भूत उन उत्पादों में से एक है।

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बात बोलेगी: हिंदू थक कर सो गया है तब तो ये हाल है, जागेगा तो क्या होगा डाक साब?

डॉ. साहब की चिंता समझ में आती है, लेकिन उसका निदान वो किससे मांग रहे हैं यह समझ नहीं आया, हालांकि उन्होंने देश का ध्यान इस महान तथ्य की तरफ दिलाया है कि यह देश दो-दो महान सत्ताओं के संरक्षण में मानवाधिकारों से सम्पन्न जम्हूरियत के मज़े लेता आ रहा है।

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पंचतत्व: अब भी दस साल का वक्त है, संभल जाइए वरना जीते जी प्यासा मरना पड़ सकता है!

भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और चीन, ये चार देश मिलकर दुनिया के सालाना भूमिगत जल का आधे से अधिक हिस्सा हड़प लेते हैं. इसलिए इन देशों में नदी बेसिनों में जलभंडार का रिचार्ज होना बेहद अहम है क्योंकि खेती, क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था और विकास की तकरीबन सारी गतिविधियों के लिए पानी अपरिहार्य है.

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दक्षिणावर्त: या तो चतुर या फिर घोड़ा, कॉमरेड! दोनों एक साथ नहीं चलेगा

सूचनाओं के महाविस्फोट के दौर में वैसे भी गारबेज अधिक है, गरिमामय सूचना बेहद कम। अगर हम अपनी कसौटी भी एक न रखेंगे, तो मामला फिर गड़बड़ होने वाला ही अधिक है।

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