तिर्यक आसन: सम्मान की मास्कवादी पढ़ाई उर्फ चरण पुजाई का साहित्य

मैंने टाइम टेबल बनाकर सम्मान की पढ़ाई करने वालों की प्रतिस्पर्धा देखी है। वे टाइम टेबल में सम्मान के घंटों का भी वर्णन लिखते हैं। पढ़ाई का घंटा कम-बेसी हो जाता है, पर सम्मान का घंटा टस से मस नहीं होता- पढ़ाई में हुई कमी चरण पुजाई पूरा कर देगी।

Read More

बात बोलेगी: बिजली, पानी और बजटीय मद में 45 करोड़ की देशभक्ति भी मुफ़्त, मुफ़्त, मुफ़्त!

बिजली-पानी के साथ साथ अब देशभक्ति की मुफ्त डोज़। दिल्ली को देशभक्त होने से अब कोई नहीं रोक पाएगा। उम्मीद है जब इस महान कार्यक्रम का उल्लंघन दिल्ली के नागरिक करेंगे तो केजरीवाल जी की सरकार के कहने पर उनके नियंत्रण से बहरा बतलायी जाने वाली दिल्ली पुलिस उनके इशारों पर काम करेगी क्योंकि उसे ऐसा करने का अनुमोदन नई दिल्ली से एडवांस में प्राप्त होगा।

Read More

दक्षिणावर्त: भांग के कुएं में विचारधारा के नाम पर प्रतिक्रियावादी हड़बोंग

संघ कहिए, भाजपा कहिए या भारत का दक्षिणपंथ कहिए- एक वैचारिक लकवे से ग्रस्त प्रतीत होता है। किसी भी परिवर्तनकामी आंदोलन के तीन सिरे होते हैं- आर्थिक, सामाजिक और भारत जैसे देश में धार्मिक। संघ का आर्थिक दर्शन क्या है? स्वदेशी चिल्लाते रहिए, विनिवेश करते रहिए। आप अगर विनिवेश या निजीकरण के पक्ष में आ ही गए हैं, तो उसी को कहिए ना, उस पर कुछ सिद्धांत दीजिए, अपने काडर्स को प्रशिक्षित कीजिए, लेकिन यहां सुर कुछ औऱ है, तान कुछ और है।

Read More

पंचतत्व: जलवायु में बदलाव का सबसे बुरा असर हाशिये के तबकों पर हो रहा है

मैदानी इलाकों में भी जहां खेती का नियंत्रण भले ही मर्दों के हाथ में हो लेकिन खेती के अधिकतर काम, बुआई, कटाई और दोनाई में महिलाओं की हिस्सेदारी अधिक होती है, जलवायु परिवर्तन का असर साफ दिख रहा है.

Read More

तिर्यक आसन: अहम ब्रह्मास्मि उर्फ नित्य दुखवादियों के लिए एक अदद सुख

सत्ता शिकायत का ही सुख ‘भोगती’ है। सत्ता चाहे तो एक दिन में ही सभी शिकायतों का अंत कर दे, पर ऐसा कर देने से उस पर नागरिकों की निर्भरता नाममात्र की हो जाएगी। या सत्ता की आवश्यकता ही खत्म हो जाए। सत्ता के लिए शिकायत का सुख छोड़ना उसके अंत की घोषणा है। दोबारा मनुष्य की स्वतंत्रता की शुरूआत है।

Read More

राग दरबारी: चुनी हुई कोई भी सरकार कानून वापस नहीं लेती, इसीलिए सरकारों को हटाना पड़ता है!

यह पहली बार नहीं है कि सरकार आंदोलनकारियों की बातों के प्रति इतनी बेरूखी से पेश आ रही है। पिछले तीस वर्षों के भारतीय राजनीतिक इतिहास पर गौर करें, तो हम पाते हैं कि सरकार चाहे जो भी हो एक बार जब कोई बिल पास करवा लेती है या फिर वैसा कोई निर्णय ले लेती है तो उससे पीछे नहीं हटती है, भले ही जनता जो भी मांग करती हो या फिर विपक्षी दल उसका जिस रूप में भी विरोध कर रहे हों।

Read More

तन मन जन: लोगों को दुनिया भर में अंधा बना रही है गरीबी

यूनाइटेड नेशन्स यूनिवर्सिटी वर्ल्‍ड इन्स्टीच्यूट की रिपोर्ट बताती है कि कोविड-19 महामारी की वजह से वैश्विक स्तर पर रोजाना गरीबों की कमाई में 50 करोड़ डॉलर से ज्यादा का नुकसान हुआ। यदि दैनिक न्यूनतम आय को 1.90 डॉलर का आधार मानें और उसमें 20 फीसद की भी गिरावट आए तो दुनिया में 39.5 करोड़ गरीब और बढ़ जाएंगे।

Read More

दक्षिणावर्त: आत्मा का सौदा भी काम न आया गोया सारे पाप चेहरे पर नुमायां हो गए…

भाजपा और संघ का चरित्र भी बदल गया है और चाल भी। संघ का अपने आनुषंगिक संगठनों पर जो नैतिक प्रभाव या दबदबा था, वह अब पूरी तरह न्यून या शून्य तक पहुंच गया है। भाजपा में तो संगठन और सत्ता एकमेक हो गए हैं। आप याद करें तो पाएंगे कि अटलजी के समय भी भाजपा अध्यक्ष का एक अलग व्यक्तित्व होता था, लेकिन आज जेपी नड्डा जब अमित शाह या नरेंद्र मोदी से मिलते हैं, तो उनकी देहभाषा देखिए। साफ प्रतीत होता है कि कोई सेल्स एक्जक्यूटिव अपने कंट्री हेड के सामने खड़ा है।

Read More

पंचतत्व: UP और बिहार की हवा में जरूरत से ज्यादा घुल गया है ज़हर, अपने बच्चों को बचाइए!

वायु प्रदूषण का सबसे बुरा असर उत्तर प्रदेश और बिहार पर दिखा है। उत्तर प्रदेश को राज्य के जीडीपी का 2.2 फीसद और बिहार को अपने जीडीपी का 2 फीसद हिस्सा वायु प्रदूषण के कारण गंवाना पड़ा है, लेकिन यह हैरत की बात है क्योंकि दोनों की राज्यों में उद्योगों की स्थिति के लिहाज से प्रदूषण का स्तर इतना ऊंचा हो सकता है, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल ही है।

Read More

तिर्यक आसन: पूंजीवाद का भूत, ब्राह्मणवाद का मैनेजर और जजमान क्रांतिकारी का लोटा

पूँजीवाद और भूत के बीच बाप-बेटे का रिश्ता है। भूत के खून में पूँजीवाद है। पूँजीवाद ने अपने ‘मैनेजर’ ब्राह्मणवाद की आर्थिक तरक्की के लिए कई उत्पादों की रचना की है। भूत उन उत्पादों में से एक है।

Read More