जीवन में नौ रस होते हैं. इनका एकसाथ, एक जगह मिश्रित अनुभव जहाँ प्राप्त होता हैं, वो हैं दसरस का मंच. ये कहना है ‘नमस्ते इंडिया दसरस’ के आयोजकों का. गत 30 अप्रैल को दिल्ली के आईटीओ स्थित गालिब संस्थान में ‘नमस्ते इंडिया दसरस 2023’ का आयोजन किया गया. इसमें कवि सम्मेलन, मुशायरा, नाट्य मंचन, ध्रुपद गायन, कथक नृत्य और ग़ज़ल गायन जैसे विधाओं की प्रस्तुति की गई.
कार्यक्रम की शुरुआत हुई अखिल भारतीय कवि सम्मेलन से. इस कवि सम्मेलन में तीन-तीन साहित्य अकादमी विजेता कवियों ने भाग लिया. देश के प्रख्यात कवि लक्ष्मी शंकर बाजपाई, लीलाधर मंडलोई और सविता सिंह ने काव्य प्रस्तुति से एक बेहतरीन समा बाँधा.
इसके बाद राष्ट्रीय नाट्य स्कूल के सफल अभिनेता अंकुर सक्सेना ने कवि रामधारी सिंह दिनकर की कविता ‘कृष्ण की चेतावनी’ का नाट्य मंचन किया. दर्शक उनके परफॉरमेंस से मुग्ध दिखे.
अबतक शाम हो आयी थी. बादलों और ठंडी हवाओं ने एक ख़ुशनुमा और रुमानी माहौल बना दिया था. इस माहौल की ख़ुमारी बढ़ी दसरस के मुशायरे से. मुशायरे की सदारत कर रहे थे देश के मशहूर-ओ-मारूफ़ शायर जनाब फ़हमी बदायूँनी. उनका साथ दिया जनाब शकील जमाली, जनाब मोईन शादाब, जनाब वसीम नादिर जैसे बड़े शायरों ने.
मुशायरे की ख़ुमारी उतरी भी नहीं थी कि नम्रता राय के कथक नृत्य के भव्य प्रदर्शन ने दर्शकों को मजबूर कर दिया कि वो अपनी जगह पर यूँ ही डटे रहें. लखनऊ घराने से आने वाली नम्रता राय देश की सीमाओं के बाहर, सात समंदर पार तक भारतीय नृत्य परम्परा का परचम लहरा चुकी हैं. उनका साथ दिया उनकी छात्राओं ने. शाम बेहतर से बेहतरीन होने लगी.
रात होते होते बारिश भी शुरू हो गयी. ऑडिटोरियम के बाहर बारिश हो रही थी और अंदर मेघों की गर्जना. दरअसल ये भी एक सुखद संयोग ही था कि पंडित उदय कुमार मलिक के ध्रुपद गायन प्रारम्भ करते ही मेघ गरजने-बरसने लगे. पंडित उदय कुमार मलिक अपने गायन के ज़रिये जैसे मेघों से जुगलबंदी कर रहे थे. पंडितजी भारत की प्राचीनतम गायन शैली ‘ध्रुपद’ के संरक्षकों में अग्रणी हैं. उनका परिवार 350 साल से भी ज़्यादा समय से ध्रुपद गायन – शिक्षण में तल्लीन है. पंडितजी के ऑडियो-वीडियो बिहार साहित्य नाटक अकादमी, उत्तर प्रदेश साहित्य नाटक अकादमी और राष्ट्रीय साहित्य नाटक अकादमी, दिल्ली में देश के धरोहर के रूप में संरक्षित हैं.
पंडितजी ने कार्यक्रम को जो उन्नत मेयार दिया, उसको बरक़रार रखा उनके भतीजे और ग़ज़ल गायक रुपेश पाठक ने. रात काफी हो चली थी, लेकिन कोई टस से मस नहीं हो रहा था. इस दर्ज़े के प्रदर्शन के छूट जाने की टीस कोई शायद लेना नहीं चाहता हो. लोग करतल ध्वनि से रुपेश पाठक का साथ दे रहे थे. लग रहा था मानो ये सब बस ऎसा ही चलता रहे, मगर कार्यक्रम के तय और नियमबद्ध समयसीमा को ध्यान में रखते हुए, रुपेश पाठक ने इस वादे के साथ लोगों से विदा लिया कि वो फिर इस दसरस के मंच पर आएंगे और ऐसे ही समा बांधेंगे.
आख़िर अपने हृदय में नौरस लिये दर्शक अपने घरों की ओर लौट चले और दसरस के उद्देश्य को सार्थक करते गये. ‘अगले साल फिर होगा’ के वादे के साथ दसरस 2023 का सफल समापन हुआ. इस मौक़े पर 360 डिग्री मीडिया एंड फिल्म्स सोल्यूशन के निदेशक अविनाश कुमार सिंह ने बताया कि संस्था की कला साहित्य विंग का नाम दसरस है. दसरस का प्रयास है कि अलग-अलग विधाओं को एकमंच पर लाना और युवा पीढ़ी को इन विधाओं से अवगत कराना. अविनाश सिंह ने आगे जोड़ा कि उनका प्रयास है कि दसरस दिल्ली के बाहर भी देश के विभिन्न भागों में आयोजित किया जाये. उन्होंने मुख्य प्रायोजक नमस्ते इंडिया डेरी प्रोडक्टस को धन्यवाद दिया और जानकारी दी कि नमस्ते इंडिया डेरी प्रोडक्टस इस तरह के कला और संस्कृति से जुड़े प्रोग्राम का हमेशा उत्साहवर्द्धन करते हैं. उन्होंने नमस्ते इंडिया डेरी प्रोडक्ट्स के प्रबंध निदेशक मनोज ज्ञानचंदानी और मार्केटिंग हेड अतुल संतोष पाण्डेय का विशेष रूप से धन्यवाद किया. इस कार्यक्रम के सह-प्रायोजक उत्तर प्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग और पर्यटन विभाग थे.
(प्रेस विज्ञप्ति)