हमारा समूह, जिसे कॉन्स्टीटूशनल कन्डक्ट ग्रुप के नाम से जाना जाता है, अखिल भारतीय और केन्द्रीय सेवाओं के भूतपूर्व सिविल सेवकों का समूह है। हमने केन्द्रीय और प्रदेश सरकारों में विभिन्न पदों पर काम किया है। हमारा ग्रुप भारतीय संविधान के आदर्शों के लिये प्रतिबद्ध है, परंतु हम राजनीति में तटस्थ एवं निष्पक्ष हैं, और किसी भी राजनैतिक दल का समर्थन नहीं करते हैं। हमने जब भी यह महसूस किया है कि संवैधानिक मूल्यों का ह्रास हो रहा है, तभी हमने सरकार और उन सभी महत्वपूर्ण लोकतांत्रिक संस्थानों को उनके कर्तव्यों का स्मरण कराया है, जिन पर संविधान के आदर्शों को बनाए रखने की ज़िम्मेदारी है।
परंतु संविधान के सिद्धांतों का संरक्षण केवल सरकार का ही दायित्व नहीं हो सकता। एक नागरिक की हैसियत से, या विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक, प्रोफेशनल या व्यावसायिक संगठनों के सदस्य के रूप में, हम सभी इसके लिये व्यक्तिगत रूप से उतने ही ज़िम्मेदार हैं। हमारा कर्त्तव्य है कि हम अपने निजी जीवन तथा कार्यक्षेत्र में अपने आचरण से देश के संवैधानिक आदर्शों को आगे बढ़ाऐं। दुर्भाग्य से इन दिनों हम अपने देशवासियों में वैमनस्य और अविश्वास की वृद्धि और जनतान्त्रिक मूल्यों का अनवरत ह्रास होते देख रहे हैं। हम सभी के लिए इसके दूरगामी दुष्परिणाम होंगे।
आज यह खुला पत्र हम सरकार को नहीं, बल्कि समाज के एक उतने ही महत्वपूर्ण वर्ग, यानी तमाम कम्पनियों, व्यावसायिक घरानों और कॉरपोरेट्स, को लिख रहे हैं, क्योंकि हमारी नज़र में देश में पूँजी निर्माण करने वाले ये संस्थान देश के संविधान में निरूपित अधिकारों और स्वतंत्रताओँ को बनाए रखने में अपनी भूमिका बख़ूबी नहीं निभा रहे हैं। दुख की बात है कि यह धारणा बलवती होती जा रही है कि यह संस्थान देश में घृणा और फ़िरकापरस्ती के उमड़ते सैलाब को, जिससे हमारे समाज की बुनियाद को ख़तरा है, नज़रन्दाज़ करना बेहतर समझते हैं।
अनेक प्रतिष्ठित कॉरपोरेट घरानों ने ऐसे मीडिया चैनलों पर अपने उत्पादों का विज्ञापन करने में कोई संकोच नहीं किया है, जो अपने टीआरपी बढ़ाने के लिए लगातार नफ़रत फैलाने, धर्म और जाति के आधार पर फूट पैदा करने, मनगढ़ंत ख़बरें दिखाने, और क़ानून के पाबंद सामान्य नागरिकों को अपराधी घोषित करने जैसे निन्दनीय साधनों का सहारा लेते आ रहे हैं। मुमकिन है कि इन कॉरपोरेट्स का इस पहलू पर ध्यान ही नहीं गया हो कि उनकी कार्य प्रणाली से उन ताक़तों को बल मिल रहा है, जो झूठे प्रचार के सहारे जानबूझ कर राष्ट्र को विभाजित करने का कार्य कर रहीं हैं।
जैसा कि हम जानते हैं, हमारा संविधान प्रत्येक नागरिक को उसके मौलिक अधिकारों की गारंटी देता है। संविधान का अनुच्छेद 15 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, एवं जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव का निषेध करता है। यह हम सभी के लिए चिंता का विषय है कि कई मीडिया चैनल नियमित रूप से इन मौलिक अधिकारों की ख़िलाफ़त करते हैं, और फिर भी उन्हे तमाम कंपनियों से विज्ञापन प्राप्त होते रहते हैं। कितने ही कॉरपोरेट्स उन चैनलों को भी बराबर अपने विज्ञापनों से नवाज़ रहे हैं, जो कोविद 19 के प्रसार का सांप्रदायीकरण करते हैं, लोक संघ सेवा आयोग जैसी संवैधानिक संस्था पर आरोप लगाते हैं कि उसने उच्च नागरिक सेवाओं में मुसलमानों की ‘घुसपैठ’ कराई है, और सांप्रदायिक सद्भाव के विषय को संवेदनशील ढंग से प्रस्तुत करने वाले विज्ञापनों को ‘लव जिहाद’ की संज्ञा देते हैं। अपनी विज्ञापन नीति तय करने के लिए कॉर्पोरेट संगठन अक्सर प्रकटतः संदिग्ध टीआरपी नंबरों का सहारा लेते हैं। अब इन निरे तकनीकी पहलुओं से ऊपर उठने का समय आ गया है।
समाज में विभाजन को बढ़ावा देने वाले चैनलों को विज्ञापन देना नैतिकता के आधार पर तो ग़लत है ही, व्यापार के लिए भी हानिकारक है। अनेक अर्थशास्त्रियों और समाजशास्त्रियों का मत है कि जब समाज में अशांति होती है, तो व्यापार में निवेश रुक जाता है। इसमें दो राय नहीं कि आज भारत में हम यह होता हुआ देख रहे हैं। भारत का निवेश सितंबर 2011 में सकल घरेलू उत्पाद के 41.2 प्रतिशत से घटकर जून 2020 में 21.4 प्रतिशत रह गया है। विकास के कई अन्य मापदण्डों में भी गिरावट आ रही है। भय, अनिश्चितता और आपसी अविश्वास ने न केवल समाज के ताने-बाने को कमज़ोर किया है, अपितु अर्थ व्यवस्था को भी चोट पहुंचाई है ।
निराशा भरे इस वातावरण में कुछ कॉरपोरेट्स ने अपने उत्तरदायित्वपूर्ण व्यवहार से एक नई आशा का संचार किया है। उन्होंने निर्णय किया है कि जो मीडिया चैनल घृणा और आपसी भेद-भाव फैलाते हैं, उन्हें वह अपने विज्ञापन नहीं देंगे। इस पहल और साहस के लिए वह प्रशंसा के पात्र हैं। हमारी उत्कट इच्छा है कि अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान भी उनका अनुसरण करें। सभी कंपनियों, व्यावसायिक घरानों और कॉरपोरेट निकायों से हम यही कहना चाहेंगे कि अनजाने में भी आपका कोई काम ऐसी शक्तियों की सहायता न करे जो देशवासियों में परस्पर वैमनस्य और दुर्भावना फैलाना चाहती हैं। हमारा देश और उसके नागरिक इससे कहीं बेहतर सलूक़ के हक़दार हैं। इस समय हम सबको अपने कार्यों से, चाहे वह सारभूत हों या प्रतीकात्मक, यह दिखाना है कि हम अपने संविधान और उसके आदर्शों के प्रति निष्ठावान हैं, और भारत के सभी नागरिकों की शांति और समृद्धि के लिए प्रतिबद्ध हैं।
अनिता अग्निहोत्री | IAS (सेवानिवृत्त), | पूर्व सचिव, सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग, भारत सरकार | |
सलाहुद्दीन अहमद | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व मुख्य सचिव, राजस्थान | |
शफ़ी अहमद | IPS (सेवानिवृत्त) | पूर्व महानिदेशक, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो, भारत सरकार | |
के। सलीम अली | IPS (सेवा निवृत्त) | पूर्व विशेष निदेशक, सी बी आई, भारत सरकार | |
एस.पी. एम्ब्रोज़ | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व अतिरिक्त सचिव, जहाज़रानी और परिवहन मंत्रालय, भारत सरकार | |
जी बालाचंद्रन | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव, पश्चिम बंगाल | |
वप्पला बालचंद्रन | IPS (सेवानिवृत्त) | पूर्व विशेष सचिव, कैबिनेट सचिवालय, भारत सरकार | |
गोपालन बालगोपाल | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व विशेष सचिव, पश्चिम बंगाल सरकार | |
चंद्रशेखर बालकृष्णन | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व सचिव, कोयला, भारत सरकार | |
टी के बनर्जी | IAS(सेवा निवृत्त) | पूर्व सदस्य, संघ लोक सेवा आयोग | |
शरद बेहार | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व मुख्य सचिव, मध्य प्रदेश | |
औरोबिंदो बेहेरा | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व सदस्य, राजस्व बोर्ड, ओडिशा | |
मधु भादुड़ी | IFS (सेवानिवृत्त) | पुर्तगाल में पूर्व राजदूत | |
प्रदीप भट्टाचार्य | IAS (सेवा निवृत्त) | पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव, विकास , योजना और प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थान, पश्चिम बंगाल | |
रवि बुधिराजा | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व अध्यक्ष, जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट, भारत सरकार | |
सुंदर बुर्रा | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व सचिव, महाराष्ट्र सरकार | |
आर चंद्रमोहन | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व प्रमुख सचिव, परिवहन और शहरी विकास, एन.सी.टी. दिल्ली सरकार | |
राकेल चटर्जी | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व विशेष मुख्य सचिव, कृषि, आंध्र प्रदेश सरकार | |
ऐना दानी | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव, महाराष्ट्र सरकार | |
विभा पुरी दास | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व सचिव, जनजातीय मामलों का मंत्रालय, भारत सरकार | |
पी आर दासगुप्ता | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व अध्यक्ष, भारतीय खाद्य निगम, भारत सरकार | |
नरेश्वर दयाल | IFS (सेवानिवृत्त) | पूर्व सचिव, विदेश मंत्रालय, भारत सरकार और यूनाइटेड किंगडम में पूर्व उच्चायुक्त | |
प्रदीप के देब | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व सचिव,खेल मंत्रालय, भारत सरकार | |
नितिन देसाई | IES (सेवानिवृत्त) | पूर्व सचिव और मुख्य आर्थिक सलाहकार, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार | |
केशव देसिराजू | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व स्वास्थ्य सचिव, भारत सरकार | |
एम जी देवसहायम | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व सचिव, हरियाणा सरकार | |
सुशील दुबे | IFS (सेवानिवृत्त) | स्वीडन में पूर्व राजदूत | |
के पी फ़ेबियन | IFS (सेवानिवृत्त) | इटली में पूर्व राजदूत | |
आरिफ़ घौरी | IRS(सेवा निवृत्त) | पूर्व सलाहकार प्रशासन, डी एफ़ आई डी, यू. के. सरकार (प्रतिनियुक्ति पर) | |
गौरीशंकर घोष | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व मिशन निदेशक, राष्ट्रीय पेयजल मिशन, भारत सरकार | |
सुरेश के गोयल | IFS (सेवानिवृत्त) | पूर्व महानिदेशक, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, भारत सरकार | |
एस के गुहा | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व संयुक्त सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग, भारत सरकार | |
एच एस गुजराल | IFoS (सेवानिवृत्त) | पूर्व प्रधान मुख्य वन संरक्षक, पंजाब सरकार | |
मीना गुप्ता | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व सचिव, पर्यावरण और वन मंत्रालय, भारत सरकार | |
रवि वीर गुप्ता | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व डिप्टी गवर्नर, भारतीय रिजर्व बैंक | |
वजाहत हबीबुल्लाह | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व सचिव, भारत सरकार और मुख्य सूचना आयुक्त | |
सज्जाद हसन | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व आयुक्त (योजना), मणिपुर सरकार | |
सिराज हुसैन | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व कृषि सचिव, भारत सरकार | |
कमल जसवाल | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व सचिव, सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार | |
नजीब जंग | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व उपराज्यपाल, दिल्ली | |
राहुल खुल्लर | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व अध्यक्ष, भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण | |
अजय कुमार | IFoS(सेवानिवृत्त) | पूर्व निदेशक, कृषि मंत्रालय, भारत सरकार | |
बृजेश कुमार | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व सचिव, सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार | |
पी के लाहिरी | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व ई डी, एशियन डेवलपमेंट बैंक: पूर्व राजस्व सचिव, भारत सरकार | |
आलोक बी लाल | IPS (सेवानिवृत्त) | पूर्व महानिदेशक (अभियोजन), उत्तराखंड सरकार | |
सुबोध लाल | IPoS (Resigned) | पूर्व उपमहानिदेशक, संचार मंत्रालय, भारत सरकार | |
बी बी महाजन | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व खाद्य सचिव, भारत सरकार | |
हर्ष मंदर | IAS (सेवानिवृत्त) | मध्य प्रदेश सरकार | |
अदिति मेहता | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव, राजस्थान सरकार | |
सोनालिनी मीरचंदानी | IFS (Resigned) | ||
नूर मोहम्मद | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व सचिव, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, भारत सरकार | |
अविनाश मोहननय | IPS (सेवानिवृत्त) | पूर्व पुलिस महानिदेशक, सिक्किम | |
देब मुखर्जी | IFS (सेवानिवृत्त) | बांग्लादेश में पूर्व उच्चायुक्त और नेपाल में पूर्व राजदूत | |
शिव शंकर मुखर्जी | IFS (सेवानिवृत्त) | यूनाइटेड किंगडम में पूर्व उच्चायुक्त | |
प्रणब एस मुखोपाध्याय | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व निदेशक, इंस्टीट्यूट ऑफ पोर्ट मैनेजमेंट, भारत सरकार | |
नागलस्वामी | IA&AS (सेवानिवृत्त) | पूर्व प्रमुख महालेखाकार , तमिल नाडु व केरल | |
शोभा नम्बिसन | IPS (सेवानिवृत्त) | पूर्व पुलिस महानिदेशक, गुजरात | |
पी जी जे नम्पूदिरी | IPS (सेवानिवृत्त) | पूर्व पुलिस महानिदेशक, गुजरात | |
पी जॉय ऊम्मेन | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व मुख्य सचिव, छत्तीसगढ़ | |
एस के पचौरी | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व महानिदेशक, राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद , भारत सरकार | |
अमिताभ पांडे | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व सचिव, अंतर-राज्य परिषद, भारत सरकार | |
मीरा पांडे | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व राज्य चुनाव आयुक्त, पश्चिम बंगाल | |
निरंजन पंत | IA&AS (सेवानिवृत्त) | पूर्व उप नियंत्रक और महालेखा परीक्षक, भारत सरकार | |
आलोक परती | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व सचिव, कोयला मंत्रालय, भारत सरकार | |
आर पूर्णलिंगम | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व सचिव, कपड़ा मंत्रालय, भारत सरकार | |
वी पी राजा | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व अध्यक्ष, महाराष्ट्र विद्युत नियामक आयोग | |
के सुजाता राव | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व स्वास्थ्य सचिव, भारत सरकार | |
एम वाई राव | IAS (सेवानिवृत्त) | ||
विजय लता रेड्डी | IFS (सेवानिवृत्त) | पूर्व उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, भारत सरकार | |
जूलियो रिबेरो | IPS (सेवानिवृत्त) | राज्यपाल पंजाब के पूर्व सलाहकार और रोमानिया में पूर्व राजदूत | |
अरुणा रॉय | IAS (त्यागपत्र) | ||
ए के सामंत | IPS (सेवानिवृत्त) | पूर्व पुलिस महानिदेशक (इंटेलिजेंस), पश्चिम बंगाल सरकार | |
दीपकसानन | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व प्रधान सलाहकार (एआर), मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश | |
जी शंकरन | IC&CES (सेवानिवृत्त) | पूर्व अध्यक्ष, सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क और सोना (नियंत्रण) अपीलीय न्यायाधिकरण | |
एन सी सक्सेना | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व सचिव, योजना आयोग, भारत सरकार | |
ए सेलवाराज | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व मुख्य आयुक्त, आयकर, चेन्नई | |
अर्धेंदु सेन | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व मुख्य सचिव, पश्चिम बंगाल | |
अभिजीत सेनगुप्ता | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व सचिव, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार | |
आफ़ताब सेठ | IFS (सेवानिवृत्त) | जापान में पूर्व राजदूत | |
अशोक कुमार शर्मा | IFoS (सेवानिवृत्त) | पूर्व एमडी, राज्य वन विकास निगम, गुजरात सरकार | |
अशोक कुमार शर्मा | IFS (सेवानिवृत्) | फिनलैंड और एस्टोनिया में पूर्व राजदूत | |
नवरेखा शर्मा | IFS (सेवानिवृत्त) | इंडोनेशिया में पूर्व राजदूत | |
राजू शर्मा | IAS (सेवानिवृत्) | पूर्व सदस्य ,राजस्व परिषद ,उत्तर प्रदेसश | |
तिरलोचन सिंह | IAS (सेवानिवृत्) | पूर्व सचिव, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग, भारत सरकार | |
नरेंद्र सिसोदिया | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व सचिव, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार | |
ए के श्रीवास्तव | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व प्रशासनिक सदस्य, मध्य प्रदेश प्रशासनिक अधिकरण | |
संजीवी सुंदर | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व सचिव, भूतल परिवहन मंत्रालय, भारत सरकार | |
परवीन ताल्हा | IRS(सेवा निवृत्त) | पूर्व सदस्य, संघ लोक सेवा आयोग | |
थैंक्सी थेक्केरा | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव, अल्पसंख्यक विकास, महाराष्ट्र सरकार | |
पी एस एस थॉमस | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व महासचिव, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग | |
गीता थूपल | IRAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व महाप्रबंधक, मेट्रो रेलवे, कोलकाता | |
हिंदल तैयबजी | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व मुख्य सचिव स्तर, जम्मू और कश्मीर सरकार | |
जावेद उस्मानी | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त, उत्तर प्रदेश | |
अशोक वाजपेयी | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व अध्यक्ष, ललित कला अकादमी | |
रमणी वेंकटेशन | IAS (सेवानिवृत्त) | पूर्व महानिदेशक, याशदा, महाराष्ट्र सरकार |