संसद सत्र के पहले दिन 14 सितम्बर को किसानों और बेरोजगारों का देशव्यापी प्रतिरोध प्रदर्शन


‘रोजगार बने मौलिक अधिकार‘ कैंपेन के तहत मानसून सत्र के पहले दिन 14 सितम्बर को राष्ट्रीय स्तर पर रोजगार दिवस मनाने का निर्णय छात्र-युवा संगठनों ने लिया है। साथ ही अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर अपनी लंबित मांगों को लेकर पूरे देश में किसान संसद सत्र के पहले दिन ही देशव्यापी प्रदर्शन करेंगे।

उत्‍तर प्रदेश में युवा मंच द्वारा बुलाई गई वर्चुअल मीटिंग में देशभर के विभिन्न छात्र, युवा, प्रतियोगी छात्र संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए। रोजगार के सवाल पर राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन को संगठित करने को लेकर गंभीर विचार विमर्श हुआ। तय किया गया कि संसद के मानसून सत्र के पहले दिन 14 सितंबर को राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिवाद कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा और हैशटैग #रोजगार_बने_मौलिक_अधिकार के तहत सोशल मीडिया कैंपेन संचालित किया जाएगा।

दूसरी ओर समन्वय समिति से जुड़े विजय भाई और छत्तीसगढ़ किसान सभा के राज्य अध्यक्ष संजय पराते ने बताया कि छत्तीसगढ़ में किसानों का ये प्रदर्शन कोविड-19 के प्रोटोकॉल और फिजिकल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए हर गांव में आयोजित किया जाएगा जबकि दिल्ली में समन्वय समिति से जुड़े संगठन एक विशाल धरना का आयोजन करेंगे।

बेरोजगारों के प्रदर्शन में 24 लाख पदों की भर्ती, निशुल्क, पारदर्शी व समयबद्ध भर्ती प्रक्रिया, बेकारी भत्ता, रोजगार सृजन के लिए कृषि, लधु कुटीर व सार्वजनिक उधोगों की मजबूती, कारपोरेट पर टैक्स व लोकतंत्र की रक्षा जैसे मुद्दे उठाने का निर्णय हुआ है।

उसी दिन देशव्यापी किसान प्रदर्शनों के जरिये केंद्र सरकार से कृषि विरोधी अध्यादेशों और पर्यावरण आंकलन मसौदे को वापस लेने, कोरोना संकट के मद्देनजर ग्रामीण गरीबों को मुफ्त खाद्यान्न और नगद राशि से मदद करने, मनरेगा में 200 दिन काम और 600 रुपये रोजी देने, व्यावसायिक खनन के लिए प्रदेश के कोल ब्लॉकों की नीलामी और नगरनार स्टील प्लांट का निजीकरण रद्द करने, किसानों को स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार सी-2 लागत मूल्य का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य के रूप में देने और उन्हें बैंकिंग तथा साहूकारी कर्ज़ के जंजाल से मुक्त करने, आदिवासियों और स्थानीय समुदायों को जल-जंगल-जमीन का अधिकार देने के लिए पेसा कानून का क्रियान्वयन करने की मांग की जाएगी।


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