16 से 21 अगस्त तक लगेगी ऑनलाइन जनता संसद, मतदान की भी होगी सुविधा


अनेक जन संगठन और संस्थाएँ मिल कर 16 अगस्त से 21 अगस्त तक रोज़ सुबह 10:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक जनता संसद आयोजित कर रहे हैं। उद्घाटन 16 अगस्त को सुबह 11:00 बजे होगा। न्यायमूर्ति ए. पी. शाह, सैयदा हमीद, जिग्नेश मेवाणी और सोनी सोरी उद्घाटन सत्र के वक्ता हैं।

कोविड-19 महामारी के कारण लगायी गयी तालाबंदी की वजह से संसद का बजट सत्र संक्षिप्त किया गया था और तब से संसद का कोई भी सत्र नहीं हुआ है। महामारी और तालाबंदी ने लोगो का जीवन मौलिक रूप से बदल दिया है और कोई भी ऐसा आर्थिक एवं सामाजिक क्षेत्र नहीं है जो इन घटनाओं से अप्रभावित है।

दुनिया भर में अनेक देशों ने ऑनलाइन सत्र लेना शुरू कर दिया क्योंकि खासकर महामारी के दौरान, संसद लोगों का प्रतिनिधित्व करना और सरकार पर सवाल करने का काम नहीं छोड़ सकती। लेकिन भारत में, कई नीतियों पर निर्णय लिए गये जो विवादास्पद भी रहे और जिनके दूरगामी परिणाम भी हो सकते हैं और इन पर संसदीय जांच या प्रतिनिधित्व की जवाबदेही नहीं मांगी गयी है।

इसलिए जागृत नागरिकों ने निर्णय लिया है कि वे साथ मिल कर एक जनता संसद आयोजित करें, ताकि कोविड से जुड़ी महत्वपूर्ण नीतियों के उपायों पर चर्चा की जा सके।

इस कार्यक्रम के बारे में और जानकारी देने के लिए, इसकी पृष्ठभूमि और संकल्पना पर कुछ लेख नीचे दिये गये हैं।

जनता संसद की कार्यवाही का लाइव वीडियो सभी jantaparliament.wordpress.com पर देख सकते हैं, लेकिन वहां अनुवाद और मतदान की सुविधा नहीं होगी। इसलिए, अगर संभव हो, बेहतर यही होगा कि आप ज़ूम (Zoom) पर जुड़ें – जिसके लिए आपको पंजीकरण यहाँ करना होगा: bit.ly/jp2020registration

Janta-Parliament-background

Janta-Parliament-Concept-Note


About जनपथ

जनपथ हिंदी जगत के शुरुआती ब्लॉगों में है जिसे 2006 में शुरू किया गया था। शुरुआत में निजी ब्लॉग के रूप में इसकी शक्ल थी, जिसे बाद में चुनिंदा लेखों, ख़बरों, संस्मरणों और साक्षात्कारों तक विस्तृत किया गया। अपने दस साल इस ब्लॉग ने 2016 में पूरे किए, लेकिन संयोग से कुछ तकनीकी दिक्कत के चलते इसके डोमेन का नवीनीकरण नहीं हो सका। जनपथ को मौजूदा पता दोबारा 2019 में मिला, जिसके बाद कुछ समानधर्मा लेखकों और पत्रकारों के सुझाव से इसे एक वेबसाइट में तब्दील करने की दिशा में प्रयास किया गया। इसके पीछे सोच वही रही जो बरसों पहले ब्लॉग शुरू करते वक्त थी, कि स्वतंत्र रूप से लिखने वालों के लिए अखबारों में स्पेस कम हो रही है। ऐसी सूरत में जनपथ की कोशिश है कि वैचारिक टिप्पणियों, संस्मरणों, विश्लेषणों, अनूदित लेखों और साक्षात्कारों के माध्यम से एक दबावमुक्त सामुदायिक मंच का निर्माण किया जाए जहां किसी के छपने पर, कुछ भी छपने पर, पाबंदी न हो। शर्त बस एक हैः जो भी छपे, वह जन-हित में हो। व्यापक जन-सरोकारों से प्रेरित हो। व्यावसायिक लालसा से मुक्त हो क्योंकि जनपथ विशुद्ध अव्यावसायिक मंच है और कहीं किसी भी रूप में किसी संस्थान के तौर पर पंजीकृत नहीं है।

View all posts by जनपथ →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *