प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संसदीय सीट बनारस में बुधवार को सभी प्राथमिक और सामुदायिक चिकित्सा केंद्रों के प्रभारियों के सामूहिक इस्तीफे का मामला फिलहाल मान मनौवल के बाद ठंडा हो गया दिखता है, लेकिन इसी बहाने चिकित्सकों के उत्पीड़न का मामला अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की चौखट पर पहुँच गया है। प्रोविनशियल मेडिकल सर्विसेज़ एसोसिएशन, यूपी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर प्रदेश के चिकित्सा अधिकारियों से प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा किए जा रहे खेदजनक व्यवहार और असंसदीय भाषा की शिकायत की है।
इससे पहले बुधवार को जनपद के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के प्रभारी चिकित्सा अधिकारियों के द्वारा मुख्य चिकित्साधिकारी को एक ज्ञापन प्रस्तुत किया गया था जिसमें उनके द्वारा यह उल्लेख किया गया था कि वे प्रभारी चिकित्सा अधिकारी का कार्य नहीं करना चाहते तथा अन्य चिकित्सा कार्य करते रहेंगे। इस संबंध में मुख्य चिकित्सा अधिकारी तथा पीएमएचएस एसोसिएशन के पदाधिकारियों के द्वारा सभी लोगों से वार्ता की गई, सभी लोगों को समझाया गया कि इस समय कोरोना महामारी की संकट की घड़ी है इसलिए सबको मिलकर मनोयोग से कार्य करने की आवश्यकता है। इसके उपरांत सभी प्रभारियों द्वारा अपना कार्य सुचारू रूप से करने पर सहमति जताई तथा प्रकरण समाप्त हो गया।
इस बीच बनारस के अडिश्नल सीएमओ डॉक्टर जंगबहादुर की मौत के बाद उनकी लाश परिजनों को सौंपने में हुई हेरफेर पर बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में एक जांच कमेटी बैठा दी गयी है।
गौरतलब है कि वाराणासी के कई थानों मे थानाध्यक्ष रहे अनुपम श्रीवास्तव जो इस समय फूड विजिलेंस सेल डिपार्टमेंट में हैं, उनके पिता का एक निजी अस्पताल में कोरोना का इलाज चल रहा था। मंगलवार देर रात निजी अस्पताल ने बीएचयू के लिए उन्हें भेज दिया जहां मध्य रात्रि लगभग ढाई बजे डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। सभी खानापूर्ति के बाद जब लाश परिवार को दी गयी तो परिजनों ने उस लाश को अपना होने से इनकार कर दिया। अस्पताल वालों के बताने के अनुसार एक लाश उन्होंने डॉक्टर जंगबहादुर के परिजनों को दी थी जिसको लेकर लोग हरिश्चंद्र घाट गये हुए थे। जब अनुपम श्रीवास्तव का परिवार भाग कर वहां पहुँच तो चिता पर लाश को लोगों ने आग लगा दी थी, जो लगभगआधी जल चुकी थी। यह लाश उनके पिता की थी, जो जंगबहादुर के परिजनों को सौंप दी गयी थी।
इन सब मामलों के बाद गरमाए चिकित्सा विभाग में किसी तरह चिकित्सकों को मना तो लिया गया, लेकिन मेडिकल एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर चिकित्सकों के साथ हो रहे अन्याय की सुध लेने की गुहार लगायी है। पूरा पत्र नीचे दिया जा रहा है।