दुनिया एक वैश्विक महामारी की चपेट में है। स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खुल गयी है लेकिन सरकार इस आपदा को अवसर के रूप में इस्तेमाल कर रही है। श्रम कानून पर कुठाराघात करके मजदूरों को पूंजीपतियों का बंधुआ मजदूर बनाने का प्रयास कर रही है। निजीकरण की रफ़्तार को बढ़ा दिया गया है, प्रतिरोध की आवाज को दबाने के लिए लोगो को गिरफ्तार किया जा रहा है और साथ-साथ उच्च शिक्षा में मनमाने ढंग से बहुजन और कमज़ोर वर्ग के हितों की अवहेलना करने हुए निर्णय लिए जा रहे हैं। जब भारत का कमजोर और बहुजन तबका भयानक त्रासदी से गुजर रहा है तब उनके बच्चों को ऑनलाइन ओपेन बुक परीक्षा देने को कहा जा रहा है।
जो समान हैं उनके साथ अगर समान व्यवहार नही होता है तो यह अन्याय है, लेकिन अगर असमानों के साथ समान व्यवहार हो तब यह और भी बड़ा अन्याय है। इसी समानता का सिद्धांत हमारे संविधान में भी अपनाया गया है। हमारे संविधान के अनुच्छेद 14 में दो अलग-अलग शब्द का प्रयोग किया गया- ‘विधि के समक्ष समानता’ और ‘विधि का समान संरक्षण’। विधि का समान संरक्षण ही यह सुनिश्चित करता है कि समाज के सबसे कमजोर तबके का ख्याल कैसे रखा जाए ताकि वह बाकी समाज के साथ चल सके। रीज़नेबल क्लासिफिकेशन जरूरी है ताकि सबको एक ही तराजू में न तौला जा सके और जिसको ज्यादा संरक्षण की जरूरत है राज्य उसका विशेष ध्यान रखे।
भारत क्षेत्र का हर अंग जो अनुच्छेद 12 के ‘राज्य’ के दायरे में है उस पर अनुच्छेद 14 बाध्यकारी है। जिसको ज्यादा संरक्षण की जरूरत है उसको ज्यादा संरक्षण मिल सके, सही मायने में यही समानता है। दिल्ली विश्वविद्यालय भी अनुच्छेद 12 के अंतर्गत आता है और अनुच्छेद 14 से बंधा हुआ है। इसके बावजूद एक तुग़लगी फरमान के जरिये दिल्ली विश्वविद्यालय ने बिना किसी तैयारी के ऑनलाइन परीक्षा कराने की घोषणा कर देता है।
दिल्ली विश्वविद्यालय अपने सभी विभागाध्यक्षों को 13 मई 2020 को एक पत्र के द्वारा यह निर्देश देता है कि वे ऑनलाइन ओपेन बुक एग्जाम के लिए प्रश्नपत्र तैयार करें। दिल्ली विश्वविद्यालय ने बिना किसी तैयारी के ओपेन बुक एग्जाम करवाने का निर्णय लिया है। ओपेन बुक एग्जाम और क्लोज बुक एग्जाम दो बिल्कुल अलग पद्धति हैं। कौन सी पद्धति से अंकपत्र मिलेगा इसका निर्णय सबसे पहले होता है और उसी अनुरूप सिलेबस, रीडिंग मैटेरियल, पढ़ाने का अप्रोच और प्रश्नपत्र का स्वरूप निर्धारित होता है। इस विषय पर शिक्षाशास्त्र और मनोविज्ञान में पर्याप्त विचार विमर्श हुआ है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के अनुसार ओपेन बुक एग्जाम में बच्चे का समय निश्चित होगा। दो घंटे तक लिंक खुला रहेगा उसके बाद बंद हो जाएगा। इस बीच जिसकी नेट कनेक्टिविटी खराब होगी उसको नुकसान उठाना पड़ेगा। अगर कोई छात्र अपनी जगह किसी एक्सपर्ट को बैठा दे या एक्सपर्ट की मदद ले तो इसको रोकने का कोई उपाय नहीं है। इन सब बातों की चर्चा किये बिना ही विश्वविद्यालय प्रशासन ने यह निर्णय आनन फानन में ले लिया।
दिल्ली विश्वविद्यालय देश का सबसे महत्वपूर्ण शिक्षण संस्थान है जिसमें लगभग 125000 से ज्यादा बच्चे पढ़ते हैं। इनमें 60 फीसद छात्र एससी, एसटी,ओबीसी, दिव्यांग, ग़रीब होते हैं, जिनकी बमुश्किल पहली पीढ़ी विश्वविद्यालय में पहुंच पायी है। विश्वविद्यालय के इस निर्णय से इस तबके के छात्रों में सबसे ज्यादा निराशा आयी है। इस वर्ग के छात्रों का एक बड़ा तबका महामारी की मार से बेहाल है। इनका परिवार एक जगह से दूसरी जगह विस्थापित हो रहा है, परिवार के सामने रोजगार का संकट है। विश्वविद्यालय के इस एकतरफा निर्णय से उनके शैक्षणिक भविष्य पर ग्रहण लगने का संकट आ गया है क्योकि जो परिवार दो वक्त की रोटी का जुगाड़ नहीं कर पा रहा है, वह अपने बच्चे को वाइफाइ या नेट कनेक्टिविटी कहां से लाकर देगा। कोरोना महामारी ने मजबूरों की रोजी रोटी पर जो लात मारी है वही काम ऑनलाइन परीक्षा कराने का निर्णय इस वर्ग के छात्रों के शैक्षणिक भविष्य के साथ करने वाला है।
राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (2014) के अनुसार 27 फीसद घरों के कुछ सदस्यों के पास ही इंटरनेट पहुंच होती है, 12 फीसद घरों में कंप्यूटिंग डिवाइस पर इंटरनेट पहुंच होती है। किसी विश्वविद्यालय में बहुत ही संपन्न और बमुश्किल वहां तक पहुंच पाने वाला वर्ग होता है जैसे सेंट स्टीफ़ेन कॉलेज और श्यामलाल कॉलेज में पढ़ने वालों बच्चो की तुलना की जा सकती है। यहां पर पढ़ने वाले बच्चों की पृष्ठभूमि के बारे में अंदाजा लगाया जा सकता है। अमेरिका में भी यह बात मानी गयी कि प्रत्यक्ष पढ़ाई और ऑनलाइन पढ़ाई की गुणवत्ता में एक आठ का अंतर होता है।
शिक्षा का समान अधिकार सबको मिलना चाहिए। दिल्ली विश्वविद्यालय में लॉकडाउन की वजह से ऑनलाइन क्लास शुरू हुई जिसमें बड़ी मुश्किल से 30 से 35 फीसदी बच्चे आ पाते थे। नई शिक्षा नीति में 25 फीसद क्लास ऑनलाइन करने की बात हुई है। उसको पूरा करने और धीरे-धीरे निजीकरण करने की मंशा के साथ सरकार यह प्रयोग कर रही है। अभी हाल ही में देश के मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि वैदिक परम्परा ही शिक्षा का आधार होगी, उसमे बहुजन कहां होगा? ऑनलाइन पढ़ाई और परीक्षा किस आधार पर हो रही है?
जैसा कि दिल्ली विश्वविद्यालय के सोशियोलॉजी डिपार्टमेंट ने लिखित में विरोध जताते हुए कहा है कि बच्चों के पिछले सेमेस्टर के आधार पर उनका मूल्यांकन किया जा सकता है। इस सत्र को आगे बढ़ाया जा सकता है या फिर सीबीएसई की तरह परीक्षा करायी जा सकती है जहां-जहां संभव हो सके। एक झटके में दिल्ली विश्वविद्यालय को दूरस्थ शिक्षण संस्थान में परिवर्तित नहीं किया जा सकता है। आपदा को अवसर बनाने वाली संस्थाएं कमजोर वर्गों के लिए विश्वविद्यालय एवं शिक्षण संस्थानों के दरवाजे पूरी तरह से बंद करने के लिए प्रयासरत हैं।
दिल्ली विश्वविद्यालय की वरिष्ठ शिक्षिका कौशल पंवार ने इस मसले पर राष्ट्रपति का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने एकेडमिक्स फ़ॉर एक्शन एंड डेवेलपमेंट नाम के शिक्षण मंच की तरफ से राष्ट्रपति को पत्र लिख कर मांग की है कि बहुजन छात्रों के हित को ध्यान में रख कर इस मामंले में हस्तक्षेप करें!
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने ऑनलाइन परीक्षा को हरी झंडी दे दी है, यह कहते हुए कि कमजोर वर्गों के बच्चों का ख्याल रखा जाए। इस रस्म अदायगी के साथ भारत सरकार ने बहुजन छात्रों के साथ होने वाले अन्याय से मुंह फेर लिया है। बच्चों का ख़याल रखा जाए लेकिन कैसे? यह पूरी तरह युनिवर्सिटी के ऊपर छोड़ दिया गया है, जिसके लिए यूनिवर्सिटी बिल्कुल तैयार नहीं दिख रही है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के तीन छात्रों ने ऑनलाइन ओपेन बुक एग्जाम के खिलाफ यह कहते हुए दिल्ली हाइकोर्ट में याचिका दायर की है कि विश्वविद्यालय का यह निर्णय अवसर की समानता का उल्लंघन करता है। दिल्ली यूनिवर्सिटी का शिक्षक संघ (डूटा) इसका मुखर विरोध कर रहा है। दिल्ली विश्वविद्यालय का छात्र संघ भी इसके विरोध में है। इसके बावजूद दिल्ली विश्वविद्यालय ने सभी मानकों को ताक पर रख कर ऑनलाइन ओपेन बुक परीक्षा करवाने की तिथि घोषित कर दी है। यह निर्णय भी अभिजात्य और सम्पन्न की सहमति से बहुजन समाज को शिक्षा से मरहूम करने की साजिश है, यह अभी शुरुआत है। भारत सरकार ने नई शिक्षा नीति में अपनी मंशा ज़ाहिर कर दी है कि वह धीरे-धीरे शिक्षण संस्थानों को निजी हाथों के सौंपना चाहती है। इसका सीधा मतलब होगा कि बहुजन एवं कमजोर वर्गों के लिए उच्च शिक्षा के रास्ते बंद हो जाएंगे।
लेखक दिल्ली युनिवर्सिटी से सम्बद्ध सत्यवती कॉलेज में इतिहास के असिस्टेंट प्रोफेसर हैं
यह आलेख असमानता को बढ़ावा देने वाली सरकार की तानाशाही नीतियों में ज़रूरी हस्तक्षेप है।
मेरा नाम राहुल है और मैं दिल्ली विश्वविद्यालय का छात्र हूं।
ये हकीकत दिल्ली विश्वविद्यालय और सरकार के सामने लाना जरूरी है , जिससे उन्हें अपने विचारों और नीतियों पर ध्यान देना चाहिए, ओपन बुक एग्जाम भले ही 1 और 2 वर्ल्ड के देशों के लिए बेहतर उपाय होगा।
लेकिन हमारे यहां जहां internet ki सुविधा कुछ ही जगह और कुछ ही बच्चों तक सीमित है , और हमें इस एग्जाम की तैयारी और कैसे एग्जाम होगा उसकी कोई भी समझ और तैयार नहीं किया गया ।
जहां हमें छोटे से लेकर आज तक परीक्षा सिर्फ कॉपी पेन पे देने की समझ और जानकारी है ,ओपन बुक एग्जाम को टेस्ट की तरह लेना बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है।
Very good article! We are linking to this particularly great content on our site. Keep up the great writing.
Hello Admin,
YOU NEED QUALITY VISITORS for your: junputh.com
My name is Charley Sasser, and I’m a Web Traffic Specialist. I can get:
– visitors from search engines
– visitors from social media
– visitors from any country you want
– very low bounce rate & long visit duration
CLAIM YOUR 24 HOURS FREE TEST => https://bit.ly/3gqLEoE
Do not forget to read Review to convince you, is already being tested by many people who have trusted it !!
बहुजन समाज के लिए उच्च शिक्षा के दरवाजे बंद करने की तैयारी है ऑनलाइन ओपेन बुक परीक्षा – Junputh
Pretty nice post. I just stumbled upon your blog and wished to say that I’ve really
enjoyed browsing your blog posts. After all I will be subscribing to your rss
feed and I hope you write again soon!
Its like you read my mind! You seem to know so much about this, like you wrote the book in it or something.
I think that you can do with some pics to drive the message home a little bit, but other than that, this is excellent blog.
A fantastic read. I will certainly be back.
I like the valuable info you provide in your articles.
I’ll bookmark your blog and check again here frequently.
I am quite sure I will learn a lot of new stuff right here!
Good luck for the next!
We are a gaggle of volunteers and opening a brand new scheme in our community.
Your site offered us with useful info to work on. You’ve performed an impressive
job and our whole community shall be thankful to you.
Hi mates, how is everything, and what you desire to say
about this piece of writing, in my view its genuinely remarkable in favor of me.
It’s going to be finish of mine day, however before end I am reading this impressive piece of writing to improve my knowledge.