उत्तर प्रदेश के प्रवासियों को उनके घर पहुंचाने के लिए कांग्रेस द्वारा राज्य की सीमा पर तैनात की गयीं 1000 बसों पर यूपी सरकार से चल रही तकरार ने देर रात एक नाटकीय मोड़ ले लिया जब अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी की एक आकस्मिक चिट्ठी प्रियंका गांधी के निजी सचिव संदीप सिंह के नाम रात बारह बजे के करीब आयी। इन बसों को शासन की औपचारिक मंजूरी का मामला इसके बाद फंस गया लगता है।
सोमवार की शाम चार बजे अवनीश कुमार अवस्थी की ओर से प्रियंका गांधी द्वारा तीन दिन पहले मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र का संदर्भ लेते हुए संदीप सिंह को वॉट्सएप के माध्यम से एक पत्र भेजा गया कि प्रवासी मजदूरों के संदर्भ में कांग्रेस का प्रस्ताव शासन को स्वीकार्य है, लेकिन पहले बसों का विवरण भेजा जाय। इसके तुरंत बाद सिंह ने अवस्थी को एक पत्र भेज कर 1000 बसों की सूची और उनका विवरण उपलब्ध कराया और आशा जतायी कि बसों के लिए अनुमति पत्र जल्द से जल्द शासन द्वारा उपलब्ध करा दिया जाएगा।
शासन की ‘हां’ के बाद कांग्रेस ने भेजा बसों का विवरण, गेंद अब भी सरकार के पाले में
देर रात 11 बजकर 40 मिनट पर अवस्थी का एक आकस्मिक पत्र मेल द्वारा सिंह को भेजा गया जिसमें मांग की गयी कि तमाम दस्तावेजों सहित 1000 बसें लखनऊ में सरकार को हैंडओवर कर दी जाएं। अवस्थी का आधी रात आया पत्र नीचे देखा जा सकता है जिसमें समस्त बसों सहित उनका फिटनेस सर्टिफिकेट और चालक के ड्राइविंग लाइसेंस सहित परिचालक का पूरा विवरण लेकर 19 तारीख की सुबह 10 बजे वृंदावन योजना के सेक्टर 15-16 में लखनऊ के जिलाधिकारी को उपलब्ध कराने की बात की गयी है।
इस पत्र के मिलने के बाद यह तय था कि जो मांगें शासन की ओर से इतने आकस्मिक तरीके से की गयी हैं उन्हें पूरा कर पाना अव्वल तो मुमकिन नहीं है, दूसरे संसाधनों की बरबादी के अलावा इसे कुछ भी नहीं कहा जा सकता। मामला फंस चुका था।
कांग्रेस की ओर से इस पत्र का जवाब रात 2 बज कर 10 मिनट पर दिया गया। संदीप सिंह ने अवस्थी को भेजे उत्तर (दिनांक 19/5/2020) में लिखा है कि जब यूपी बॉर्डर पर पंजीकरण के लिए हज़ारों मजदूरों की भीड़ जुटी है, इस बीच 1000 खाली बसों को लखनऊ भेजना न सिर्फ पैसे और संसाधनों की बरबादी है बल्कि “हद दर्जे की अमानवीयता है और एक घाेर गरीब विरोधी मानसिकता की उपज भी है”।
संदीप सिंह का पत्र नीचे पढ़ा जा सकता है।
इस पत्र में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के किसी टीवी साक्षात्कार का ज़िक्र है जिसमें उन्होंने कथित तौर पर कहा है कि वे पिछले तीन दिन से कांग्रेस से बसों की सूची मांग रहे थे। इसके उलट तथ्य बताते हैं कि बसों के विवरण उपलब्ध करवाने संबंधी पत्र सोमवार शाम चार बजे वॉट्सएप से भेजा गया था।
एक ओर जहां हज़ारों मजदूर सोमवार को ग़ाज़ियाबाद के रामलीला मैदान में इकट्ठा हुए, वहीं दूसरी ओर उन्हें घर तक पहुंचाने के लिए नोएडा और ग़ाज़ियाबाद की सीमा पर कांग्रेस की लायी पांच पांच सौ बसें सरकारी मंजूरी का मुंह देखती रहीं। मंजूरी आयी भी तो केवल काग़ज़ी क्योंकि आधी रात 12 बजे के आसपास बसों को अगली सुबह 10 बजे तक मय काग़ज़ात खाली भेजने का फ़रमान आया।
सवाल उठता है कि जब मजदूर ग़ाज़ियाबाद में अटके हैं तो उन्हें लिए बगैर लखनऊ तक बसों को खाली भेजने के अजीबोगरीब नुस्खे के पीछे कौन सी सोच काम कर रही है। कांग्रेस ने शासन को भेजे पत्र में साफ़ लिखा है कि सरकार की यह मांग “पूरी तरह राजनीति से प्रेरित” लगती है। पत्र में कहा गया है कि प्रवासी श्रमिकों को नोएडा और ग़ाज़ियाबाद से इन बसों से ले जाने संबंधी दिशानिर्देश और समन्वय के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाएं।
इसका सीधा सा मतलब है कि तीन दिन पहले 16 मई को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के भेजे पत्र पर यूपी सरकार केवल काग़ज़ी खानापूर्ति करने में लगी थी और अब तक इसका कोई नतीजा नज़र नहीं आ रहा है। आज सुबह 10 बजे की समय सीमा समाप्त होने के बाद यह नाटक क्या मोड़ लेता है, वह देखने लायक होगा।
दिलचस्प यह है कि सोमवार शाम तकरीबन सभी मीडिया संस्थानों ने एक ही खबर प्रसारित की थी कि योगी आदित्यनाथ की सरकार कांग्रेस के प्रस्ताव पर सहमत हो गयी है। यह ख़बर अब झूठी साबित हो चुकी है।
दिन भर खड़ी रहीं कांग्रेस की लायी 500 बसें, यूपी में घुसने नहीं दिया गया
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