प्रधानमंत्री जी ने बजट 2025-26 की घोषणा करते हुए इसे ‘गरीब, युवा, अन्नदाता और नारी का बजट’ बताया था, लेकिन 2025-26 के 50.65 लाख करोड रुपयों के बजट में इन वर्गों के लिए संबंधित मंत्रालयों के बजट में कोई अतिरिक्त प्रावधान नहीं दिखाई देता। ये पिछले साल के बजट से तीन लाख करोड रुपये यानी 6.27 प्रतिशत ज्यादा है। बजट 2025-26 में कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, शहरी विकास, महिला और बाल विकास आदि मंत्रालयों के बजट में कोई बढ़ोतरी नहीं दिखाई देती।
जिस देश में आधी आबादी कृषि पर निर्भर है, उस देश के किसान के लिए कृषि के लिए केवल 1.71 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। उसमें भी किसानों को लाभ देने वाली योजनाओं में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए 12242 करोड़ रुपये आवंटित किये गये, जो पिछले साल के बजट से 2358 करोड़ रुपये घटा दिये गये। प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना के लिए 63 हजार 500 करोड़ रुपये आवंटित किये गये जबकि पिछले साल यह राशि 60 हजार करोड़ रुपये थी। यानी मात्र 3.5 हजार करोड़ रुपये बढाये गये। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की राशि मात्र 10 करोड़ रुपये बढाकर 1260 करोड़ रुपये की गई है।
कपास उत्पादकता मिशन के लिए मात्र 500 करोड़ रुपये और बिहार मखाना बोर्ड के लिए मात्र 100 करोड़ रुपये आवंटित किये गये। इस राशि से किसानों को सीधा लाभ नहीं है। प्राकृतिक खेती के लिए कोई प्रावधान नहीं है। कृषि में निवेश और कृषि उत्पादकता में बढ़ोतरी, यह किसानों के हालात को सुधार करने के लिए नहीं बल्कि कृषि को कंपनियों को हवाले करने दिशा में बढाया गया कदम है।
देश की 90 प्रतिशत जनता से जुड़े विभिन्न मंत्रालयों की कुछ योजनाओं पर आवंटित किया गया बजट समझने की कोशिश करते हैं।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
बजट 2025-26 में 12242 करोड़ रुपये आवंटित, जो 2024-25 में 14600 करोड़ रुपये थे।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना
बजट 2025-26 में 63500 करोड़ रुपये आवंटित, जो 2024-25 में 60000 करोड़ रुपये थे।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना
बजट 2025-26 में 8260 करोड़ रुपये आवंटित, जो 2024-25 में 8250 करोड़ रुपये थे।
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना
बजट 2025-26 में 203000 करोड़ रुपये आवंटित, जो 2024-25 में 205250 करोड़ रुपये थे।
प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना
बजट 2025-26 में 2200 करोड़ रुपये आवंटित, 2024-25 में भी 2220 करोड़ रुपये ही थे।
प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण योजना
बजट 2025-26 में 6941 करोड़ रुपये आवंटित, जो 2024-25 में 6438 करोड़ रुपये थे। पिछले बजट में वास्तविक खर्च आधे से कम हुआ है।
मिशन शक्ति (महिला संरक्षण और सशक्तिकरण मिशन)
बजट 2025-26 में 3150 करोड़ रुपये आवंटित, जो 2024-25 में 3146 करोड़ रुपये थे।
मिशन वात्सल्य (बाल संरक्षण सेवाएं और बाल कल्याण सेवाएं)
बजट 2025-26 में 1500 करोड़ रुपये आवंटित, जो 2024-25 में 1472 करोड़ रुपये थे।
इस आवंटित बजट के संदर्भ में यह भी समझना होगा कि कई योजनाओं में वास्तविक खर्च बजट अनुमान से भी कम किया जाता है। इसका अर्थ यह है कि सरकार बजट के आकड़ों द्वारा जनता को गुमराह करने की कोशिश करती है।
12 लाख रुपये की आय पर टैक्स में छूट को ऐतिहासिक बताया जा रहा है, लेकिन यह एक छलावा है। हम जानते हैं कि देश में करदाताओं की संख्या सीमित है और अधिकांश लोग कर बचाने के लिए विभिन्न कानूनी उपाय अपनाते हैं। सरकार ने 12 लाख रुपये सालाना कमाने वालों को छूट देने की घोषणा तो की है. लेकिन हकिकत में वे पहले से ही टैक्स बचाने की योजनाओं का उपयोग करते हैं।
इस बदलाव का वास्तविक प्रभाव केवल इतना ही है कि अब करदाताओं को कर बचाने के लिए किसी विशेष योजना में निवेश करना अनिवार्य नहीं होगा। यह सरकार की रणनीतिक प्रस्तुति है, जो दीर्घकालिन अनुभव और गणना पर आधारित है लेकिन व्यावहारिक रूप से करदाताओं को इसका लाभ नहीं होगा।
प्रधानमंत्री जी ने बजट को ज्ञान का बजट कहा है, लेकिन भारत ने एआइ मिशन के लिए मात्र दो हजार करोड़ रुपये आवंटित किये हैं। लगता है करदाताओं को कर की छूट का ज्ञान एआइ से ही प्राप्त हुआ है।
आम जनता पर टैक्स बरकरार है। कारपोरेट टैक्स में कोई बढ़ोतरी नहीं। बजट प्राप्ति के लिए कारपोरेट टैक्स नहीं बढ़ाया गया, इसका अर्थ यही है कि इसकी पूर्ति आम जनता पर टैक्स लगाकर और कर्ज लेकर ही की जाएगी। सरकार पर कर्ज इतना बढ़ गया है कि केवल ब्याज चुकाने के लिए 12.76 लाख करोड़ राशि खर्च करनी होगी।
अगर बजट में आम आदमी, किसान, मजदूर, महिला, युवा के लिए कुछ भी नहीं है, तो फिर कारपोरेट मीडिया इतनी उछलकूद क्यों कर रहा है? इसलिए कि इससे भारत के कारपोरेट घरानों को लाभ पहुंचाया गया है। मीडिया देश से नहीं, अपने मालिकों से वफादारी निभा रहा है।