प्रदेश की शेड्यूल इंडस्ट्रीज में कार्यरत मजदूरों के न्यूनतम मजदूरी का तत्काल वेज रिवीजन करने, असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा योजनाएं बनाने, निर्माण मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा के लिए बनी योजनाओं के सुचारू रूप से संचालन, घरेलू कामगार मजदूरों के पंजीकरण के लिए विशेष अभियान चलाने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश से जा रहे मजदूरों के विधिक अधिकारों के संरक्षण के लिए आज असंगठित मजदूरों के साझा मंच की तरफ से प्रमुख सचिव श्रम श्री अनिल कुमार से मिलकर ज्ञापन सौंपा गया।
मंच की तरफ से एटक के प्रदेश महामंत्री चंद्रशेखर, वर्कर्स फ्रंट के प्रदेश अध्यक्ष दिनकर कपूर व टीयूसीसी के प्रदेश महामंत्री प्रमोद पटेल ने ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन पर प्रमुख सचिव ने मांगों को हल करने का आश्वासन दिया और वही मौजूद सचिव असंगठित क्षेत्र कर्मकार कल्याण बोर्ड को मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा के लिए नीति बनाने हेतु सभी श्रमिक संगठनों की बैठक बुलाने का निर्देश दिया।
ज्ञापन में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश में 2014 में शेड्यूल इंडस्ट्री में कार्यरत मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी का निर्धारण हुआ था। नियमानुसार इसे पांच वर्ष बाद 2019 में होना था लेकिन चार साल बीतने के बाद भी अभी तक न्यूनतम मजदूरी निर्धारण के लिए कमेटी तक का निर्माण नहीं किया गया है। इस भीषण महंगाई की हालत में बेहद कम मजदूरी के चलते मजदूरों के लिए अपने परिवार का भरण पोषण करना मुश्किल होता जा रहा है।
ज्ञापन में कहा गया कि प्रदेश में 8 करोड़ 30 लाख मजदूरों का ई-श्रम पोर्टल के माध्यम से पंजीकरण कराया गया लेकिन इन असंगठित मजदूरों के लिए एक भी सामाजिक सुरक्षा योजना चालू नहीं है। इन मजदूरों को मृत्यु, दुर्घटना और स्वास्थ्य संबंधी कोई भी है हितलाभ नहीं मिलता। यहां तक की इन्हें आयुष्मान कार्ड का भी लाभ नहीं मिल रहा है। निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में पंजीकरण, नवीनीकरण व हित लाभ योजनाओं की आनलाइन प्रक्रिया के कारण मजदूर इसके लाभ से वंचित हो जा रहे। विशेष तौर पर प्रदेश में छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड आदि राज्यों से आने वाले मजदूरों को योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
घरेलू कामगार के लिए 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने पंजीकरण कराने और योजनाओं का लाभ देने का आदेश दिया था। बावजूद इसके आज तक इन्हें लाभ नहीं मिल पा रहा है। प्रमुख सचिव के संज्ञान में लाया गया कि प्रदेश से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जाने वाले मजदूरों के साथ ह्यूमन ट्रैफिकिंग की जा रही है उनका टूर और ट्रेवल का वीजा बनवा कर उनसे तमाम देशों में श्रमिक के बतौर कार्य कराया जा रहा है और उनकी जीवन सुरक्षा से लेकर सामाजिक सुरक्षा तक सुनिश्चित नहीं है।
इन प्रश्नों पर प्रमुख सचिव से अपनी अध्यक्षता में श्रमिक संगठनों की बैठक बुलाने का अनुरोध किया गया ताकि प्रदेश में करोड़ों असंगठित मजदूरों का जीवन सुरक्षित हो सके। इसी संदर्भ में साझा मंच ने 21 जुलाई को तमाम श्रमिक संगठनों की बैठक भी बुलाई है ताकि आगामी रणनीति तय की जा सके।
दिनकर कपूर
प्रदेश अध्यक्ष, वर्कर्स फ्रंट