पंचतत्व: पाँच साल के भीतर बहुत महंगी पड़ने वाली है ये गर्मी!


आप अगर एनसीआर समेत उत्तर भारत के किसी राज्य में रहते हैं तो मार्च का महीना आपको पिछले बरसों के मुकाबले थोड़ा गर्म महसूस हुआ होगा। असल में, राजस्थान, पश्चिम मध्य प्रदेश और गुजरात सहित पूरे मध्य भारत में तापमान अधिक रहा है। इन सभी क्षेत्रों में तापमान सामान्य स्तर से ऊपर बना हुआ है, लेकिन हीटवेव स्तर तक पहुंचने के लिए पर्याप्त ऊंचा नहीं है।

मौजूदा स्थिति में निचले वायुमंडलीय स्तरों में हवाएं राष्ट्रीय राजधानी के ऊपर भी तेज चल रही हैं। यही कारण है कि तापमान ऊंचे स्तर तक नहीं पहुंच पा रहा है क्योंकि इन हवाओं के कारण वे दब रहे हैं।

समय से पहले आई इस गरमी से सिर्फ आपकी बिजली का बिल नहीं बढ़ेगा। वक्त से पहले एसी और पंखे चलने लगना तो बड़ी समस्या का कोना भर है। राजस्थान के कृषि विभाग ने साफ कर दिया है कि राज्य में गेहूं की पैदावार में इस समय से पहले की गरमी की वजह से 3 लाख मीट्रिक टन से लेकर 5 लाख मीट्रिक टन की कमी आ सकती है। गेहूं की पछैती फसल में दाने छोटे होंगे और उसकी कीमत कम होगी। किसान के लिए यह कैसी समस्या होगी यह आप सहज अंदाजा लगा सकते हैं।

यह महज उत्तर भारत की घटना नहीं है। यह व्यापक समस्या है जिस पर हम सोचना या बात करना ठीक नहीं समझते। विज्ञान पत्रिका नेचर के मुताबिक, इस वक्त दुनिया के दोनों ध्रुव गरमी से जूझ रहे हैं। हमेशा बर्फ से ढंके रहने वाले अंटार्कटिका के कुछ हिस्सों में तापमान सामान्य से करीबन 40 डिग्री सेंटीग्रेड अधिक है और आर्कटिक वृत्त में भी तापमान सामान्य से 30 डिग्री सेंटीग्रेड अधिक है।

https://twitter.com/defis_eu/status/1508443344283836427?s=20&t=F3rnpVleEwQYmKkiMPsj8w

अंटार्कटिका के मौसम केंद्र में लगातार रिकॉर्ड टूट रहे हैं। अंटार्कटिक के कोन्कॉर्डिया वेदर स्टेशन पर तापमान शून्य से 12 डिग्री नीचे अंकित किया गया है और यह इन दिनों के औसत तापमान से 40 डिग्री सेंटीग्रेड अधिक है। वोस्तोक स्टेशन कहीं अधिक ऊंचाई पर स्थित है और वहां का तापमान शून्य से 17.7 डिग्री दर्ज किया गया है और यह सामान्य से 15 डिग्री सेंटीग्रेड अधिक है। तटीय टेरा नोवा बेस पर तापमान 7 डिग्री सेंटीग्रेड है।

दूसरी तरफ आर्कटिक इलाके में इन दिनों के सामान्य तापमान से पारा 30 डिग्री सेंटीग्रेड ऊपर चल रहा है। उत्तरी ध्रुव का तापमान गलन बिंदु के आसपास आ गया है और मार्च के मध्य में ऐसा होना बेहद असामान्य है।

यह असामान्य इसलिए भी है क्योंकि पहले कभी भी दोनों ध्रुवों में एक साथ बर्फ पिघलनी शुरू नहीं होती थी। वैज्ञानिक इससे हैरत में हैं।

यूनिवर्सिटी ऑफ मेइन्स क्लाइमेट रीएनालाइजर के मुताबिक शुक्रवार को अंटार्कटिका महादेश का औसत तापमान 4.8 डिग्री सेंटीग्रेड था जो 1979 और 2000 के बीच के बेसलाइन तापमान से कहीं अधिक था। पूरा आर्कटिक वृत्त भी 1979 से 2000 के बीच के औसत से 3.3 डिग्री सेंटीग्रेड अधिक गर्म रहा।

दूर से हमें यह बेशक खतरे की बात न लग रही हो, पर सचाई यही है कि हम सब वैश्विक संकट के बदतरीन दौर में प्रवेश कर चुके हैं। हमारे लिए मंदिर, हिजाब, त्योहार के आगे चिड़िया, फूल, कीट, तापमान सब नजरअंदाज करने लायक मसले हो सकते हैं, पर यह लापरवाही अगले पांच साल में ही महंगी पड़ने वाली है। लिख कर रख लीजिए, ताकि सनद रहे और वक्त पड़ने पर काम आए।



About मंजीत ठाकुर

View all posts by मंजीत ठाकुर →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *