अब जबकि दूसरे चरण का लॉकडाउन समाप्ति की ओर है और इस तरह के संकेत मिल रहे हैं कि केन्द्र सरकार लॉकडाउन की अवधि को 3 मई से आगे बढ़ा सकती है, वर्धा में मौजूद केन्द्रीय हिंदी विश्वविद्यालय से एक व्यथित करने वाली ख़बर सामने आयी है।
वहां की एक छात्रा ने लॉकडाउन में खराब खाने की शिकायत की थी। उससे पहले विश्वविद्यालय प्रशासन ने माफ़ीनामा लिखवाया, फिर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के कार्यकर्ताओं ने उसकी पहचान उजागर कर दी और सजा भुगतने की धमकी दी। अब यह छात्रा डर के साये में जी रही है।
सूत्रों के मुताबिक विश्वविद्यालय के करीब 200 छात्र-छात्राएं ऐसे हैं जो लॉकडाउन की वजह से परिसर में ही फंस कर रह गये। यूं तो इनके खाने पीने का इंतजाम हॉस्टल मेस में किया गया है लेकिन खाने की गुणवत्ता इतनी ख़राब है कि कई छात्र-छात्राओं ने इसकी शिकायत प्रशासन से की है।
जब कोई सुधार नहीं हुआ तो कुछ छात्र-छात्राओं ने, खास तौर से उत्तर प्रदेश और बिहार के छात्र-छात्राओं ने अपने-अपने राज्य के मुख्यमंत्रियों से अपील कर घर पहुंचाने की व्यवस्था करने की गुहार लगायी। इस आशय की ख़बर भी दैनिक हिंदुस्तान में प्रकाशित हुई है।
जैसे ही विश्वविद्यालय प्रशासन को इसकी भनक मिली उसने शिकायत करने वाले छात्र-छात्राओं को प्रताड़ित करना शुरु कर दिया। हद तो यहां हो गयी जब कुछ छात्र-छात्राओं से माफ़ीनामा लिखवाया गया।
सूत्रों के मुताबिक इनमें से एक छात्रा जिसने मामले को जोर-शोर से उठाने की कोशिश की थी उस पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने जबर्दस्त दबाव बनाते हुए पहले तो माफ़ीनामा लिखवाया, फिर उस माफ़ीनामे को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्यों को लीक भी कर दिया।
माफ़ीनामे की जो कॉपी नीचे संलग्न है, उसमें पढ़ा जा सकता है कि किस तरह से प्रशासन के दबाव के आगे छात्रा ने गिड़गिडाने वाले अंदाज में लिखित में कहा कि वो आगे से कभी भी इस तरह की जुर्रत करने की कोशिश नहीं करेगी।
इतना ही नहीं, वर्धा परिसर के अंदर रह रहे एक छात्र ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कैंपस में सक्रिय सदस्यों ने लॉकडाउन का विरोध करने वाले छात्रों को टारगेट करने का अभियान चला रखा है! इसके तहत उनकी नेमिंग-शेमिंग की जाती है, विश्वविद्यालय से बर्खास्त करवाने की धमकी दी जाती है!
कुछ इसी तरह का बर्ताव इस छात्रा के साथ भी किया गया है। जब से मामला प्रकाश में आया है छात्रा डर के साये में जी रही है!
एक छात्र ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन से जब छात्रों ने खराब खाने की शिकायत की तो उनसे कहा गया कि जो मिल रहा है वही चुपचाप खाते रहो। अगर नमक और भात भी दिया जाता है तो वो भी खाना पड़ेगा।
गौरतलब है कि विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से इस मामले में अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। जब भी कोई प्रतिक्रिया आएगी उसके साथ ख़बर को अद्यतन किया जाएगा।