छान घोंट के: रात राम सपने में आए…
यही सब सोचते हुए और राम को याद करते-करते मैं भी पूरे देश की तरह सो गया. तभी अचानक राम-राम कहते हुए राम जी मेरे सपने में आए. बोले, “कैसे हो ‘प्रच्छन बौद्ध’ रघुवंशी? हमें क्यों याद किया?”
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यही सब सोचते हुए और राम को याद करते-करते मैं भी पूरे देश की तरह सो गया. तभी अचानक राम-राम कहते हुए राम जी मेरे सपने में आए. बोले, “कैसे हो ‘प्रच्छन बौद्ध’ रघुवंशी? हमें क्यों याद किया?”
Read Moreलॉकडाउन के दौरान इसी जरूरत और ज़मीनी हकीकत को समझाने वाली वरिष्ठ पत्रकार विजय विनीत की हाल ही में प्रकाशित किताब है “बनारस लॉकडाउन”, जो बताती है कि लॉकडाउन के 75 दिनों की जिंदगी क्या रही।
Read Moreइस संवाद के अंत में उन्होंने दो बातें कहीं थीं. एक, अंतिम आदमी के लिए लड़ने वाले लोगों के अधिकार के लिए लड़ना और उसे किसी भी हालत में अकेला नहीं छोड़ना ही आन्दोलन की मज़बूत बुनियाद को कायम करेगा. दूसरी बात यह थी कि अपनों को मुसीबत में छोड़ना आन्दोलन के साथ गद्दारी है.
Read Moreअपने भीतर मित्रों के प्रति मित्रतापूर्ण संघर्ष और शत्रुओं (जो अवसाद को पैदा करने के बुनियादी कारण हैं) के खिलाफ शत्रुतापूर्ण संघर्ष को चलाये रखना सबसे ज़रूरी है
Read Moreडॉ. लेनिन रघुवंशी का पाक्षिक कॉलम
Read Moreभारत को अपने जन विद्रोहों पर जन स्मारक बनाने और जन स्मृतियों में लाने का काम दक्षिणी कोरिया से सीखना चाहिए
Read Moreकाशी से ‘छान घाेंट के’ डॉ. लेनिन का पाक्षिक स्तम्भ
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