दक्षिणावर्त: प्रवासी नेपाली का सिर मूंडने वाले चिंदीचोर और तोगड़ि‍या का सबक


बनारस में कुछ तथाकथित ‘हिंदूवादियों’ ने एक नेपाली युवक का सिर मूंड़कर उस पर जय श्री राम लिख दिया और उससे राम के नाम पर नारे लगवाए। यह घटना क्षेपकों की कड़ी में एक और घटना है, पर ध्यान देने की बात यह है कि ‘क्षेपक’ (यानी फ्रिंज) अब एक नियमित अंतराल पर घटते हैं। ये कथित हिंदू-योद्धा नहीं जानते कि इनके एक बेहूदा कृत्य से कितना अधिक नुकसान हिंदू-जागरण के आंदोलन को पहुंचता है।

पहली और सर्वप्रमुख बात यह है कि इस तरह के एक भी कृत्य को कोई भी सनातनधर्मी व्यक्ति किसी भी तर्क या कुतर्क से जायज ठहरा ही नहीं सकता। जिस धर्म में राजा शिवि ने एक कबूतर को बचाने के लिए जीवित अवस्था में अपने मांस का सौदा किया हो, जहां आज भी साधु और बिच्छू की कहानी बच्चों को बतायी जाती हो, जहां करुणा, प्रेम, दया और बंधुत्व मूल भाव हों, वहां इस तरह का कुकृत्य, वह भी भगवान के नाम पर, कोई भी कैसे कर सकता है?

ये फ्रिंज के लोग हिंदुओं का कहीं से प्रतिनिधित्व नहीं करते, लेकिन उसका नुकसान बहुत जगह से करते हैं। हां, यह बात उन मुस्‍लि‍म बुद्धिजीवियों की तरह मैं नहीं कह रहा, जो आपको किसी भी आतंकी हमले के बाद – असल इस्लाम, गलत इस्लाम- का हवाला देने लगते हैं। हिंदुओं के किसी भी धर्मग्रंथ में किसी भी व्यक्ति को जबरन धर्मांतरित करने, हिंसा करने या भगवान के नाम पर लूटमार करने की कोई भी बात नहीं लिखी गयी है। यह भीड़ जो हिंसा करती है, इस वक्त के ब्लॉगजीवी/क्षणजीवी समय में सुर्खियों में आने की, उसकी कवायद भले पूरी हो जाती है, लेकिन वह हिंदुओं का कितना बड़ा नुकसान कर जाते हैं, यह उनको पता ही नहीं है।

इन्हीं छिटपुट घटनाओं के बहाने सनातन विरोधी‍ लोगों को हिंदू, हिंदूवाद (हिंदुइज्म), हिंदुत्व और सनातन में अंतर करने का मौका मिलता है, जिसके बहाने वे मूल तौर पर सनातन को बदनाम करने और उस पर हल्ला बोलने के अपने अभियान में लगे रहते हैं। जिसके बहाने वे कह पाते हैं कि हिंदू तो ठीक हैं, पर हिंदुत्व गलत है। वे हिंदुत्व को एक राजनीतिक विचारधारा बताकर इस्लाम के बरक्स खड़ा करने की कोशिश करते हैं, ताकि इस्लाम के साथ खूंरेजी और आतंक का जो पन्ना जुड़ा हुआ है, उसे थोड़ा नरम किया जा सके।

1999 में जब अटलजी की सरकार थी, तब तक जेएनयू में शाखा (आरएसएस वाली) लगा करती थी। आज की हालत मुझे नहीं पता, तब लगती थी। तो, उसमें जाने वालों की संख्या में अचानक ही बढ़ोतरी होने लगी, साथ ही कुछ ऐसे भी तत्त्व दिखे जो अब तक लाल झंडा उठाते आये थे, लेकिन अचानक ही हाफ पैंट पहनकर, लाठी लेकर प्रकट हुए- भए प्रकट कृपाला, दीनदयाला! कांग्रेसियों का इस पाले में आना तो फिर भी समझ में आता है, किंतु खांटी लाल झंडे वाले भी और कहीं नहीं, सीधा शाखा में ही जाने लगें, यह आश्चर्यजनक था। हालांकि, कुछ ही दिनों बाद रहस्य समझ में आ गया, जब लेक्चरर्स की नियुक्तियां हुईं और उनमें से कई का चयन भी।

2014 में मोदी सरकार बनी, पूरे बहुमत के साथ। 2019 में और भी बंपर सीटों के साथ। अटलजी की 22 घोड़ों वाली लंगड़ी सरकार से इसकी कोई तुलना ही नहीं है। अब ये विश्व हिंदू संगठन, हिंदू जागरण समिति, हिंदू अलाना मंडल, हिंदू चिलाना खेमा, हिंदू ढिमाका संघ जैसे टुटपुंजिये, दो कौड़ी के संगठन रातोंरात पैदा हो रहे हैं, उसके पीछे दिमागी तवाजुन है, बुनियादी सोच में एक बड़ा लोचा है।

इन चिंदीचोरों को लगता है कि इस तरह की घटना को अंजाम देकर वे रातोंरात सरकार की आंखों में चढ़ जाएंगे और उनका स्वार्थ सधेगा। उनको यह याद दिलाने की जरूरत है कि गुजरात में मोदी ने विहिप को ही सबसे पहले शंट किया था और आज प्रवीणभाई तोगड़िया कहां हैं, किसी को याद दिलाने की जरूरत है क्या, उनका रोता हुआ लाइव किसी ने नहीं देखा था क्या?

मैं इस बात से भी कतई इंकार नहीं करता कि संभवतया यह पटकथा किसी इंटरटेनमेंट चैनल वाले के सहयोग से, उनके लिए ही लिखी गयी है। हम लोग लाइव एक व्यक्ति को जलवा देने का किस्सा नहीं भूले हैं, न ही पिछले मात्र सात दिनों में 10 से 12 फेक न्यूज का शाया होना भुला सकते हैं, जब चमत्कारी ड्रोन ब्वॉय से लेकर अहमदाबाद की लेडी सिंघम के कारनामे टीवी पर गुलजार हुए हैं। फेक न्यूज के इस दौर में, हर सेकंड खबरों के पुराने होने के दौर में, किसी करमजले पत्रकार ने उस संगठन के मुखिया से मिलकर इस मुंडन-कांड की भूमिका रच दी होगी, यह बहुत मुमकिन है।

हमला चाहे किसी भी वजह से हुआ हो, किसी के लिए हुआ हो, किसी भी तरह हुआ हो, यह सीधा-सीधा सरकार के इकबाल पर हमला है। केंद्र की सरकार हो या यूपी की योगी सरकार, अगर इनको अपनी बुलंदी वापस पानी है तो इस कांड के दोषियों को सख्त से सख्त सजा देनी होगी, ताकि कोई और फ्रिंज एलिमेंट इस तरह की कोई घटना दुहराने के पहले कई बार सोचे—‘भय बिनु होहिं न प्रीति’।



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