अर्नब गोस्वामी के खिलाफ खुदकुशी के लिए उकसाने का केस फिर खुला, CID करेगी जांच


रिपब्लिक टीवी के मालिक अर्नब गोस्वामी के खिलाफ़ दो साल पुराने महाराष्ट्र के एक सुसाइड केस की फाइल फिर से खाेली जा रही है। अर्नब के खिलाफ़ खुदकुशी के लिए उकसाने का एक मुकदमा दर्ज हुआ था जिसे पिछले साल रायगढ़ पुलिस द्वारा बंद कर दिया गया। पीड़ित की गुहार पर अब यह मामला फिर से खाेला गया है और राज्य के सीआइडी को सौंप दिया गया है।

इंटीरियर डिज़ाइनर अन्वय नायक और उनकी मां कुमुद नायक के परिजनों की गुज़ारिश पर यह मामला दोबारा खाेला जा रहा है, यह बात महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कही है। अन्वय और कुमुद को अलीबाग के उनके बंगले पर 2018 के मई में मृत पाया गया था।

पिछले साल अलीबाग पुलिस ने यह कहते हुए केस बंद कर दिया था कि अर्नब सहित दो और आरोपितों के खिलाफ साक्ष्य नहीं मिले हैं। अन्वय नायक मुंबई की एक इंटीरियर डिज़ाइन कंपनी कॉनकार्ड डिज़ाइन्स प्राइवेट लिमिटेड के मालिक थे और उनकी मां कुमुद कंपनी के निदेशक बोर्ड में थीं। मामला रिपब्लिक टीवी पर बकाया पैसे का था। चैनल का कहना था कि उसने सारा बकाया कंपनी को भुगतान कर दिया था।

देशमुख ने मंगलवार को एक ट्वीट कर के बताया कि अन्वय नायक की बेटी ने उन्हें बताया है कि अर्नब गोस्वामी के रिपब्लिक टीवी पर बकाये के मामले की जांच पुलिस ने की ही नहीं थी, जिसके चलते उनके कारोबारी पिता और दादी को खुदकुशी करनी पड़ी। देशमुख ने ने लिखा है कि उन्होंने इस मामले की जांच सीआइडी को सौंप दी है।

अन्वय नायक की बेटी अदन्या नायक का कहना है कि बकाया राशि 83 लाख की थी जिसके भुगतान न किये जाने की जांच ही नहीं की गयी। यह आरोप पुलिस के आधिकारिक बयान से भी पुष्ट होता है जिसमें मौके से एक सुसाइड नोट मिलने की बात कही गयी है।

सुसाइड नोट में लिखा था कि तीन कंपनियों के बकाया भुगतान के चलते मां और बेटा दोनों खुदकुशी करने को मजबूर हैं। इन तीन कंपनियों में एक का 83 लाख बकाया सुसाइड नोट में लिखा था।

पुलिस की जांच में पता चला था कि अन्वय भारी कर्ज में था और ठेकेदारों को देने के लिए उसके पास पैसे नहीं थे।


About जनपथ

जनपथ हिंदी जगत के शुरुआती ब्लॉगों में है जिसे 2006 में शुरू किया गया था। शुरुआत में निजी ब्लॉग के रूप में इसकी शक्ल थी, जिसे बाद में चुनिंदा लेखों, ख़बरों, संस्मरणों और साक्षात्कारों तक विस्तृत किया गया। अपने दस साल इस ब्लॉग ने 2016 में पूरे किए, लेकिन संयोग से कुछ तकनीकी दिक्कत के चलते इसके डोमेन का नवीनीकरण नहीं हो सका। जनपथ को मौजूदा पता दोबारा 2019 में मिला, जिसके बाद कुछ समानधर्मा लेखकों और पत्रकारों के सुझाव से इसे एक वेबसाइट में तब्दील करने की दिशा में प्रयास किया गया। इसके पीछे सोच वही रही जो बरसों पहले ब्लॉग शुरू करते वक्त थी, कि स्वतंत्र रूप से लिखने वालों के लिए अखबारों में स्पेस कम हो रही है। ऐसी सूरत में जनपथ की कोशिश है कि वैचारिक टिप्पणियों, संस्मरणों, विश्लेषणों, अनूदित लेखों और साक्षात्कारों के माध्यम से एक दबावमुक्त सामुदायिक मंच का निर्माण किया जाए जहां किसी के छपने पर, कुछ भी छपने पर, पाबंदी न हो। शर्त बस एक हैः जो भी छपे, वह जन-हित में हो। व्यापक जन-सरोकारों से प्रेरित हो। व्यावसायिक लालसा से मुक्त हो क्योंकि जनपथ विशुद्ध अव्यावसायिक मंच है और कहीं किसी भी रूप में किसी संस्थान के तौर पर पंजीकृत नहीं है।

View all posts by जनपथ →

5 Comments on “अर्नब गोस्वामी के खिलाफ खुदकुशी के लिए उकसाने का केस फिर खुला, CID करेगी जांच”

  1. Magnificent items from you, man. I have be mindful your stuff previous to and
    you are simply extremely wonderful. I actually like what
    you’ve acquired right here, certainly like
    what you’re stating and the way in which wherein you are saying
    it. You’re making it enjoyable and you still take care of to stay it sensible.

    I cant wait to read much more from you. That is really a wonderful site.

  2. Excellent beat ! I wish to apprentice while you amend your website, how could
    i subscribe for a blog web site? The account helped me a acceptable deal.
    I had been a little bit acquainted of this your broadcast provided
    bright clear concept

  3. Hello there, just became aware of your blog through Google, and
    found that it is really informative. I am going to watch out for brussels.
    I’ll appreciate if you continue this in future. A lot of people will be benefited from your writing.

    Cheers!

  4. I’m impressed, I have to admit. Seldom do I encounter a blog that’s
    equally educative and engaging, and without a doubt, you’ve hit the
    nail on the head. The issue is something that too few people are speaking intelligently about.

    Now i’m very happy that I came across this during my search for something
    relating to this.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *