दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र कैंपस खोले जाने को लेकर कर रहे हैं आक्रोश प्रदर्शन


वर्त्तमान वैश्विक महामारी (कोविड-19) के दौर में दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) पिछले दो साल से बंद है जिसके खिलाफ छात्रों का लगातार संघर्ष जारी है। पहले ओपन बुक एग्जाम (ओबीई) के खिलाफ लम्बा संघर्ष किया गया जिसके बाद कैंपस खोलने को लेकर अलग-अलग समय पर लड़ाई लड़ी जा रही है। इसी मद्देनजर सोमवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के तमाम संगठन सहित आम छात्रों ने वीसी कार्यालय के सामने आक्रोशजनक प्रदर्शन किया। वे पुलिस बैरिकेडिंग को तोड़ते हुए वीसी ऑफिस तक जा पहुँचे।

छात्रों का आरोप हैं कि प्रदर्शन कर रहे हैं छात्रों में से आइसा के दो सदस्य आकाश और जय के साथ दिल्ली पुलिस और विवि प्रशासन के सुरक्षाकर्मियों ने धक्का-मुक्की की जिसके बाद उन्हें गहरी चोट आई। पुलिस उन्हें आननफानन में हिन्दू राव अस्पताल ले गई लेकिन वहां जाकर एमएलसी और ईलाज कराने के बजाय छोड़ कर भाग आई।

डीयू कैंपस को पूर्ण रूप से खोले जाने के लिए तमाम प्रगतिशील संगठनों ने वीसी से मांग की जिसमें आइसा, एसएफआई, डीएसयू, कलेक्टिव, वीसीएफ और केवाईएस सहित अन्य प्रगतिशील छात्र संगठन और अलग-अलग कॉलेजों के सामान्य छात्र-छात्राएं शामिल थे।

आइसा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सचिव प्रसेनजीत कुमार ने हमसे बात करते हुए कहा, “डीयू के छात्र-छात्राओं ने आइसा के आह्वान पर ऑनलाइन कक्षाओं का बहिष्कार करने के साथ वीसी ऑफिस के बाहर कैंपस खोले जाने के लिए विरोध प्रदर्शन किया। इस विरोध प्रदर्शन में छात्र-छात्राओं ने दिल्ली पुलिस द्वारा लगाए गए बैरिकेड्स को तोड़ दिया और कई प्रदर्शनकारी वीसी ऑफिस के गेट के अंदर पहुँच गए।”

उन्होंने आगे कहा कि छात्रों से डीयू प्रॉक्टर ने मुलाकात की और पहली मुलाकात में आश्वासन दिया गया कि शाम को कैंपस खोलने की सूचना आ जाएगी लेकिन बाद में प्रशासन ने अपने बात से पलटते हुए कहा कि इसमें एक सप्ताह का समय लगेगा।

दूसरी तरफ प्रदर्शन में शामिल डीयू की महिला छात्रावास में रहने वाली शोधार्थी एकता वर्मा ने बताया कि कोविड के समय में उनको बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हॉस्टलों ने कोविड के नाम पर गेस्ट अड्मिशन लिया है, जिनकी फ़ीस परमानेंट रेज़िडेंट्स से दोगुनी है। परमानेंट रेज़िडेंट्स को कहाँ एक महीने के लिए 4000 रुपए देने होते हैं, वहीं गेस्ट रेज़िडेंट को 8000 देना पड़ता है। यह कोविड के नाम पर छात्रों से सीधी ठगी है। इसलिए हॉस्टल के कई विद्यार्थी और शोधार्थियों ने उनका अड्मिशन परमानेंट करने की माँग की।

बॉयज छात्रावास में पिछले दो साल से किसी भी छात्रों को एडमिशन नहीं दिया जा रहा है। आज जब इस मसले पर छात्रों ने प्रॉक्टर से बात की तो प्रो. रजनी अब्बी कहती हैं कि हॉस्टलों में तमाम फर्नीचर टूटे हुए है इसलिए उसकी रेपेरिंग के लिए अतिरिक्त समय चाहिए।

प्रॉक्टर की इस बात पर लॉ फैकल्टी का छात्र अविनाश ने कहा कि आप समझ सकते हैं कि यह कितना हास्यास्पद है। ”इनके पास दो साल का समय था, जब ये हॉस्टल को ठीक करने के साथ बेहतर कर सकते थे। अब जब खोलने की बात की जा रही है तो इन्हें मरम्मत की याद आ रही है। वास्तव में इन्हे कैंपस खोलना ही नहीं हैं क्योंकि ये डरते हैं कि अगर कैंपस खुल गया तो छात्र-छात्राएँ फिर से अपने हक़-हक़ूक़ के साथ देश-दुनिया की बात करने लगेंगे।”

एसएफआई के सुमित ने बताया कि यह शर्मनाक है कि प्रशासन अभी तक कोई ऐसी नीति नहीं बना पाया जिसमें कोरोना वायरस द्वारा फैली महामारी के दौरान छात्र अपनी शैक्षिक गतिविधियों को सुचारू रूप से समय पर पूर्ण कर पाएं। दो वर्ष से अधिक समय से परिसर बंद है लेकिन प्रशासन को कतई शर्म नहीं है। प्रशासन से नम्र अनुरोध है कि परिसर शीघ्र अतिशीघ्र सभी के लिए खोले जाएं।

प्रदर्शन कर रहे छात्र-छात्राओं का एक प्रतिनिधिमंडल जब वीसी योगेश सिंह से मिलने पहुंचे तो उन्होंने अपने ऑफिस में ताला लगवा दिया है और छात्रों से मिलने को मना कर दिया लेकिन छात्रों ने साफ तौर पर कहा कि बगैर अपनी मांग को मनवाए प्रदर्शन स्थल से नहीं जाएंगे। बाद में विश्वविद्यालय प्रशासन के तरफ से चीफ प्रॉक्टर मिलने आयीं, लेकिन उन्होंने यह शर्त रखते हुए कैंपस खोलने से संबंधी सूचना जारी करने की बात की कि वो शाम को नोटिस निकलेंगी लेकिन यह तभी होगा जब प्रोटेस्ट खत्म होगा। छात्रों ने प्रशासन की इस शर्त को न मानते हुए प्रदर्शन देर शाम तक जारी रखा। बाद में रात के तक़रीबन आठ बजे वीसी ऑफिस के बाहर प्रदर्शन कर रहे छात्र-छात्राओं को दिल्ली पुलिस ने डिटेन कर लिया।

छात्र-छात्राएं इससे पहले अपने डीयू कैंपस को खोले जाने को लेकर 8 नवंबर से लगातार लगभग दो महीने तक आर्ट्स फैकल्टी गेट पर धरना देते रहे हैं। इस अनिश्चितकालीन धरने से पहले 25-29 अक्टूबर के बीच इन्हीं छात्रों ने भूख हड़ताल की थी जिसके बाद विवि प्रशासन ने आश्वासन दिया था कि दिवाली के बाद कैंपस खोल दिए जाएंगे लेकिन ऐसा न होने पर छात्रों ने फिर से प्रोटेस्ट करने का फैसला किया, जिसके बाद छात्र-छात्राओं ने लगातार दो महीने तक कैंपस खोले जाने की मांग को लेकर धरना दिया।

इस अनिश्चितकालीन प्रोटेस्ट को कोविड महामारी की तीसरी लहर के मद्देनजर कैंसिल कर दिया गया था लेकिन अब जब दिल्ली डिजास्टर मैनेजमेंट ऑथोरिटी (डीडीएमए) ने दिल्ली के तमाम स्कूल सहित कॉलेजों व विश्वविद्यालयों को खोलने की अनुमति दे दी है तो छात्र फिर से कैंपस खोले जाने को लेकर आंदोलन करने लगे हैं। डीएसयू के सुजीत ने इसी ओर इशारा करते हुए कहा कि अब जब दिल्ली की ही दो यूनिवर्सिटी- जेएनयू और अम्बेडकर यूनिवर्सिटी- खोल दी गई है तो डीयू को क्यों नहीं खोला जा रहा है!


About जगन्नाथ जग्गू

Research Fellow at University of Delhi, Independent Writer, Socio-political Activist

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