
आस्था नहीं, अन्वेषण पर आधारित होना चाहिए इतिहास
भारतीय इतिहासलेखन के विकास, असहमति की परंपरा तथा बौद्धिक अभिव्यक्तियों को बाधित करने के मौजूदा प्रयासों पर रोमिला थापर की कुलदीप कुमार से बातचीत (अनुवाद: अभिषेक श्रीवास्तव) आपकी …
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भारतीय इतिहासलेखन के विकास, असहमति की परंपरा तथा बौद्धिक अभिव्यक्तियों को बाधित करने के मौजूदा प्रयासों पर रोमिला थापर की कुलदीप कुमार से बातचीत (अनुवाद: अभिषेक श्रीवास्तव) आपकी …
Read Moreहाशिया अभी-अभी कुछ ज्यादा चौड़ा हुआ है। अकसर केंद्र तक टहल मार आने वाले तमाम लोगों में से कई परिधि पर धकेल दिए गए हैं। मेरी चिंता उन्हें लेकर नहीं …
Read MoreRavi Sinha The margins just got bigger. Many among those who customarily inhabit the centre have been pushed to the periphery. They are not my concern. There are analyses galore …
Read MoreSuicide at Dawn: Victor Brauner मौसम वैसा ही है जैसा कल था उतनी ही गरमी है मानसून की भविष्यवाणी भी नहीं बदली शामें अब भी कुछ ठंडी हो जाती हैं …
Read Moreएक पुराना दुख है मेरे भीतर कुछ पहचानें हैं उसकी कुछ निशान बिखरे हुए, स्मृतियों में धुंधले निराकार से- जिनके बारे में ठीक-ठीक नहीं बता सकता पूछे जाने पर। एक …
Read Moreअभिषेक श्रीवास्तव जैसा हमेशा होता है, इस बार भी हुआ है। बनारस को छोड़ने के विदड्रॉल सिम्पटम से जूझ रहा हूं। किसी को शराब छोड़ने के बाद, किसी को सिगरेट …
Read Moreमोंछू के यहां मैंने पहली बार आज से करीब 14 साल पहले थम्स अप पीया था और उनके हाथ का लगा पान खाया था। उस वक्त उनकी मूंछें इतनी खूबसूरत …
Read Moreमाना जा रहा है कि नरेंद्रभाई मोदी बनारस से जीत रहे हैं, लेकिन उनकी जीत का जश्न मनाने वाले इस शहर में इतने भी नहीं कि बीएचयू गेट से रविदास …
Read Moreयथार्थ तब तक यथार्थ है जब तक उसके आगे कल्पना का अंश जुड़ा है। आप यथार्थ को सपनों से काट दीजिए, तो ज़मीन पर कटी हुई उंगली की तरह तड़फड़ाता …
Read Moreअस्सी चौराहे स्थित पप्पू की दुकान पर एक लंबा सा आदमी चाय पीने आया। उसकी लंबाई औसत से कुछ ज्यादा थी। एक व्यक्ति ने उसे देखकर दूसरे से कहा, ”ई …
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