Open Space

View All

एक और हार! क्या अकाली दल की पंथक राजनीति फिर से अपना गौरव हासिल कर पाएगी?

अब पंजाब के स्थानीय निकाय नगर निगम नगर पंचायत के हुए चुनाव में राज्य की राजनीतिक तस्वीर स्पष्ट उभर आई है। पंजाब में लगभग तीन साल के आम आदमी पार्टी के शासन का प्रभाव किस किस क्षेत्र में किस प्रकार का है इन चुनावों के परिणामों से यह स्पष्ट हो गया है। साथ ही अकाली दल की एक और बड़ी हार ने पंथक राजनीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं।  

Voices

View All

ओडिशा: बिजली निजीकरण और प्रीपेड स्मार्ट मीटर के खिलाफ किसानों के संघर्ष को SKM का समर्थन

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने ओडिशा के मुख्यमंत्री से बदले की कार्यवाही से दूर रहने का किया आग्रह और पीएम मोदी से वादा निभाने और चर्चा शुरू करने की मांग …

Editor’s Choice

View All

बहसतलब: साध्य-साधन की शुचिता और संघ का बेमेल दर्शन

पिछले एक दशक में संघ ने भाजपा का बेताल बनकर न सिर्फ राजकीय-प्रशासनिक तंत्र पर अपना शिकंजा कसा है बल्कि उसे अपने आनुवंशिक गुणों से विषाक्त भी किया है। आजकल घर-घर द्वारे-द्वारे, हर चौबारे, चौकी-थाना और सचिवालय तक वैमनस्य, हिंसा, भ्रष्टाचार और गैर-जवाबदेही का जो नंगा-नाच चल रहा है, वह इसी दार्शनिक दिशा का दुष्परिणाम प्रतीत होता है।

Lounge

View All

बसु-रमण की धरती पर अंधश्रद्धा और वैज्ञानिक मिज़ाज पर कुछ बातें

पश्चिम के अकादमिक गढ़ों में बैठे उपनिवेशवाद के ये आलोचक और उत्तर-औपनिवेशिकता के ये सिद्धान्तकार निश्चित ही पश्चिमी समाजों को अधिक सभ्य, अधिक जनतांत्रिक और अधिक बहुसांस्कृतिक बनाने में योगदान कर रहे हैं, लेकिन पश्चिम के पास तो पहले से ही विज्ञान और आधुनिकता है, वह पहले ही आगे बढ़ चुका है। इस सब में हम पूरब वालों के लिए क्या है? गरीबी और अंधश्रद्धा के दलदल से हमें अपना रास्ता किस तरह निकालना है? अपने लिए हमें किस तरह के भविष्य की कल्पना करनी है?

COLUMN

View All

“हम, भारत के (खारिज) लोग” : चावकी फ्रेण की कला और जनतंत्र पर पूंजी के ग्रहण की छवियां

चावकी फ्रेण की प्रदर्शनी “We the (Discarded) People” हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हम वास्तव में उस समाज की ओर बढ़ रहे हैं, जिसका सपना हमारे संविधान में देखा गया था। जब तक हम इन सवालों का सामना नहीं करते और उनके समाधान की दिशा में कार्य नहीं करते, तब तक समाज में वास्तविक बदलाव संभव नहीं है।

Review

View All

पोन्नीलन के उपन्यास ‘करिसल’ के अंग्रेजी अनुवाद का लोकार्पण उर्फ साहित्य का ‘भारत जोड़ो’ समारोह

उपन्यास में आंदोलन का वर्णन ऐसे है जैसे जमीन से अनाज पैदा होता है, वैसे ही शोषण से जनआंदोलन पैदा हो रहा है, आंदोलन के नेता पैदा हो रहे हैं, लेखक पैदा हो रहा। उपन्यासकार मामूली इंसानी जिंदगियों को, उनके अभावग्रस्त जीवन को, इस जीवन के खिलाफ संघर्ष को करुणा के माध्यम से उसके उदात्त स्वरूप तक ले जाता है।

Blog

View All