बोकारो इस्पात नगर, 20 मार्च। आज ऐक्टू ने शहर के बिरसा चौक पर राष्ट्रीय इस्पात निगम के वाइज़ाग इस्पात संयंत्र को निजी हाथों में सौंपने के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया। बोकारो स्टील प्लांट में सक्रिय सेन्टर ऑफ स्टील वर्कर्स (ऐक्टू) से जुड़े कर्मचारियों ने आज के प्रदर्शन में हिस्सा लिया। प्रदर्शन में हिस्सा ले रहे मज़दूरों ने वाइज़ाग स्टील प्लांट के निजीकरण के खिलाफ चल रहे आंदोलन के साथ एकजुटता व्यक्त की और इस्पात क्षेत्र को बेचने को लेकर अपना गुस्सा प्रकट किया।
ऐक्टू नेता देवदीप सिंह दिवाकर ने कहा –
आज बोकारो के मजदूरों को वाइजाग के मजदूरों के पक्ष मे खड़ा होना चाहिए। बोकारो स्टील प्लांट समेत ‘स्टील ऑथोरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड’ के तमाम कारखानों को ‘आउट-सोर्सिंग’ व अन्य तरीकों से तेज़ी से निजीकरण की ओर धकेला जा रहा है। अगर आज बोकारो समेत अन्य इस्पात संयंत्रों के मज़दूर आवाज़ नही उठाएंगे तो निश्चित तौर पर मोदी सरकार सब कुछ बेच देगी।
प्रदर्शन में मौजूद कर्मचारियों ने ‘एन.जे.सी.एस- नेशनल जॉइंट कमिटी फ़ॉर स्टील इंडस्ट्री’ के घटक यूनियनो द्वारा कॉमन डिमांड बनाने मे हो रही देरी और निजीकरण के खिलाफ आवाज़ नही उठाने को लेकर काफी चिंता प्रकट की।
गौरतलब है कि SAIL प्रबंधन ‘एन.जे.सी.एस नेशनल जॉइंट कमिटी फ़ॉर स्टील इंडस्ट्री’ के घटक यूनियनों से बातचीत कर मज़दूरों की समस्याओं को हल करने में अभी तक असफल दिख रहा है। ऐसे में इस्पात उद्योग के मज़दूरों के सामने निर्णायक संघर्ष खड़ा करने की चुनौती को स्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नही है।
सेन्टर ऑफ स्टील वर्कर्स (ऐक्टू) के उपाध्यक्ष जे एन सिंह ने कहा-
वाइजग स्टील प्लांट की बिक्री का केन्द्र सरकार का फैसला कोई अलग-थलग नही है। मोदी सरकार एक तरफ तो मज़दूरों को बांट रही है और दूसरी तरफ रेलवे, बैंकिग, बीमा, समेत सभी सरकारी / सार्वजनिक संस्थानों को पूंजीपतियों को बेच रही है। इस्पात मजदूरों को विशाखापटनम स्टील प्लांट के मजदूरो के संघर्ष का समर्थन करते हुए निजीकरण के खिलाफ आंदोलन को तेज करने की ज़रूरत है।
गौरतलब है कि ऐक्टू की एक टीम आंदोलनरत मज़दूरों के समर्थन में विशाखापट्टनम भी जा चुकी है।
देवदीप सिंह दिवाकर
महासचिव, सेन्टर ऑफ स्टील वर्कर्स (ऐक्टू)